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नेशनल इनवेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) ने भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon Case) में आरोपियों के खिलाफ 17 ड्राफ्ट आरोपों की एक लिस्ट सबमिट की है. इन आरोपों में भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना शामिल है, जिसमें मौत की सजा का प्रावधान है.
हालांकि, आरोपों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश के बारे में नहीं बताया गया है, जैसा कि पुणे पुलिस ने 2018 में दावा किया था. आरोपों में बस एक जगह जिक्र है कि "सार्वजनिक अधिकारी की मौत का प्रयास" किया गया है.
मामले में ये हैं आरोपी:
ज्योति राघोबा जगताप
सागर तात्याराम गोरखे
रमेश मुरलीधर गायचोर
सुधीर धवले
सुरेंद्र गडलिंग
महेश राउत
शोमा सेन
रोना विल्सन
अरुण फरेरा
सुधा भारद्वाज
वरवर राव
वर्नोन गोंसाल्वेस
आनंद तेलतुम्बडे
गौतम नवलखा
हैनी बाबू
इस मामले के एक अन्य आरोपी, फादर स्टेन स्वामी का जुलाई में जमानत के इंतजार में निधन हो गया था.
ड्राफ्ट में आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं:
121: भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना, या युद्ध छेड़ने का प्रयास करना, या युद्ध छेड़ने के लिए उकसाना.
121-A: आपराधिक बल के माध्यम से सरकार को पछाड़ना.
124-A: राजद्रोह
153-A: धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच विरोध को बढ़ावा देना.
120B: आपराधिक साजिश की सजा
505 (1) (B): जनता के बीच भय पैदा करने का इरादा
उन पर UAPA की कई धाराओं के तहत अपराध करने का भी आरोप लगाया गया है.
ड्राफ्ट में आरोप लगाया गया है कि आरोपी प्रतिबंधित CPI (माओवादी) और उसके 'फ्रंट संगठनों' के सदस्य हैं, "जिसका मुख्य उद्देश्य क्रांति के माध्यम से जनता सरकार की स्थापना करना है."
NIA ने दावा किया है कि 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद का आयोजन "राज्य भर में दलित और अन्य वर्गों की सांप्रदायिक भावनाओं का शोषण करने के लिए किया गया था और भीमा कोरेगांव और महाराष्ट्र राज्य समेत पुणे में हिंसा, अस्थिरता और अराजकता पैदा करने के लिए उन्हें जाति के नाम पर उकसाया गया था."
इसके अलावा, उन्होंने आरोप लगाया कि,
"भारत में लोगों के किसी वर्ग और महाराष्ट्र के लोगों में, तार, कील, नाइट्रेट पाउडर, और चीनी QLZ 87 ऑठोमैटिक ग्रेनेड लॉन्चर और रूसी GM-94 ग्रेनेड लॉन्चर और 4,00,000 राउंड वाली M-4 जैसे हथियारों के ट्रांसपोर्ट के जरिये डर फैलाने के लिए भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने के इरादे से गैरकानूनी गतिविधियों में मदद की."
NIA ने दावा किया कि इसके, "अपने स्वभाव से", "किसी भी व्यक्ति या व्यक्तियों की मृत्यु या चोट, या संपत्ति के नुकसान, या क्षति, या विनाश का कारण बनने की संभावना थी, और ये सार्वजनिक अधिकारी की मौत के प्रयास की साजिश थी.
भले ही पुणे पुलिस ने 'राजीव गांधी - जैसे' ऑपरेशन के बारे में एक 'आर' द्वारा लिखे गए ईमेल का हवाला दिया था, न तो NIA की 10,000 पेज की चार्जशीट और न ही इन नए ड्राफ्ट चार्जेज में पीएम नरेंद्र मोदी की हत्या की किसी साजिश का जिक्र है. NIA ने बस लिखा है कि "सार्वजनिक अधिकारी की मौत का कारण बनने का प्रयास" है.
वहीं, द इंडियन एक्सप्रेस ने NIA के एक अधिकारी का हवाला देते हुए दावा किया कि ड्राफ्ट चार्जेज में खास आरोपों का जिक्र नहीं है और इससे संबंधित सबूतों को ट्रायल के दौरान हिस्सा बनाया जाएगा.
स्पेशल NIA कोर्ट IPC और UAPA अपराधों के आधार पर अपने फैसले को आधार बनाएगी, जिसके तहत आरोपियों पर इन ड्राफ्ट चार्जेज पर मुकदमा चलाया जाएगा.
आरोपी के खिलाफ NIA का मामला मुख्य रूप से आरोपी रिसर्चर रोना विल्सन और सह-आरोपी एडवोकेट सुरेंद्र गडलिंग के कंप्यूटर से मिले लेटर्स पर आधारित है.
हालांकि, इससे पहले फरवरी में, एक डिजिटल फोरेंसिक कंसल्टिंग कंपनी ने पाया था कि विल्सन का कंप्यूटर NetWire नाम के एक मैलवेयर से संक्रमित हो गया था, और गिरफ्तारी से दो साल पहले उसके खिलाफ सभी आपत्तिजनक सबूत उसमें प्लांट किए गए थे. इसके बाद विल्सन ने अपने खिलाफ मामले को रद्द करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
बाद में, जुलाई में, एक अमेरिकी फोरेंसिक एजेंसी ने जांच में पाया था कि गडलिंग के कंप्यूटर पर भी सबूत 'प्लांट' किए गए थे.
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