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बिहार के मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अबतक 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है. साथ ही करीब 200 बच्चे अब भी अस्पताल में भर्ती हैं. एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) और जापानी इंसेफलाइटिस (JE) को बिहार में 'चमकी' बुखार के नाम से जाना जाता है.
बता दें कि मुजफ्फरपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में हर साल ये बीमारी फैलती है. उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी और वैशाली जिले में इस बीमारी का ज्यादा असर दिख रहा है.
मुजफ्फपुर के SKMC अस्पताल के पीछे कंकाल मिलने के मामले में 3 सदस्यों की जांच कमेटी बनाई गई है. डिप्टी डेवलपमेंट कमिश्नर उज्जवल कुमार इस कमेटी की अध्यक्षता कर रहे हैं. कमेटी को तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है.
मुजफ्फरपुर स्थित श्री कृष्णा मेडिकल हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट सुनील कुमार शाही ने बताया, हॉस्पिटल की छत से प्लास्टर का एक हिस्सा गिरा है. इस दौरान किसी को भी चोट नहीं लगी है.
मीडिया रिपोर्ट्स में ऐसा बताया बताया जा रहा था कि हॉस्पिटल में आईसीयू के बाहर छत का एक हिस्सा गिरा है. इस पर सफाई देते हुए सुपरिटेंडेंट ने कहा, ये घटना किसी वार्ड के अंदर नहीं बल्कि बरामदे के पास हुई है. PICU वार्ड नंबर 6-7 के बीच में है, जबकि ये घटना वार्ड नंबर 5-6 के बीच हुई है.
मुजफ्फरपुर स्थित श्री कृष्णा मेडिकल हॉस्पिटल के सुपरिटेंडेंट सुनील कुमार शाही ने बताया, कल शाम से अब तक एईएस के कारण उनके हॉस्पिटल में एक मौत हुई है. अस्पताल में कुल 109 बच्चों की मौत हो चुकी है. 225 मरीजों को छुट्टी दे दी गई है जबकि 39 और को आज छुट्टी दी जा सकती है.
इंसेफेलाइटिस से लगातार हो रही बच्चों की मौत के बाद नीतीश कुमार सरकार ने सख्त कदम उठाया है. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के श्रीकृष्ण मेडिकल हॉस्पिटल के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर भीमसेन गुप्ता को सस्पेंड कर दिया गया है. वहीं ताजा अपडेट के मुताबिक अब मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़कर 129 हो गई है.
बिहार में मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) के ICU के बाहर छत का एक हिस्सा ढह गया है. किसी के घायल होने की जानकारी नहीं है. इस अस्पताल में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की वजह से अब तक 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है.
शनिवार को एक जांच टीम उस स्थान पर पहुंची, जहां मुजफ्फरपुर में श्रीकृष्ण हॉस्पिटल के पीछे मानव कंकाल के अवशेष पाए गए थे. अहियापुर के एसएचओ सोना प्रसाद सिंह ने बताया, "जांच के बाद ही बताया जा सकेगा कि क्या इन लावारिस शवों को यहां जलाया गया है"
मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पीछे मिले मानव कंकाल मामले पर डीएम आलोक रंजन घोष ने प्रशासन और संबंधित विभाग से रिपोर्ट मांगी है.
बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) के पीछे इंसानी कंकाल के अवशेष मिले हैं. इस मामले में शनिवार को एक जांच टीम ने मौके का दौरा किया है. जांच टीम ने बताया, ''यहां इंसानी कंकाल के अवशेष मिले हैं. विस्तृत जानकारी प्रिंसिपल की तरफ से दी जाएगी.''
इस मामले पर एसके शाही, एमएस SKMCH ने कहा, ''पोस्टमॉर्टम डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी प्रिंसिपल के हाथों में है, लेकिन यह मानवीय तरीके से होना चाहिए. मैं प्रिंसिपल से बात करूंगा और उनसे जांच कमेटी गठित करने की मांग करूंगा.''
बिहार में इंसेफलाइटिस से बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. अब मुजफ्फरपुर में इस बुखार से मरने वालों की संख्या 128 पहुंच चुकी है. जिनमें से 108 मौतें श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में और 20 मौतें केजरीवाल हॉस्पिटल में हुई हैं.
बिहार में इंसेफलाइटिस की बढ़ती मौतों के मद्देनजर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंडल पांडे ने गुरुवार को जांच के आदेश दिए कि क्या लीची खाने से मौतें हो रही हैं. मंत्री ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों और बागवानी अधिकारियों का एक दल प्रभावित इलाकों का दौरा करेगा.
उन्होंने कहा कि एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मुजफ्फपुर जिले में प्रकोप के पीछे के एक कारणों में लीची हो सकती है. एईएस का प्रकोप सामान्य तौर पर गर्मी के मौसम में लीची की फसल की दौरान होता है. हालांकि, अब तक आधिकारिक तौर पर ये पुष्टि नहीं हुई है कि वायरस का कारण फल है. देश में मुजफ्फरपुर लीची के लिए मशहूर है.
बिहार के 16 जिलों में चमकी बुखार से इस महीने की शुरुआत से 600 से ज्यादा बच्चे प्रभावित हुए हैं जिनमें से 136 की मौत हो गई.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, एक जून से राज्य में एक्यूट एंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 626 मामले दर्ज हुए और इसके कारण मरने वालों की संख्या 136 पहुंच गई. मुजफ्फरपुर जिले में सबसे ज्यादा अब तक 117 की मौत हुई है. इसके अलावा भागलपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामंढी और समस्तीपुर से मौतों के मामले सामने आए हैं.
बिहार के कई जिलों में बुखार से बच्चों की हो रही मौत पर जब कुछ पत्रकारों ने सवाल पूछा तो नीतीश कुमार ने कोई जबाव नहीं दिया और वो खामोशी से अपनी कार में बैठकर निकल गए.
मुजफ्फरपुर अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट एसके शाही का कहना है कि लोगों में जागरुकता की कमी की वजह से भी चमकी बुखार फैल रहा है, जो बच्चे वक्त पर अस्पताल में आए उन्हें हमने बचा लिया, लेकिन जो मरीज देरी से आ रहे हैं उनको बचाना मुश्किल होता है.
बिहार में AES से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ कर 124 हो गई है. मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद ने गुरुवार देर शाम बताया कि पिछले 24 घंटे के दौरान श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल और केजरीवाल अस्पताल में चमकी बुखार से सात अन्य बच्चों की मौत के साथ उनके जिले में मरने वाले बच्चों की संख्या अब 121 हो गयी है.
उन्होंने बताया कि उनके जिले में अबतक इस रोग से कुल 562 बच्चे भर्ती कराए गए जबकि 219 बच्चों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी हैं.
बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 121 हो गई. SKMCH में 101 और केजरीवाल अस्पताल में 20 बच्चों की मौतें हुई हैं.
बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से मरने वाले बच्चों की संख्या लगातार बढ़ने के बीच इस बीमारी के कारणों को लेकर विशेषज्ञों की राय अलग अलग है. श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष (एचओडी) डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने कहा, ‘‘कई लोग इसके लिए लीची के सेवन को जिम्मेदार बताते हैं। मैं कई सालों से ऐसे मरीजों को देख रहा हूं और ये अत्यधिक गर्मी और उमस के कारण होती है.’’
चमकी बुखार के बारे में सहनी की राय पर शिशु रोग विशेषज्ञ एवं पूर्व में इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स के बिहार चैप्टर का नेतृत्व कर चुके अरुण शाह का कहना है-
शाह वेल्लोर के महामारी विशेषज्ञ टी जैकब जॉन के साथ काम कर चुके हैं. जॉन ने ही पहली बार 2016 में लीची के सेवन को अनियंत्रित हाइपोग्लाइसीमिया (रक्त शर्करा का स्तर के बेहद कम हो जाना) का एक कारक बताया था.
बिहार के श्रीकृष्ण मेडिकल हॉस्पिटल में बच्चों की मौत का आंकड़ा 100 तक पहुंच गया है. मेडिकल सुपरिटेंडेंट एसके शाही ने बताया, "श्रीकृष्ण मेडिकल हॉस्पिटल में 402 बच्चे एडमिट हुए, जिसमें से 162 बच्चों को डिस्चार्ज कर दिया गया. 94 बच्चे आज डिस्चार्ज हो जाएंगे.” शाही ने बताया, हॉस्पिटल में आज (गुरुवार) चार बच्चों की मौत हुई है.
चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को अस्पताल देखने पहुंचे खेसारी लाल यादव की वजह से अस्पताल में भीड़ जुट गई, जिसे वजह से मरीजों को काफी दिक्कत झेलनी पड़ी. खेसारी लाल के साथ सेल्फी खिंचवाने वालों की भीड़ लग गई, जिस वजह से अस्पताल में अफराफतरी मच गई.
बिहार में नहीं थम रहा बुखार का कहर, अब तक 128 बच्चों की मौत
कांग्रेस ने बिहार के मुजफ्फरपुर और कुछ अन्य जिलों में दिमागी बुखार से बच्चों की मौत को ‘राष्ट्रीय त्रासदी’ करार दिया और आरोप लगाया कि इस स्थिति के केंद्र और राज्य सरकार दोनों जिम्मेदार हैं. पार्टी नेता गौरव गोगोई ने ये भी कहा कि पिछले कई सालों से एन्सेफेलाइटिस से बच्चों की मौत होती आ रही है, लेकिन चिकित्सा सुविधाओं पर पूरा ध्यान नहीं दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘पूरा देश बिहार में दिमागी बुखार से बच्चों की मौत के कारण दुखी है. प्रभावित परिवारों पर क्या गुजर रही होगी, उसको शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. हम उनके लिए प्रार्थना करते हैं.’’
बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़ कर अब 115 हो गयी है. मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ सुनील कुमार शाही ने बताया कि आज पांच और बच्चों की मौत हो गई. इन पांच बच्चों को मिलाकर उनके अस्पताल में मरने वाले बच्चों की संख्या अब 95 हो गयी है.
वहीं निजी केजरीवाल अस्पताल में मंगलवार की रात से एईएस पीड़ित दो और बच्चे भर्ती कराए गए. मंगलवार तक केजवरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की और पूर्वी चंपारण जिले में एक बच्चे की इस रोग से मौत हुई थी.
मुजफ्फरपुर में Acute Encephalitis Syndrome (AES) के कारण मरने वालों की संख्या 112 हो गई है. श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (SKMCH) में 93 की मौत हुई है वहीं 19 की केजरीवाल अस्पताल में मौत हुई है.
बिहार में ‘चमकी’ बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. अब ये संख्या बढ़कर 111 हो गई है. और करीब 300 अब भी गंभीर रूप से बीमार हैं. वहीं, दूसरे छोटे अस्पतालों में या बिना इलाज के मरे बच्चों का अभी आकलन नहीं किया गया है. चमकी बुखार एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम को कहा जा रहा है.
इंसेफेलाइटिस से बिहार के मुजफ्फरपुर में 109 बच्चों की मौत पर सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ जनहित याचिका दर्ज की गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे का नाम भी इस याचिका में शामिल है. याचिका पर 26 जून को सुनवाई होगी.
बिहार के मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस से मरने वालों की संख्या 109 पहुंच गई है.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा है कि इंसेफेलाइटिस प्रभावित क्षेत्रों का पर्यावरण अध्ययन कराया जाएगा. नीतीश ने मुजफ्फरपुर के श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल को 2500 बेड के अस्पताल में तब्दील करने के निर्देश दिए हैं. अस्पताल के पास परिवारवालों के लिए एक धर्मशाला भी बनाई जाएगी.
एसकेएमसीएच मेडिकल कॉलेज के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट एसके शाही ने सीएम नीतीश के अस्पताल के दौरे पर आने को लेकर कहा कि सीएम फिलहाल मरीजों को मिल रही ट्रीटमेंट से संतुष्ट हुए. उन्होंने कहा, “सीएम ने मरीजों और उनके रिश्तेदारों से मुलाकात की. वह वर्तमान में दिए जा रहे चिकित्सा उपचार से संतुष्ट थे और उन्होंने हमें रोजाना दोपहर 3 बजे बुलेटिन जारी करने का आदेश दिया. वह इस बात से भी दुखी थे कि यहां पर उपचार के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं.”
जेडीयू के मधेपुरा लोकसभा सीट से सांसद दिनेश वर्मा ने मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत पर अजब सा बयान दिया है. उन्होंने कहा,
जब सांसद दिनेश यादव से बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के इंसेफेलाइटिस से जुड़े मामले पर चल रही बैठक में क्रिकेट मैच का स्कोर जानने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने उनका बचाव करते हुए कहा,
बिहार के सीएम नीतीश कुमार के पहुंचने पर मुजफ्फरपुर में श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के बाहर स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया.
बिहार के सीएम नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर पहुंचे हैं. वहां उन्हें लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा. गुस्साए लोगों ने श्री कृष्णा मेडिकल कॉलेज के बाहर नीतीश कुमार के खिलाफ नारे लगाए.
चमकी बुखार में 108 बच्चों की मौत के बाद अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच हॉस्पिटल पहुंचे हैं. सीएम नीतीश अस्पताल में डॉक्टरों के साथ समीक्षा भी बैठक करेंगे.
मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SKMCH) में इंसेफेलाइटिस की वजह से मरने वाले बच्चों की संख्या 88 हो चुकी है. SKMCH के अधीक्षक, सुनील कुमार शाही ने बताया कि अब तक, 88 मौतें हुई हैं. 330 बच्चों को भर्ती कराया गया था, जिनमें से 100 को छुट्टी दे दी गई और 45 बच्चों को आज छुट्टी दे दी जाएगी.
मुजफ्फरपुर में इस बुखार से मरने वालों की संख्या बढ़कर 107 हो गई है, वहीं अस्पतालों में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या बढ़कर 400 से ज्यादा हो गई है.
चमकी बुखार से पीड़ित ज्यादातर मरीज मुजफ्फरपुर के सरकारी श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल (एसकेएमसीएच) और केजरीवाल अस्पताल में एडमिट हैं. अब तक एसकेएमसीएच में 88 और केजरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की मौत हो गई है.
चमकी बुखार पर मचे सियासी हंगामे के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज सुबह मुजफ्फरपुर अस्पताल का दौरा करेंगे. बता दें कि सोमवार को जेडीयू विधायक और बिहार सरकार में मंत्री श्याम रजक ने सीएम के नहीं आने को लेकर बयान दिया था. जब पत्रकारों ने सीएम के नहीं आने पर सवाल किया तो इसका जवाब देने के बजाय नीतीश के मंत्री ने उल्टे सवाल पूछा कि क्या जरूरी है? मरीजों की निगरानी और इलाज कराना या उनका (सीएम नीतीश कुमार) यहां (मुजफ्फरपुर) आना? सीएम हर कुछ मॉनिटर कर रहे हैं.”
हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एईस से मरने वाले बच्चों के परिवार को 4 लाख रुपये सहायता राशि देने की घोषणा की थी.
इससे पहले 16 जून को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) का दौरा किया था.
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