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बिहार (Bihar) में तीन सालों से शेड्यूल्ड कास्ट और शेड्यूल्ड ट्राइब छात्रों को मिलने वाली पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप (post matric scholarship) बंद है. मीडिया में मामला आने के बाद अब सीएम नीतीश कुमार ने हस्तक्षेप किया है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के शिक्षा विभाग को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति योजना के तहत पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप जल्द से जल्द फिर से शुरू करने का निर्देश दिया है.
बता दें कि सरकार का कहना है कि पिछले तीन सालों से केंद्र की प्रमुख कल्याण योजना के लिए कोई आवेदन नहीं मिला है. साथ ही अधिकारी एप्लीकेशन न मिलने के लिए 'नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल में तकनीकी दिक्कत' को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बिहार सरकार के SC/ST कल्याण विभाग ने 2016 में सरकारी और निजी कॉलेजों में फीस का अंतर बताते हुए फीस की ऊपरी सीमा तय कर दी थी. ये सालाना 2000 रुपये से 90,000 रुपये तक थी. छात्रों ने फीस तय किए जाने का विरोध करते हुए दावा किया कि इससे परिवारों पर वित्तीय बोझ पड़ेगा और उन्हें उच्च शिक्षा या प्रोफेशनल कोर्स रोकना पड़ेगा.
बता दें कि इस स्कीम के तहत शिक्षा, प्रोफेशनल या तकनीकी कोर्स, मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट और पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्सेस के लिए स्कॉलरशिप मिल सकती है.
बिहार के अतिरिक्त मुख्य सचिव (शिक्षा) संजय कुमार ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया:
उन्होंने कहा कि यह योजना 2017-18 तक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति विभाग द्वारा चलाई गई थी और बाद में इसे शिक्षा विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था.
बिहार में अनुसूचित जाति समुदायों के लोग जनसंख्या का 16% और अनुसूचित जनजाति के लोग 1% हैं, देखा जाए तो अनुमानित 5 लाख छात्र हर साल इस छात्रवृत्ति के लिए योग्य हैं. लेकिन बिहार में ज्यादातर एससी/एसटी छात्रों को छह साल से इससे वंचित रखा गया है.
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