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सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों द्वारा जेल अधिकारियों के समक्ष सरेंडर करने के लिए समय बढ़ाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने आत्मसमर्पण के लिए समय बढ़ाने की दोषियों की अर्जी को खारिज करते हुए कहा कि आत्मसमर्पण को स्थगित करने और वापस जेल में रिपोर्ट करने की मांग के लिए उन्होंने जो कारण बताए हैं, उनमें कोई दम नहीं है. अदालत ने दोषियों को 21 जनवरी तक सरेंडर करने का आदेश दिया है.
बिलकिस बानो गैंगरेप और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या मामले के दोषियों ने आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
दोषी गोविंदभाई नाई, रमेश रूपाभाई चंदना और मितेश चिमनलाल भट याचिका में अपने स्वास्थ्य और पारिवारिक जिम्मेदारियों का हवाला दिया था और छूट की मांग की थी.
बता दें कि 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप करने और उसकी तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने वाले 11 लोगों को छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और उज्ज्वल भुइयां की डबल बेंच ने 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर रिहा किए गए दोषियों को दो सप्ताह के भीतर 22 जनवरी तक सरेंडर करने का भी निर्देश दिया था.
11 दोषियों में से एक दोषी मितेश चिमनलाल भट्ट ने समर्पण करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा था. उसकी दलील थी कि वो खेती से जीविका चलाता है और उसे अपनी खरीफ की फसल काटने के लिए और समय चाहिए.
वहीं, दूसरे दोषी गोविंद भाई ने चार सप्ताह का समय मांगा था. उसने स्वास्थ्य और पारिवारिक वजहों का हवाला देते हुए कहा है कि अपने बीमार पिता की देखभाल करने वाला वो परिवार में अकेले शख्स है. वो पूरी तरह उस पर आश्रित हैं. उसने कहा कि उसके बच्चे भी वित्तीय तौर पर उसी पर आश्रित हैं. गोविंद ने कहा है वह खुद बूढा है और कई बीमारियों से घिरा हुआ है.
प्रदीप रमनलाल मोढ़डिया ने सरेंडर के लिए चार हफ्ते का समय मांगा था. उसने कहा है कि उसकी हाल में फेफड़ों की सर्जरी हुई है. उसे लगातार डॉक्टरों की सलाह की जरूरत है. वहीं, विपिनचंद कनियालाल जोशी ने छह सप्ताह का समय मांगा था. उसने कहा कि उसकी पत्नी को कैंसर है. इसके अलावा उसके 75 वर्षीय भाई अविवाहित है और उसे उसकी जरूरत है.
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