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बीजेपी की सांसद और हाल ही में केंद्रीय मंत्री बनाई गईं मीनाक्षी लेखी ने किसानों को लेकर विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा कि जो कृषि कानूनों के खिलाफ जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं वो किसान नहीं बल्कि मवाली हैं. उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो ऐसे लोगों को बढ़ावा दे रहे हैं. बीजेपी मंत्री के इस बयान को लेकर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि किसान के बारे में ऐसी बात नहीं करनी चाहिए.
दरअसल ये पहली बार नहीं है जब बीजेपी नेताओं ने किसानों को लेकर विवादित बयान दिया हो. इससे पहले भी प्रदर्शनकारी किसानों को कई नामों से बुलाया जा चुका है. इस बार जब केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी से किसान आंदोलन को लेकर सवाल किया गया तो वो भड़क गईं. उन्होंने सीधे कहा कि,
बीजेपी की बड़ी नेता के इस बयान पर जब किसान नेता राकेश टिकैत से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि, मवाली तो होते हैं जिनका कोई घर नहीं होता है. यहां तो किसान हैं. किसान के बारे में इस तरह की बातें नहीं कहनी चाहिए. ये देश का अन्नदाता है कोई मवाली नहीं हैं. वो बड़े लोग हैं, हम यहां झोपड़ी में 8 महीने से रह रहे हैं तो उन्हें हमें मवाली लगेंगे.
मीनाक्षी लेखी के इस बयान पर विपक्षी नेताओं ने भी उनकी खूब आलोचना की है. कांग्रेस नेता अलका लांबा ने एक वीडियो शेयर करते हुए बीजेपी पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि,
कांग्रेस के अलावा दिल्ली में आम आदमी पार्टी के विधायकों और अन्य लोगों ने भी मीनाक्षी लेखी को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर हमला बोला. उन्होंने किसानों पर दिए गए इस बयान को निंदनीय बताया.
राकेश टिकैत ने कहा कि आज का कार्यक्रम काफी अच्छा रहा. शांतपूर्ण तरीके से प्रदर्शन हुआ. आज यहां किसानों ने अपनी बात रखी. यहां पर हर राज्य के किसानों ने अपनी बात रखी. कल किसानों का दूसरा जत्था यहां आएगा और अपनी बात रखी जाएगी. टिकैत ने बताया कि जब तक संसद चलेगी, तब तक हम यहां प्रदर्शन करेंगे. किसान पंचायत का नाम किसान संसद रखा गया है.
बता दें कि किसानों ने पहले संसद के बाहर धरना प्रदर्शन की बात कही थी, लेकिन दिल्ली पुलिस की तरफ से इसकी मंजूरी नहीं मिली. इसके बाद किसानों को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की इजाजत दी गई. किसानों ने भारी सुरक्षा के बीच यहीं अपनी किसान संसद लगाई और अपने मुद्दों पर चर्चा की. किसानों का साफ कहना है कि वो तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराए बिना अपना ये आंदोलन खत्म नहीं करने वाले हैं.
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