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बुलंदशहर हिंसा के आरोपियों का जेल के बाहर मालाओं के साथ स्वागत किया गया. 7 आरोपी, जिसमें मुख्य साजिशकर्ता शिखर अग्रवाल भी शामिल है, शनिवार, 24 अगस्त की रात जमानत पर जेल से रिहा किए गए. जेल के बाहर आरोपियों के समर्थन में काफी लोग मौजूद थे. आरोपियों के समर्थन में 'जय श्री राम', 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के भी नारे लगाए.
SIT के हेड राघवेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि जमानत मिलने वाले सातों लोग आगजनी के मामले में आरोप थे, न कि एसएचओ और स्थानीय की हत्या के आरोप में. हत्या के सभी 6 आरोपी अभी भी जेल में ही हैं.
3 दिसंबर, 2018 को बुलंदशहर के स्याना में हुई हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और स्थानीय युवक सुमित की मौत हो गई थी. यह घटना तब हुई, जब उस क्षेत्र में कथित गौ-हत्या के खिलाफ भीड़ विरोध प्रदर्शन कर रही थी.
गोकशी के संदेह के बाद भीड़ ने हिंसक रूप धारण कर लिया था. इसके बाद उग्र भीड़ की पुलिस के साथ झड़प हो गई थी. इस हिंसक झड़प में भीड़ ने एक पुलिस कोतवाली सहित कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था.
हिंसा के कुछ दिन बाद शिखर अग्रवाल को पुलिस ने गिरफ्तार किया थाय मार्च 2019 में, मामले की जांच के लिए एसआईटी भी गठित की गई थी. एसआईटी ने लोकल कोर्ट में 38 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. 38 में से 5 पर इंस्पेक्टर की मौत का आरोप है.
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