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नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते और पश्चिम बंगाल बीजेपी के उपाध्यक्ष चंद्र बोस ने कहा कि नागरिकता के मुद्दे पर सत्ताधारी और विपक्षी दलों, दोनों की ही तरफ से 'भय का माहौल' उत्पन्न किया जा रहा है. उन्होंने केंद्र से आग्रह किया कि संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के तहत मुस्लिमों को भी नागरिकता दी जानी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार को मुद्दे पर एक लिखित स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए.
बोस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह साफ कर चुके हैं कि कानून धर्म आधारित नहीं है. उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ दूसरे नेताओं के बयानों से भ्रम उत्पन्न हो रहा है. बोस ने कहा, 'इससे निपटने के लिए, मेरा मानना है कि नए कानून में ये शामिल किया जाना चाहिए कि CAA धर्म आधारित नहीं है... और मुसलमानों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए.'
बोस ने इससे पहले भी सीएए में मुसलमानों को शामिल किए जाने की पैरवी की थी. उन्होंने पिछले महीने ट्वीट किया था, 'अगर CAA 2019 का संबंध किसी धर्म से नहीं है तो हम केवल हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों और पारसियों का ही उल्लेख क्यों कर रहे हैं? मुसलमानों को भी शामिल क्यों नहीं करते? पारदर्शिता होनी चाहिए.'
देशभर में CAA, NRC और NPR के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी हैं. दिल्ली के शाहीन बाग में महिलाओं को इसके खिलाफ प्रदर्शन करते हुए एक महीने से ज्यादा हो चुके हैं. मुंबई, बेंगलुरू और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी लोग विरोध कर रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर, केरल और पंजाब सरकार ने CAA के खिलाफ प्रस्ताव पास किया है.
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