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दरियागंज हिंसा: ‘कोई खाने आया था, कोई काम पर- पुलिस ने सबको उठाया’

दरियागंज में हुई हिंसा के बाद लोगों से बातचीत करने पहुंचा क्विंट

आदित्य मेनन
भारत
Published:
दरियागंज में हुई हिंसा के बाद लोगों से बातचीत करने पहुंचा क्विंट
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दरियागंज में हुई हिंसा के बाद लोगों से बातचीत करने पहुंचा क्विंट
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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दिल्ली का लोकनायक हॉस्पिटल, ग्राउंड फ्लोर पर आधी रात को एक रोती रुकसाना जिसके पति के सिर पर गंभीर चोट आई है. पुलिस के लाठीचार्ज में उसका पति बुरी तरह घायल हुआ. दिल्ली के दरियागंज में हिंसक प्रदर्शन के बाद कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. इस महिला को उसके पति से मिलने नहीं दिया जा रहा था. क्योंकि पुलिस ने हॉस्पिटल के अंदर कई रास्ते बंद कर दिए थे. जिससे लोग अपनों से ही नहीं मिल पा रहे थे.

रुकसाना किसी तरह लोकनायक हॉस्पिटल के पांचवे माले तक पहुंची, लेकिन बंद दरवाजे को पीटते-पीटते उलटे पांव वापस लौट गई. भले ही उस वक्त रुकसाना की आंखों में आंसू हों, लेकिन सुबह वो अपने पति के साथ घर पर मुस्कुरा रही थी. रुकसाना ने बताया,

“मेरे पति सुबह-सुबह नए कपड़े पहनकर नमाज पढ़ने के लिए निकले, जिसके बाद उन्हें प्रदर्शन में शामिल होना था. वो घर से निकलते हुए काफी खुश थे, उन्होंने कहा कि ये प्रदर्शन हमारे लिए काफी जरूरी है.”

रुकसााना के पति सादिक को सिर पर गंभीर चोट आई है और इसकी वजह से उसे अगले कुछ दिन तक हॉस्पिटल में ही रहना पड़ेगा. लेकिन उसकी गैरमौजूदगी में परिवार को पालने वाला कोई नहीं है. सादिक अकेला कमाने वाला है. जो भी रुकसाना से बात करने जाता वो उससे सिर्फ एक ही सवाल पूछती- "क्या वो ठीक हो जाएंगे?"

आखिरकार मिल गई खुशी

लेकिन नसीमा के लिए शुक्रवार की शाम इतनी बुरी नहीं थी. दिनभर चिंता और परेशान रहने के बाद उसे शाम को खुशी मिल गई. नसीमा अपनी सास और अपने छोटे बच्चे को गोद में लिए दरियागंज थाने के बाहर खड़ीं अपने पति का इंतजार कर रही थी, उसका इंतजार खत्म हुआ और पति इमरान को पुलिस ने छोड़ दिया.

लेकिन इमरान ने थाने से बाहर निकलते ही जो सबसे पहला काम किया वो था अपनी छोटी बेटी को गोद में लेना. जिसके बाद पूरा परिवार एक साथ घर की ओर चल पड़ा. परिवार ने कहा- अब हम घर जाना चाहते हैं.

ऐसे हिरासत में लिए गए लोग

इमरान उन 50 लोगों में शामिल था, जिन्हें पुलिस ने प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिया. इनमें से ज्यादातर लोगों को शनिवार सुबह छोड़ दिया गया. लेकिन हिरासत में लिए गए हर शख्स के पास एक अलग कहानी है. मुस्तफाबाद के रहने वाले मोहम्मद शोएब ने बताया,

“मैं दरियागंज के पास सड़क से गुजर रहा था, तभी एक प्राइवेट बस के पास खड़े एक पुलिसकर्मी ने मुझे कहा कि हम तुम्हें जमुना पर छोड़ देंगे. हमें घर जाना था इसलिए हम चुपचाप बस में चढ़ गए. हमनें सोचा कि पुलिस हमारी मदद कर रही है, लेकिन पुलिस हमें थाने ले गई.”
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इसी इलाके से हिरासत में लिए गए अकमल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. अकमल ने बताया,

“मैं दरियागंज के जहांगीर रेस्टोरेंट में अक्सर खाना खाने आता हूं. खासतौर पर शुक्रवार को. जब मैं रेस्टोरेंट से खाना खाकर बाहर निकल रहा था तो पुलिस ने मुझे पकड़ लिया. मुझे कोई अंदाजा नहीं था कि क्या हो रहा है. “

वहीं हिरासत में लिए गए एक और शख्स इजहर ने बताया कि उसका प्रदर्शन से कोई भी लेना देना नहीं था. उसने बताया कि वो मार्केटिंग की नौकरी करता है और उसके सिलसिले में इस इलाके में आता है.

दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप

ज्यादातर लोगों का कहना था कि पुलिस ने हिरासत में लिए जाने के दौरान उनसे मारपीट नहीं की, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन्हें पीटा.

हिरासत में लिए गए शख्स सलीम ने आरोप लगाया कि एक पुलिसवाले ने उसे बेल्ट से पीटा. उसे इतना पीटा गया कि वो ठीक से चल नहीं पा रहा. सलीम अपने परिजन जो उसे लेने आए थे उनके सहारे से गाड़ी तक पहुंचा. दूसरे शख्स इकरमुद्दीन ने बताया पुलिस ने उसे लाठियों से मारा. यहां तक हिरासत में लिए गए दो लोगों ने पुलिस पर ये भी आरोप लगाया कि उन्हें जय श्री राम बोलने पर मजबूर किया गया.

हिरासत में लिए गए शख्स ने बताया कि एक पुलिसवाले ने उसे जय श्री राम कहने को बोला और पीटना शुरू कर दिया. उसके साथी उसे रोकने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वो काफी गुस्से में था.

क्विंट ने दिल्ली पुलिस पर लगे इन सभी आरोपों पर पुलिस का पक्ष जानने के लिए दिल्ली पुलिस के पीआरओ और सेंट्रल दिल्ली के डीसीपी एमएस रंधावा से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया. 

नाबालिग भी घायल

एक व्यक्ति ने आरोप लगाया कि अचानक एक पुलिस वाला उस पर चिल्लाने लगा. उसने कहा- तुम्हें आजादी चाहिए? मैं तुम्हें आजादी देता हूं. जिसके बाद पुलिसकर्मी उसे पकड़कर ले गया. वहीं एनएनजेपी हॉस्पिटल में एक नाबालिग भी भर्ती था, उसने बताया कि पुलिस ने उसे मारा है. जिससे उसके सिर पर चोट आई है.

क्विंट ने देखा कि नाबागिल हॉस्पिटल के एक बेड पर लेटा है, उसके आसपास कोई परिजन नहीं था बल्कि कुछ पुलिसकर्मी खड़े दिखे. उसके कपड़ों पर खून के दाग थे और वो ठीक से चलने की हालत में भी नहीं था.

इस नाबालिग के पिता ने क्विंट को बताते हुए दावा कि पुलिस ने उसे एक कागज पर साइन करने को कहा जिसमें लिखा था कि उनका बेटा बिल्कुल ठीक है. उन्होंने कहा कि कैसे वो इस पर साइन कर सकते थे जब उनके बेटे को कई चोटें आई हैं.

शुक्रवार को दरियागंज में हुए प्रदर्शन के दौरान सिर्फ आम लोग ही घायल नहीं हुए बल्कि ये प्रदर्शन पुलिसवालों के लिए भी काफी बुरा रहा. इसमें कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए, जिनका इलाज भी एनएनजेपी हॉस्पिटल के तीसरे फ्लोर में चल रहा है.

एक पुलिस कॉन्स्टेबल ने क्विंट से बात करते हुए बताया कि उसके साथी के सिर पर काफी गहरा घाव हुआ है. उसकी आंख पर भी चोट लगी है. उसने बताया कि कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.

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