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भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत के छह महीने बाद, भारत सरकार ने संशोधन कर इस पद के लिए लिए पात्र अधिकारियों के दायरे को बढ़ा दिया है. इस संबंध में रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार, 7 जून को नई गाइडलाइंस जारी कर दिए हैं. चलिए जानते हैं पात्रता नियम (CDS selection pool widened) को कैसे बदला गया है.
नए नियम के अनुसार 62 वर्ष से कम आयु का कोई भी सेवारत या रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल और वाइस एडमिरल चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के लिए पात्र होंगे.
नए नियम रूप से चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पद के लिए अब तीनों सेवाओं के दूसरे सर्वोच्च सक्रिय रैंक के अधिकारियों के लिए दरवाजे खोलता है. यानी अब वे संभवतः अपने सीनियर्स - थल सेना, वायु सेना या नौसेना के प्रमुख को पीछे छोड़ते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त हो सकते हैं.
सरकार ने सोमवार, 6 जून को किसी भी सेवारत या रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल या वाइस एडमिरल को CDS के रूप में नियुक्त करने का प्रावधान करने के लिए वायु सेना अधिनियम, सेना अधिनियम और नौसेना अधिनियम में संशोधन किया और अलग-अलग अधिसूचना जारी की है.
नए नियम का मतलब है कि CDS पद के लिए सेना में सभी लेफ्टिनेंट जनरल और नौसेना और वायु सेना में समकक्ष अधिकारी जो जून 2020 के बाद रिटायर्ड हुए हैं, पात्र होंगे.
इसका मतलब यह भी है कि जनरल एमएम नरवणे, जो अप्रैल में 62 साल के होने पर सेना प्रमुख के रूप में रिटायर हुए थे, अब उनके नाम पर विचार नहीं किया जाएगा. खास बात है कि दिसंबर में जनरल बिपिन रावत की दुखद मृत्यु के बाद CDS पद खाली होने के बाद से जनरल नरवणे को अगले सीडीएस की रेस में सबसे आगे माना जा रहा था.
इसके अलावा एडमिरल करमबीर सिंह, जो नवंबर 2021 में नौसेना प्रमुख के रूप में रिटायर हुए, और एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, जो सितंबर 2021 में IAF प्रमुख के रूप में रिटायर हुए, भी CDS पद के पात्र नहीं होंगे.
CDS पद पर 4 स्टार अधिकारियों की जगह एक सेवारत या रिटायर्ड 3 स्टार अधिकारी की नियुक्ति असंतोष पैदा कर सकती है. यहां तक कि तीनों सेना प्रमुख पदों के लिए, आमतौर पर सेवा के सबसे वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त किया जाता है, लेकिन यह एक परंपरा है, नियम नहीं. और इसके अपवाद भी हैं.
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