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वैक्सीन की अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट को कैसे गुमराह कर रही केंद्र सरकार ?

वैक्सीन को लेकर राज्यों द्वारा की गई अनिवार्यता पर केंद्र सरकार ने अबतक कोई संज्ञान नहीं लिया है.

FAIZAN AHMAD
भारत
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भारत में 21 जून को COVID Vaccine के 85 लाख डोज दिए गए
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भारत में 21 जून को COVID Vaccine के 85 लाख डोज दिए गए
(फोटो: Altered by Quint)

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केंद्र सरकार ने 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा कि केंद्र ने कोविड 19 वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) लगवाना अनिवार्य नहीं किया है. और न ही किसी भी उद्देश्य के लिए वैक्सीन सर्टिफिकेट (Vaccine Certificate) दिखाना अनिवार्य है.

केंद्र सरकार ने यह जवाब सुप्रीम कोर्ट में जारी जनहित याचिका (PIL) के जवाब में दिया है. इस जनहित याचिका को डॉ जैकब पुलियेल जो की राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह टीकाकरण के पूर्व सदस्य है, उन्होंने दायर किया था.

याचिका में कहा गया कि कई राज्य केंद्र के इस आदेश का उललंघन कर रहे हैं. केंद्र सरकार के बयान के उलट दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, असम, हरियाणा जैसे राज्यों में कोविड वैक्सीन सर्टिफिकेट को कई अलग-अलग उद्देश्यों के लिए अनिवार्य किया गया है.

हम आपको ऐसी ही राज्यों के उन नियमों के बारे में बताते हैं जिसकी वजह से नागरिकों का वैक्सीन लगवाना अनिवार्य हो जाता है. इनमे से कुछ राज्यों में केंद्र में 'बीजेपी' के नेतृत्व में शासन कर रही पार्टी की ही सरकार है. वैक्सीन को लेकर इन सभी राज्यों द्वारा की गई अनिवार्यता पर केंद्र सरकार ने अबतक कोई संज्ञान नहीं लिया है न ही राज्यों को ऐसा करने से रोकने की कोई कोशिश की गई है.

उत्तर प्रदेश में वैक्सीन को लेकर होती जबरदस्ती

सबसे पहले बात करते हैं उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की जहां वैक्सीन को लेकर जबरदस्ती की ऐसी घटनाएं सामने आई जो शायद किसी और प्रदेश में नहीं देखी गई . रिपोर्ट के अनुसार 19 जनवरी को सहारनपुर जिले के चकवाली गांव को इसलिए सील कर दिया गया, क्योंकि वहां कुछ लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी.

उत्तर प्रदेश में वैक्सीन को लेकर होती जबरजस्ती

गांव के प्रवेश द्वार पर पुलिस का पहरा बिठाया गया और आदेश दिया गया कि वैक्सीन का सर्टिफिकेट दिखानेवालों को ही गांव से बाहर निकलने दें.

यह आदेश केंद्र के उस दावे को मुंह चिढ़ाता है जिसमे सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि वैक्सीन सर्टिफिकेट की किसी उद्देश्य के लिए अनिवार्यता नहीं है.

कोरोना वैक्सीन न लगवाने की सजा, सहारनपुर के एक पूरे गांव को ही कर दिया सील

आदेश में यह भी कहा गया है कि जबतक गांव में शत प्रतिशत वैक्सीन नहीं लग जाती तब तक पुलिस की नाकेबंदी खत्म नहीं की जाएगी. अब अगर वैक्सीन को लेकर यह जबरदस्ती नहीं तो क्या है?

20 जनवरी को दो वीडियो वायरल हुआ, जिसमें देखा गया कि उत्तर प्रदेश के बलिया में वैक्सीन ना लगवाने की जद में एक युवक पेड़ पर चढ़ गया तो एक अन्य युवक हाथापाई पर उतर आया, लेकिन बाद में दोनों को समझा कर वैक्सीन लगवाई गई.

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बिना वैक्सीन सार्वजानिक स्थलों पर रोक

असम, हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब, महारष्ट्र जैसे कुछ अन्य राज्यों ने बिना वैक्सीन के सार्वजानिक स्थलों पर प्रवेश करने की अनुमति नहीं है. इन सार्वजानिक स्थलों में मॉल, जिम, सरकारी मंडिया, अनाज बाजार, और स्थानीय बाजार शामिल है.

"जिन्हें पूरी तरह से टीका नहीं लगाया गया है, उन्हें से जिला अदालतों, होटलों, बाजारों आदि जैसे सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. असम में अभी लॉकडाउन की स्थिति नहीं है, लेकिन मास्क पहनना अनिवार्य है."
हिमंत बिस्वा सरमा, असम के मुख्यमंत्री, 15 जनवरी

यानी अगर ऐसी जगहों पर प्रवेश चाहिए तो वैक्सीन लगवानी ही होगी. इनमें से हरियाणा, मध्यप्रदेश, असम, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बीजेपी कि सरकार है, वही भारतीय जनता पार्टी जिसकी केंद्र में भी सरकार है. केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से कहती है कि वैक्सीन सर्टिफिकेट साथ रखने की कोई अनिवार्यता नहीं है. जबकि बीजेपी शासित यह राज्य सरकारें आदेश देती हैं के वैक्सीन नहीं तो सार्वजानिक स्थलों पर प्रवेश भी नहीं.

सिर्फ बीजेपी शासित राज्य ही नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी द्वारा शासित पंजाब, और राजस्थान जैसे राज्यों में भी कोविड वैक्सीन का टीका लगवाने का ना सिर्फ आग्रह किया जा रहा है, बल्कि जबरन टीका लगवाने की तमाम नीतियां भी बनाई जा रही है.

कोरोना टीकाकरण जल्द ही अनिवार्य किया जाएगा, राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी टीका लगवाने से मना न करे. वैक्सीनेशन अनिवार्य करने के लिए जल्द ही दिशा-निर्देश भी जारी किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि 31 जनवरी, 2022 तक सभी वैक्सीन की दूसरी डोज आवश्यक रूप से लगवाएं और जिला कलेक्टर्स शत-प्रतिशत वैक्सीनेशन सुनिश्चित करें.
अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री, राजस्थान, 25 दिसंबर 2020 को हुई समीक्षा बैठक में

राजस्थान: वैक्सीनेशन को अनिवार्य बनाने के लिए सरकार जारी करेगी नए निर्देश

इन सभी राज्यों में कोविड वैक्सीन की अनिवार्यता को लेकर सीधा आदेश नहीं जारी किया गया है बल्कि ऐसी नीतियां बनाई गई है जिससे वैक्सीन लगवाना एक निजी फैसला नहीं बल्कि मजबूरी बन जाता है. केंद्र सरकार ने अबतक इनमे से किसी भी राज्य को अपने आदेश पर विचार करने या उसे बदलने का कोई अनुरोध नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट में राज्य के इन आदेशों के खिलाफ ही याचिका दायर की गई है.

वैक्सीन नहीं तो राशन नहीं, तनखाह नहीं

अगर आप सोच रहें है इन राज्यों के यह आदेश सिर्फ सार्वजानिक स्थलों पर रोक तक सीमित है तो यह एक भूल होगी. क्योंकि कुछ राज्य सरकारें वैक्सीन को लेकर काफी अग्ग्रेसिव एप्रोच भी इस्तेमाल कर रहीं है.

मिसाल के तौर पर पंजाब सरकार ने 22 दिसंबर को एक बयान जारी कर कहा कि पंजाब के सरकारी कर्मचारियों को उनका वेतन नहीं मिलेगा अगर वो अपना वैक्सीन प्रमाण पत्र नहीं देते हैं. चाहे सरकारी कर्मचारियों ने एक डोज ली हो या दोनों डोज ले चुके हों, लेकिन अगर उन्हें अपना वेतन चाहिए तो उन्हें पंजाब सरकार के जॉब पोर्टल पर इसका प्रमाण पत्र अपलोड करना होगा.

इसके सिवा राजस्थान में सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले लोगों के लिए भी कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज लेना अनिवार्य होगा. राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री, परसादी लाल मीणा ने यह जानकारी पिछले साल नवंबर में दी थी.

पिछले महीने मध्य प्रदेश के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग ने एक आदेश जारी किया जिसमें कहा गया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत लाभार्थियों को कोविड -19 टीकाकरण के सबूत के बिना सब्सिडी वाला राशन नहीं मिलेगा.

देशभर के कई राज्यों में इस तरह की नीतिया बनाई गई. कर्नाटक के चामराजनगर में भी "नो वैक्सीन, नो राशन" कैम्पैन चलाने की मौखिक बात कही गई.

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने क्या कहा

सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर केंद्र सरकार ने कहा की,

"यह विनम्रतापूर्वक पेश किया जाता है कि भारत सरकार और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश,

संबंधित व्यक्ति की सहमति लिए बिना किसी जबरन टीकाकरण की परिकल्पना न करें. यह भी विनम्रतापूर्वक पेश किया जाता है कि

चल रही महामारी की स्थिति को देखते हुए COVID-19 के लिए टीकाकरण बड़े जनहित में है. यह सलाह दी जाती है, विज्ञाप्ति और विभिन्न प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से सूचित किया गया है कि सभी नागरिकों को टीकाकरण और सिस्टम और प्रक्रियाएं मिलनी चाहिए. हालांकि, किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध टीकाकरण के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है."

COVID 19 Vaccine

(फोटो: Altered By Quint Hindi)

इसके साथ ही केंद्र ने यह भी बताया कि वैक्सीन सर्टिफिकेट की अनिवार्यता किसी भी उद्देश्य के लिए नहीं रखी गई है. लेकिन कोर्ट के बहार वैक्सीन को लेकर जबरदस्ती कर रही राज्यों पर भी केंद्र सरकार खामोश है. कोर्ट के अंदर हलफनामे में कुछ और और कोर्ट के बाहर वैक्सीन से लेकर सर्टिफिकेट की अनिवार्यता पर खामोशी दर्शाता है की या तो केंद्र सरकार खुद गुमराह है या फिर सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश में है.

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