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"मेरी हत्या की जा सकती है", मंत्री छगन भुजबल का दावा, कहा- 'मैं मराठा विरोधी नहीं'

छगन भुजबल ने कहा कि उन्हें कथित तौर पर मराठा समुदाय के लोगों से रोजाना फोन पर गालियां और धमकियां मिल रही हैं.

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"मेरी हत्या की जा सकती है": मंत्री छगन भुजबल बोले- 'मैं मराठा विरोधी नहीं'

 (फाइल फोटो: छगन भुजबल/X)

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महाराष्ट्र (Maharashtra) के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने दावा किया कि उनकी हत्या की जा सकती है. सुरक्षा पर एक पुलिस खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए,भुजबल ने बुधवार (13 दिसंबर) को राज्य विधानसभा में दावा किया कि एक पुलिस इनपुट है कि उन्हें गोली मार दी जा सकती है और उन्हें पिछले दो महीनों से धमकियां मिल रही हैं.

"छवि 'मराठा विरोधी' बनाने की कोशिश"

नागपुर में चल रहे शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में बोलते हुए भुजबल ने कहा कि उनकी छवि "मराठा विरोधी" के रूप में बनाने की कोशिश की जा रही है और वह मराठा समुदाय के लिए आरक्षण के विरोधी नहीं हैं.

'मुझे निशाना बनाया जा रहा'

भुजबल ने कहा कि उन्हें इस तथ्य के बावजूद निशाना बनाया जा रहा है कि वह भी सभी पार्टियों की तरह यही रुख अपना रहे हैं कि मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे से आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए.

मनोज जारांगे पाटिल (मराठा आरक्षण कार्यकर्ता) का कहना है कि वह भुजबल का ख्याल रखेंगे. परोक्ष रूप से धमकियां दी जा रही हैं. फिर अचानक मेरी पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई. जब मैंने कारण पूछा तो बताया गया कि खुफिया एजेंसियों से इनपुट था. पुलिस रिपोर्ट है कि मुझे गोली मार दी जा सकती है. इसलिए सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
छगन भुजबल, मंत्री, महाराष्ट्र

'फोन पर रोजाना धमकियां मिल रही'

मंत्री ने कहा कि उन्हें कथित तौर पर मराठा समुदाय के लोगों से रोजाना फोन पर गालियां और धमकियां मिल रही हैं और उन्होंने पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है, लेकिन कार्रवाई की गई है.

'मैं मरने के लिए तैयार हूं'

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, छगन भुजबल ने कहा, "अब 24 दिसंबर को भुजबल नॉलेज सिटी, भुजबल फार्म कार्यालय पर हमले पर एक सोशल मीडिया पोस्ट प्रसारित किया जा रहा है (मनोज जरांगे पाटिल द्वारा मराठों को आरक्षण की घोषणा करने के लिए सरकार को दिए गए अल्टीमेटम का आखिरी दिन). इसका मतलब है कि हम पर दोबारा हमले की तैयारी हो रही है. मैं मरने के लिए तैयार हूं. मराठों को आरक्षण दो और इस भीड़तंत्र को बंद करो, मैं बस यही कह रहा हूं. आज भुजबल होंगे. कल कोई और होगा. क्या आप (सरकार) चुप रहने वाले हैं? क्या आप बस देखते ही रहोगे? यह महाराष्ट्र से मेरा प्रश्न है."

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'सरकार सभी को सुरक्षा देने के लिए तैयार'

वहीं, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिवसेना नेता (शिंदे गुट) उदय सामंत ने कहा, "सदन के सदस्यों और सदन के बाहर के लोगों की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है. हमारा गृह विभाग छगन भुजबल से बात करने के बाद आवश्यक कार्रवाई करेगा क्योंकि यह सरकार सभी को सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैयार है. सीएम मराठा आरक्षण पर जल्द से जल्द जवाब देंगे."

पिछले महीने, भुजबल ने मराठा आरक्षण आंदोलन से निपटने के तरीके को लेकर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया था और मराठा कार्यकर्ताओं के साथ उसकी "सौदेबाजी" पर सवाल उठाया था. मंत्री जारंगे पाटिल की मांग पर सभी मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के सरकार के फैसले का विरोध करने के लिए ओबीसी समुदाय की रैलियों को संबोधित कर रहे.

पिछले कुछ हफ्तों से पाटिल और भुजबल के बीच जुबानी जंग चल रही थी.

'मैं चाहता हूं कि मराठों को आरक्षण मिले'

उन्होंने मराठों को आरक्षण के मुद्दे पर चर्चा के दौरान कहा, "मेरे लिए सभी समुदाय समान हैं. लेकिन भुजबल को मराठा विरोधी के तौर पर पेश किया जा रहा है. मैं मराठों या किसी भी जाति का विरोधी नहीं हूं. मैं चाहता हूं कि मराठों को आरक्षण मिले. जब मराठा आरक्षण विधेयक दो बार विधानसभा में पेश किया गया, तो मैंने इसका समर्थन किया. हर कोई ओबीसी कोटा को छुए बिना मराठा समुदाय को आरक्षण देने की बात कर रहा है. मैं भी यही कह रहा हूं लेकिन फिर भी मैं निशाना बन रहा हूं."

सरकार को अन्य पिछड़ा वर्ग बहुजन कल्याण विभाग के तहत आने वाली संस्था महात्मा फुले रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (महाज्योति) को उसी तरह फंड मुहैया कराना चाहिए, जिस तरह वह अन्य संस्थानों को फंड दे रही है.
छगन भुजबल, मंत्री, महाराष्ट्र

भुजबल ने यह भी बताया कि महाज्योति के लिए आज तक 1000 करोड़ रुपये भी आवंटित नहीं किये गये हैं.

उन्होंने कहा कि ओबीसी छात्रों के लिए घोषित 72 छात्रावासों को तत्काल खोलने और समुदाय के छात्रों को स्वाधार के आधार पर 6,000 रुपये प्रति माह मिलने की भी मांग की.

“सबूत” का हवाला देते हुए, मंत्री ने यह भी कहा कि सरकारी नौकरियों में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत होने के बावजूद केवल 9.5 प्रतिशत है, जबकि मांग की गई कि ओबीसी के रिक्त पदों का बैकलॉग पहले भरा जाना चाहिए.

जातीय जनगणना कराने की मांग

उन्होंने कहा कि सभी की मांग है कि आरक्षण के मुद्दे को सुलझाने के लिए जातीय जनगणना कराई जाए. उन्होंने कहा, "राज्य में तदनुसार जनगणना कराई जानी चाहिए."

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