Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019चीन में 3 बच्चों की इजाजत, क्या भारत को है आबादी कंट्रोल की जरूरत?

चीन में 3 बच्चों की इजाजत, क्या भारत को है आबादी कंट्रोल की जरूरत?

हाल ही में लक्षद्वीप में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए 2 बच्चे की सीमा का प्रस्ताव लाया गया

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>क्या भारत को है आबादी कंट्रोल की जरूरत?</p></div>
i

क्या भारत को है आबादी कंट्रोल की जरूरत?

(फोटो-अलटर्ड बाई द क्विंट)

advertisement

सोमवार को चीन के शीन जिनपिंग सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए बताया कि अब उनके देश में कपल 3 बच्चे पैदा कर सकते हैं. इसके पहले 2016 में भी बीजिंग ने तेजी से बुजुर्ग होती आबादी से अर्थव्यवस्था के जोखिम को दूर करने के लिए अपने दशकों पुराने 'वन चाइल्ड पॉलिसी' को 'टू चाइल्ड पॉलिसी' में बदल दिया था.

हाल ही में लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल पटेल ने पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अधिकतम 2 बच्चे की सीमा रखने का प्रस्ताव लाया है. सवाल है कि क्या भारत की आर्थिक जरूरतों, घटते प्रजनन दर और चीन के अनुभव के बाद भारत में आबादी नियंत्रण के लिए किसी सख्ती की जरूरत है?

सख्त चाइल्ड पॉलिसी का चीनी अनुभव और भारत से तुलना

हाल ही में जारी चीन की जनगणना के अनुसार 2010 से 2020 के बीच वहां की औसत वार्षिक जनसंख्या वृद्धि दर कम होकर 0.53% हो गई जो कि पिछले दशक 2000-2010 के बीच 0.57% थी.इसका नतीजा हुआ कि चीनी जनसंख्या में बुजुर्गों (60 साल से ऊपर) का शेयर लगातार बढ़ता जा रहा है.चीन में 2010 में जहां कुल जनसंख्या में बुजुर्गों का शेयर 13.26% था वहीं 2020 में यह बढ़कर 18.7% हो गया. इसी का परिणाम है चीन में घटती वर्किंग ऐज पॉपुलेशन.

दूसरी तरफ पहले से बेहतर होती मेडिकल सुविधाओं के कारण भारत की जनसंख्या में भी बुजुर्गों का शेयर तो बढ़ा है लेकिन इतनी ज्यादा गति से नहीं कि इससे वर्किंग ऐज पॉपुलेशन पर नकारात्मक प्रभाव पड़े. यह हिस्सा 2001 में 7.4% से 2011 में 8.6% तक ही बढ़ा. और 2021 में भी इसके 10.1% तक ही बढ़ने का अनुमान है.

स्रोत-इंडिया इकनॉमिक सर्वे 2021,रिपोर्ट ऑन पॉपुलेशन प्रोजेक्शन्स फॉर इंडिया एंड स्टेट्स ,चीन की 5वीं जनगणना

भारत में 2021-31 के बीच वर्किंग ऐज इज पॉपुलेशन के लगभग 97 लाख प्रति साल और 2031-41 के बीच लगभग 42 लाख प्रति साल बढ़ने का अनुमान है.

भारत में घटती प्रजनन दर

भारत में अभी प्रजनन दर 2.2 है. भारत में सख्त चाइल्ड पॉलिसी लाने के खिलाफ एक और तर्क है- लगातार घटती प्रजनन दर. पिछले 5 वर्षों में भारत के अधिकतर राज्यों के कुल प्रजनन दर(TFR) में गिरावट देखी गई है, विशेषकर शहरी महिलाओं में. यह तथ्य 13 दिसंबर 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं जन कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी लेटेस्ट नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में सामने आया है.

इसके डेटा के अनुसार सिक्किम में सबसे कम TFR रिकॉर्ड किया गया ,जहां औसतन एक महिला 1.1 बच्चे को जन्म देती है.दूसरी तरफ बिहार में सबसे ज्यादा TFR रिकॉर्ड किया गया, जहां एक महिला औसतन 3 बच्चे को जन्म देती है. सर्वे किए गए 22 राज्यों में से 19 राज्यों में TFR "बिलो रिप्लेसमेंट फर्टिलिटी" पाया गया.

बिलो रिप्लेसमेंट फर्टिलिटी: प्रजनन दर से ज्यादा मृत्यु दर की स्थिति. ऐसी स्थिति में जनसंख्या वृद्धि दर नकारात्मक रहती है, जिसके कारण आगे जनसंख्या में गिरावट देखी जाती है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

राष्ट्रीय स्तर पर सख्त चाइल्ड पॉलिसी लाना मुश्किल

भारत में 1994 में 'इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन पॉपुलेशन एंड डेवलपमेंट डिक्लेरेशन' पर हस्ताक्षर किया है,यानी भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से यह प्रतिबद्धता जाहिर की है कि वह कपल्स के व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान करेगा कि वे स्वतंत्र रूप से कितना बच्चा पैदा करना चाहते हैं और अपने बच्चों के जन्म के बीच कितना अंतर रखना चाहते हैं. इसके अलावा भारत की राजनीतिक व्यवस्था भी चीन की तरह सख्त चाइल्ड पॉलिसी के अनुकूल नहीं है.

यही कारण है कि आज तक जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए कोई केंद्रीय विधेयक नहीं लाया गया है. 16वीं लोकसभा में,वर्तमान में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था.लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव के कारण वह रद्द हो गया.

भारत में जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण का पहला प्रयास नेहरू सरकार द्वारा 1951 में हुआ था जब उन्होंने लोगों को फैमिली साइज छोटा रखने के लिए जागरूकता फैलाने पर ध्यान दिया था. बाद में आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार ने 1970 के दशक में 'टू चाइल्ड पॉलिसी' को कठोरता से लागू करना शुरू किया.यह कारण रहा लोगों का उनके प्रति नाराजगी का. 1980 के दशक में भारत ने 'हम दो हमारे दो' के नारे के साथ मास कैंपेन शुरू करके बिना सख्त चाइल्ड पॉलिसी लाए प्रजनन दर को पहले से कम किया.

इसके विपरीत राज्य स्तर पर 'टू चाइल्ड पॉलिसी' का प्रयास किया जाता रहा है.

राज्य स्तर पर प्रयास

मुख्यतः स्थानीय पंचायत चुनाव लड़ने और राज्य सेवा में नियुक्ति के शर्त के रूप में कुछ राज्यों ने 'टू चाइल्ड पॉलिसी' लागू करने का प्रयास किया है.

  • हाल ही में लक्षद्वीप प्रशासन ने पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अधिकतम 2 बच्चे की सीमा रखने का प्रस्ताव लाया जिसका काफी विरोध हो रहा है.आलोचकों का आरोप है कि लक्षद्वीप में प्रशासक प्रफुल पटेल द्वारा यह कदम इस आधार पर उठाया जा रहा है कि यहां मुस्लिम समुदाय(93%से ज्यादा)की आबादी बढ़ रही है जबकि यहां का TFR राष्ट्रीय औसत से भी क
वाट्सएप युनिवर्सिटी में भी यह आधारहीन बात चलती रहती है कि भारत में मुस्लिम समुदाय की आबादी इतनी तेजी से बढ़ रही कि भारत मुस्लिम राष्ट्र बन जायेगा. बिहार से बीजेपी MLA भूषण ठाकुर ने हाल ही में विवादास्पद बयान दिया था कि “मुस्लिमों में प्रजनन दर अधिक है वह भारत को इस्लामिक स्टेट बनाना चाहते हैं”.जबकि तथ्य यह है कि 2001 से 2011 के बीच मुस्लिम आबादी का ग्रोथ रेट 5% तक गिरा जबकि हिंदू आबादी में 3%.
  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 1994 का पंचायती राज कानून किसी भी उस नागरिक को पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अयोग घोषित करता है जिसके 2 से ज्यादा बच्चे हैं.
  • महाराष्ट्र ने भी 2 से ज्यादा बच्चों वाले नागरिकों को पंचायत और नगरपालिका चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर रखा है. साथ ही महाराष्ट्र सिविल सर्विस( डिक्लेरेशन ऑफ स्मॉल फैमिली) रूल ,2005 दो से ज्यादा बच्चों के मां-बाप को राज्य सेवा में नियुक्ति के लिए आयोग घोषित करता है.
  • राजस्थान का 1994 में लाया पंचायत राज एक्ट दो से ज्यादा बच्चों वाले नागरिकों को पंचायत चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करता है.
  • गुजरात में भी 2005 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने लोकल अथॉरिटी एक्ट में संशोधन करके दो से अधिक बच्चों वाले नागरिकों को पंचायत, नगर पालिका और मुंसिपल कॉरपोरेशन में चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर रख दिया है.
  • इसी तरह के प्रतिबंध मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ ,उड़ीसा में भी है.

सबसे जरूरी बात यह है कि 'टू चाइल्ड पॉलिसी' को लाना अगर संभव हो तब भी इसका मतलब यह नहीं कि यह व्यवहारिक भी होगा. भारत को वर्किंग ऐज पॉपुलेशन की सख्त जरूरत है.जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए सख्त चाइल्ड पॉलिसी की जगह जागरूकता बढ़ाना ज्यादा व्यवहारिक है, जिससे अचानक से भारत की वर्किंग ऐज पॉपुलेशन पर बुजुर्ग आबादी का भार नहीं बढ़े. जरूरत है 'ह्यूमन' को 'ह्यूमन रिसोर्स' में बदलने की. इसके लिए युद्ध स्तर पर कौशल निर्माण के साथ-साथ नए रोजगारों के सृजन की जरूरत होगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 01 Jun 2021,04:49 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT