Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मुंबई: मिल्क कॉलोनी पर बंद का असर, पशुओं के लिए नहीं मिल रहा चारा

मुंबई: मिल्क कॉलोनी पर बंद का असर, पशुओं के लिए नहीं मिल रहा चारा

डेयरी मालिकों ने बताया कि ट्रांसपोर्ट मालिक चारा लाने के लिए दोगुना पैसा मांग रहे हैं

अंकिता सिन्‍हा
भारत
Updated:
डेयरी मालिकों ने बताया कि ट्रांसपोर्ट मालिक चारा लाने के लिए दोगुना पैसा मांग रहे हैं
i
डेयरी मालिकों ने बताया कि ट्रांसपोर्ट मालिक चारा लाने के लिए दोगुना पैसा मांग रहे हैं
(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

देशभर में 21 दिनों के लॉकडाउन का असर मुंबई की आरे मिल्क कॉलोनी पर दिखने लगा है. लॉकडाउन के कारण फैक्ट्रियों के बंद और गाड़ियों के नहीं चलने से इस मिल्क कॉलोनी के 17,000 से ज्यादा पशुओं के चारे की किल्लत हो रही है. पशुओं का खाना स्टॉक करना मुश्किल है. ऐसे में, इस मुश्किल हालात में सभी 365 डेयरी किसान पशुओं को चारा देने के लिए एक-दूसरे पर निर्भर हैं. आरे मिल्क कॉलोनी में डेयरी फार्म की कुल 30 यूनिट हैं.

डेयरी फार्म के मालिक राहिल सलीम नंदोलिया के पास करीब 250 पशु हैं और इन सभी के लिए उनके पास एक हफ्ते का चारा भी नहीं है.

“पशुओं के चारे को महाराष्ट्र और गुजरात के अंदरुनी इलाकों से लाया जाता है. क्योंकि बॉर्डर भी लॉकडाउन में है, इसलिए गाड़ियां नहीं चल रही हैं. हम तक पशुओं का चारा नहीं पहुंच रहा है. हम भैंसों को चार से पांच तरह का चारा मिलाकर देते थे, लेकिन अब ये मात्रा गड़बड़ा गई है. इस कारण, हम उन्हें सभी पोषक तत्व नहीं दे पा रहे हैं और इसका असर दूध पर पड़ रहा है.”
राहिल नंदोलिया, डेयरी फार्म के मालिक 

पशुओं के चारे को, जिसमें घास और अनाज मिला होता है, 10 दिनों से ज्यादा स्टॉक कर के रखना मुश्किल हैं, क्योंकि इसमें कीड़े पड़ने का डर रहता है. वहीं, डेयरी मालिकों को अंदाजा नहीं था कि अचानक से हुए इस लॉकडाउन के ऐलान का असर पशुओं के चारे पर पड़ेगा.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

डेयरी फार्म मालिक सुनील मिश्रा के पास पशुओं को खिलाने के लिए न घास बची है, और न चारा. हर पशु को करीब 18-20 किलो चारा देना होता है. ऐसे में, उनके पास डेयरी मालिकों से मांगने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.

“हर एक के पास एक निश्चित मात्रा में पशु आहार होता है, कुछ के पास 10 दिनों तक का है, कुछ के पास 5, कुछ के पास 2 और किसी के पास तो बिल्कुल नहीं है. जिनके पास बिल्कुल चारा नहीं है, वो अपने पड़ोसियों से मांगने को मजबूर हैं. क्योंकि हम सभी एक ही बिजनेस में हैं, हम आज सभी की मदद कर रहे हैं और कल को लेकर परेशान हैं.”
सुनील मिश्रा, डेयरी फार्म मालिक
डेयरी फार्म मालिक सुनील मिश्रा(फोटो: क्विंट हिंदी)

बढ़ी कीमत भी बनी परेशानी

मुंबई में पशु आहार महाराष्ट्र के सतारा, सांगली, पुणे, और गुजरात, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों से आता है. डेयरी किसानों का कहना है कि चेक प्वाइंट्स पर परेशानी झेलने के कारण, अब ट्रांसपोर्टर अब दोगुना पैसा मांग रहे हैं.

“ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि उन्हें वापसी का किराया नहीं मिलता, इसलिए उन्होंने वापसी का किराया मिलाकर इसे दोगुना कर दिया है. फैक्टरियों का कहना है कि उन्हें कच्चा सामान नहीं मिल रहा है और इसलिए वो अब बस बचा हुआ सामान ही बेच रहे हैं.”
फिरोज पटेल, अध्यक्ष, आरे मिल्क प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन

सुनील मिश्रा ने पहले आरे कॉलोनी में अपने दरवाजे तक चारा पहुंचाने वाली ट्रांसपोर्ट कंपनी को 15,000 रुपये दिए थे, वहीं अब उन्हें इसके लिए 35,000 रुपये देने पड़े.

दूध के दाम हुए आधे

ज्यादातर रेस्टोरेंट, मिठाई की दुकानें और आइस्क्रीम पार्लर के बंद होने के कारण, दूध की मांग में काफी गिरावट आई है. इस कारण दूध के दाम भी गिर गए हैं.

“मिठाई की दुकानें, रेस्टोरेंट और पनीर की दुकानें हमारे अहम ग्राहक थे. क्योंकि रेस्टोरेंट बंद हो गए हैं, उन्हें अब पनीर और मिठाई के लिए दूध की जरूरत नहीं है. हमारा 60 फीसदी दूध इसी के काम आता था. केवल 40 फीसदी स्थानीय ग्राहकों के पास जाता था. हमारा आधिकारिक रेट 68.50 रुपये है, लेकिन अब लोग इसे 35-40 रुपये में ले रहे हैं. लोग हमारी हालत का फायदा उठा रहे हैं.”
सुनील मिश्रा, डेयरी फार्म मालिक

डेयरी किसान परेशान हैं. उनका कहना है कि अगर सरकार ने इस सेक्टर के लिए कुछ ऐलान नहीं किए, तो न पशु बचेंगे और न ही उनका बिजनेस.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 31 Mar 2020,10:58 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT