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भारत में कोरोना वायरस की तीन वैक्सीन के ट्रायल चल रही हैं. उम्मीद की जा रही है कि ऑक्सफॉर्ड-सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की वैक्सीन 'Covishield' जल्द ही मार्केट में उपलब्ध होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 73 दिनों में वैक्सीन के कॉमर्शियल होने की उम्मीद है.
बिजनेस टुडे ने SII के एक बड़े अधिकारी के हवाले से बताया कि सरकार से उन्हें स्पेशल मैन्युफैक्चरिंग प्रायॉरिटी लाइसेंस मिला है, जिसके बाद ट्रायल प्रोटोकॉल प्रोसेस को फास्ट-ट्रैक कर दिया गया है. अधिकारी ने बताया, “सरकार ने हमें स्पेशल मैन्युफैक्चरिंग प्रायॉरिटी लाइसेंस दिया है और ट्रायल को 58 दिनों में पूरा करने के लिए ट्रायल प्रोटोकॉल प्रोसेस को फास्ट-ट्रैक कर दिया गया है. इससे, फाइनल फेज (फेज 3) का पहला डोज आज होगा और अगल 29 दिनों बाद होगा. फाइनल ट्रायल डेटा दूसरे डोज के 15 दिनों बाद आएगा. तब तक हम इसे कॉमर्शियलाइज करना का प्लान कर रहे हैं.”
रिपोर्ट के मुताबिक, नेशनल इम्युनाइजेशन प्रोग्राम (NIP) के तहत सभी को वैक्सीन के फ्री शॉट्स दिए जाएंगे.
वहीं, हैदराबाद की भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड और ICMR द्वारा डेवलप की जा रही वैक्सीन Covaxin को सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) से स्किन ट्रायल की मंजूरी मिल गई है.
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी शनिवार को कहा कि देश में साल के अंत तक कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन आ जाएगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगले चार से पांच महीनों में कोविड-19 की वैक्सीन उपलब्ध होने की संभावना है. मंत्रालय ने कहा कि तीन कोविड-19 वैक्सीन उम्मीदवारों में से एक ने प्री क्लीनिकल ह्यूमन ट्रायल के तीसरे चरण में प्रवेश किया है.
कोविड-19 पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स के प्रमुख वी. के पॉल के मुताबिक, तीसरे चरण में प्रवेश करने वाले वैक्सीन कैंडिडेट ने अपने परीक्षण के प्रारंभिक चरणों में अच्छे परिणाम प्राप्त किए हैं. पॉल ने कहा कि अन्य दो वैक्सीन वर्तमान में अपने प्री क्लीनिकल ट्रायल के चरण एक या दो में हैं. अधिकारियों ने हालांकि अपने परीक्षण चरण के बारे में बोलते हुए वैक्सीन उम्मीदवारों के नामों का खुलासा नहीं किया.
चीन ने इंसेक्ट सेल से बनी वैक्सीन का इंसानों में टेस्टिंग की इजाजत दे दी है. इस वैक्सीन को शियुान यूनिवर्सिटी के वेस्ट चीन अस्पताल ने डेवलप किया है. क्लीनिकल ट्रायल के लिए इसे नेशनल मेडिकल प्रोडक्ट्स एडमिनिस्ट्रेशन से मंजूरी मिल गई है.
सरकारी नोटिस के मुताबिक, बंदरों पर जब परीक्षण किया गया, तो SARS-CoV-2 संक्रमण से बचा देखा गया, वहीं इसमें कोई साइड-इफेक्ट भी नहीं सामने आया है.
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