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महाराष्ट्र में प्रवासी मजदूरों के पलायन के मुद्दे पर सत्तारूढ़ गठबंधन महाविकास अघाड़ी के घटक दल कांग्रेस ने ही सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि, केंद्र और महाराष्ट्र की सरकार प्रवासी मजदूरों के पलायन के मामले को ठीक से संभालने में नाकाम रही है. उन्होंने ये बात पुणे पत्रकार संघ से चर्चा के दौरान कही.
पृथ्वीराज चौहान ने सरकार पर सही से नेतृत्व नहीं करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि, 'कोरोना वायरस महामारी के उन्मूलन के लिए जहां नौकरशाह काम में जुटे दिख रहे हैं. वहीं, 'राजनीतिक नेतृत्व नदारद' दिख रहा है. लॉकडाउन की वजह से काम बंद है इसलिए मजदूर अपने गांव की ओर पलायन कर रहे हैं.'
हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि बयान को महाविकास अघाड़ी की सरकार पर आलोचना के तौर पर नहीं देखना चाहिए.
चौहान ने कहा, महाराष्ट्र में लाखों की संख्या में मजदूर पलायन कर रहे हैं. सबसे बड़ी पेरशानी ये है कि, सरकार समय-समय पर अपनी गाइडलाइन बदल रही है. इससे मजदूरों के लिए दिक्कत खड़ी हो गई है. पहले मजदूरों को मेडिकल सर्टिफिकेट लाने को कहा गया, बाद में कहा गया कि इसकी जरूरत नहीं जाते वक्त ही जांच की जाएगी. उन्होंने कहा,
महाराष्ट्र सरकार के एक मंत्री ने इस बारे में सफाई देते हुए कहा है कि, सरकार मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचने में हर संभव मदद करने को तैयार है. लेकिन कई राज्य सरकारों से हरी झंडी मिलने में वक्त लग रहा है. इस वजह से मजदूरों को परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि अब तक 1 लाख के करीब मजदूरों को बस के जरिए बॉडर्र तक सरकारी बस से पहुंचाया गया है, जबकि महाराष्ट्र से 15 से ज्यादा ट्रेन को चलाया गया है.
वहीं, महाराष्ट्र में लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ा दिया गया है और कहा गया है कि पिछले लॉकडाउन 3 के नियम ही आगे जारी रहेंगे. हालांकि, एनसीपी प्रमुक शरद पवार ने पहले ही टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा था कि, लॉकडाउन के चौथे चरण में ऑरेंज और ग्रीन जोन में रियायत देने की जरूरत है. लेकिन लगता है कि सीएम उद्धव ठाकरने के एनसीपी की मांग को तरजीह नहीं दी है.
बता दें, महाराष्ट्र में अब तक कोरोना वायरस के 30,706 मामले आ चुके हैं. इसमें से अकेले मुंबई से 18 हजार मामले हैं. प्रदेश में अब तक 1,135 लोगों की मौत हो चुकी है.
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