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अरबों के बिजनेस का नुकसान. लाखों की जिंदगी खतरे में. अर्थव्यवस्था को अपाहिज बना देने की साजिश. दो देशों के बीच युद्ध के यही सब तो परिणाम होते हैं. ऐसा ही नुकसान रूस अमेरिका को पहुंचा रहा है, अमेरिका (America) रूस (Russia) को पहुंचा रहा है, चीन भारत को पहुंचाने की साजिश रच रहा है. ताजा केस में रूस के हैकरों ने अमेरिका की 1000 कंपनियों पर हमला (Cyber attack) बोला है. ये तब हुआ है जब हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन (Vladimir Putin) को साफ कहा था कि ऐसे हमले किसी सूरत में बदार्श्त नहीं किए जाएंगे? क्या यही साइबर वर्ल्ड वॉर या उससे पहले की स्थिति नहीं है? सवाल है कि भारत इस आपात स्थिति के लिए कितना तैयार है?
पब्लिक अफेयर फोरम ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित इवेंट में प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के नेशनल साइबर सिक्योरिटी कोऑर्डिनेटर लेफ्टिनेंट जनरल राजेश पंत ने कहा कि भारत सरकार इसी साल साइबर सिक्योरिटी (Cyber Security) से जुड़ी नई रणनीति जारी करेगी.यह खबर तब आई है जब अमेरिका सहित कई विकसित देशों में हाल ही में साइबर क्राइम में बेतहाशा वृद्धि देखी गई है.
हाई टेक्नोलॉजी युग में जब देश की सामरिक एवं आर्थिक निर्भरता साइबर वर्ल्ड पर अत्यधिक बढ़ गई हो और यह क्षेत्र प्रतिद्वंदी देश सहित आतंकी संगठनों के लिए प्रॉक्सी वार का आसान जरिया बन गया हो, तब क्या भारत इससे मुकाबला करने के लिए तैयार है?
हंट्रेस लैब्स ने शुक्रवार को बताया कि मियामी स्थित IT फर्म 'Kaseya' में एक घटना के बाद साइबर अटैक से अमेरिका के 1000 से ज्यादा बिजनेस बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. यह साइबर अटैक संभावित रूप से अमेरिकी कंपनियों को अस्थिर करने के लिए नवीनतम हैक है.
दुनिया की सबसे बड़ी मीट प्रोसेसिंग कंपनी JBS के कंप्यूटर नेटवर्क को 30 मई 2021 को हैक कर लिया गया जिससे कंपनी के ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका के कुछ ऑपरेशन अस्थाई रूप से बंद हो गए. कंपनी को फिरौती के तौर पर 11 मिलियन डॉलर के बराबर का बिटकॉइन भुगतान करना पड़ा तब जाकर कंपनी का प्लांट वापस ऑनलाइन आया.
कोलोनियल पाइपलाइन कंपनी पर साइबर अटैक करते हुए 'डार्कसाइड' नामक साइबर क्राइम ग्रुप में 100 जीबी डेटा चुरा लिया और कुछ कंप्यूटर और सर्वर पर डेटा को लॉक कर दिया.हमले के बाद फिरौती के रूप में कंपनी को 4.4 मिलियन डॉलर देना पड़ा.
एक प्रमुख अमेरिकी IT फर्म SolarWinds पर हुए साइबर अटैक का पता महीनों तक नहीं चला. इसका प्रयोग हैकरों ने अमेरिकी सरकार के बड़े विभाग, जैसे होमलैंड सिक्योरिटी और ट्रेजरी विभाग पर जासूसी के लिए किया.
JBS अटैक और कोलोनियल पाइपलाइन अटैक के बाद जिनेवा,स्विट्जरलैंड में 16 जून को हुई पुतिन-बाइडेन मीटिंग में साइबर क्राइम सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा रहा. बाइडेन ने साइबर फिरौती को लेकर पुतिन को घेरने की खुली चुनौती पहले ही दे दी थी. हालांकि बैठक में साइबर सिक्योरिटी पर कोई बड़ी सफलता नहीं मिली, लेकिन दोनों नेता इस मुद्दे पर परामर्श के लिए सहमत हुए.दोनों देशों के एक्सपर्ट बैठक कर यह चर्चा करेंगे कि दोनों देश को किस तरह के साइबर अटैक किसी भी परिस्थिति में स्वीकार नहीं हैं.
BRENNTAG
मई 2021 की शुरुआत में ही कोलोनियल पाइपलाइन पर साइबर अटैक करने वाले ग्रुप 'डार्कसाइड' ने एक केमिकल डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी BRENNTAG को निशाना बनाया और 150 जीबी डेटा चोरी कर लिया. कंपनी से डार्कसाइड में बिटकॉइन में 7.5 मिलियन डॉलर फिरौती की मांग की. बाद में कंपनी ने 4.4 मिलियन डॉलर की फिरौती दी.
ACER
21 मार्च 2021 को ताइवान की लोकप्रिय कंप्यूटर कंपनी ACER पर साइबर अटैक हुआ. इसमें अब तक के साइबर अटैक के इतिहास की सबसे बड़ी फिरौती 50 मिलियन डॉलर की मांग की गई और नहीं देने पर कंपनी की फाइनेंसियल स्प्रेडशी तथाट बैलेंस शीट लीक करने की धमकी दी गई.
National Basketball Association (NBA)
Babuk नामक साइबर क्राइम ग्रुप ने NBA का 500 जीबी संवेदनशील डेटा चुरा लिया और फिरौती की मांग की. फिरौती ना देने की स्थिति में खिलाड़ियों के कॉन्ट्रैक्ट और फाइनेंसियल जानकारियों को लीक करने की धमकी दी.
LinkedIn हैकरों के लिए साइबर अटैक करने के लिए आकर्षक साइटों में से एक बन गया है. 9 अप्रैल 2021 को LinkedIn को लगभग 500 मिलियन एक्टिव यूजर्स के डेटा लीक का सामना करना पड़ा. हालांकि कंपनी ने तब भी इससे इंकार किया था और फिर जब जुलाई में 700 मिलियन यूजर्स का डाटा लीक होने की खबर छपी तो भी कंपनी ने ऐसी घटना से इंकार किया.
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि अकेले 2019 में भारत में साइबर अटैक के 3.94 लाख मामले देखे गए. इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम(CERT-In) के अनुसार 2017 और 2019 के बीच केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों और राज्य सरकारों से संबंधित कुल 336 वेबसाइटों को हैक किया गया था.
यहां तक कि 2020 में भारत सरकार ने साइबर सिक्योरिटी के मुद्दे पर टिक-टॉक, पब्जी समेत 250 से अधिक चाइनीस ऐप को बैन कर दिया था.
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज(IISS) द्वारा हाल ही में जारी नई रिपोर्ट के अनुसार "भारत ने अपने क्षेत्र की भू-रणनीतिक अस्थिरता और साइबर खतरे के बारे में गहरी जानकारी के बावजूद साइबरस्पेस सुरक्षा के लिए अपनी पॉलिसी और सिद्धांत विकसित करने में केवल मामूली प्रगति की है".
15 देशों के लिए साइबर पावर का आकलन करने वाली इस रिपोर्ट 'साइबर कैपेबिलिटी एंड नेशनल पावर: ए नेट एसेसमेंट' में कहा गया कि भारत के पास साइबर इंटेलिजेंस और आक्रामक साइबर क्षमताएं हैं लेकिन वे क्षेत्रीय रूप से केंद्रित हैं, विशेषकर पाकिस्तान पर.
भारत की इंटेलिजेंस प्राथमिकताएं आंतरिक और बाहरी आतंकवादी खतरों, आंतरिक राजनीतिक हिंसा और कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ चल रहे संघर्ष से गहराई से प्रभावित हैं. 2010 के बाद से भारतीय साइबर टीमें सिर्फ पाकिस्तानी IP ऐड्रेस (कुछ हद तक चीन) पर केंद्रित रही हैं. इसके कारण अन्य देशों या आतंकवादी संगठनों के प्रति भारत की संवेदनशीलता बढ़ जाती है.
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