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लॉकडाउन की वो झकझोर देने वाली तस्वीर याद है, जिसमें एक पिता अपने बच्चे को कंधे पर उठाए सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर निकला था. कैमरे से आंख में आंख मिलाती वो तस्वीर हो, या फिर दिल्ली दंगे में एक मुस्लिम शख्स को घेरकर पिटती भीड़ की वो तस्वीर, जिसमें लोगों के हाथों में डंडे, लोहे के रॉड थे. पीटने वाला शख्स लहूलुहान हुआ जमीन पर गिरा पड़ा था. दर्दनाक सच्चाई को दुनिया के सामने लाने वाली तस्वीरें जो किसी के भी रोंगटे खड़े कर देने की ताकत रखती हो. इन तस्वीरों को बनाने वाला फोटोग्राफर दानिश सिद्दीकी अब इस दुनिया में नहीं है. वो जंग में सिपाही की तरह शहीद हो गए.
अफगानिस्तान में तालिबान के हमले में भारतीय पत्रकार और पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई.
अफगानिस्तान के न्यूज चैनल टोलो न्यूज ने दानिश की मौत की जानकारी दी है. दानिश अफगानिस्तान के स्पिन बोलदाक जिले में अफगान स्पेशल फोर्सेज के साथ थे और न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के लिए रिपोर्टिंग कर रहे थे. दानिश की आखिरी खबर कांधार से ही थी, जिसमें उन्होंने तालिबान और अफगान सुरक्षाबलों के बीच भीषण लड़ाई के बारे में बताया था.
उन्होंने लिखा था, उनकी और सुरक्षाबलों की गाड़ी पर 3 RPG राउंड दागे गए थे. आगे उन्होंने लिखा "भाग्यशाली हूं कि सुरक्षित हूं..."
दिल्ली के जामिया से पढ़े दानिश को साल 2018 में पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया था, ये अवॉर्ड उन्हें रोहिंग्या मामले में कवरेज के लिए मिला था. दानिश पहले भारतीय थे जिन्हें पुलित्जर अवॉर्ड मिला था.
हाल फिलहाल दानिश की वो तस्वीर बहुत चर्चा में आई थी जब दिल्ली के एक श्मशान घाट में ली गई थी. इस एक तस्वीर से पूरी पिक्चर साफ हो रही थी कि कैसे कोरोना की दूसरी लहर में भारत में बहुत ज्यादा मौतें हो रही हैं. दानिश की इस तस्वीर के बाद देश से लेकर दुनिया में कोरोना में सरकारी लापरवाही और मौत की संख्या पर सवाल उठने लगे थे.
इसके अलावा जामिया मिलिया इस्लामिया में नागिरकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करने वाले लड़के की तस्वीर लेने वाले भी दानिश सिद्दीकी ही थे.
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