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सबसे खतरनाक 12 वायरस ऐसे दिखते हैं-कोरोना से HIV तक छिपे हुए 'किलर' की तस्वीरें

ये 12 वायरस ऐसे हमलावर हैं, जो आंखों से नहीं दिखते हैं, पर हम आपके लिये इनकी तस्वीरें लाए हैं.

अश्लेषा ठाकुर
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>Deadly Viruses Of The world: 12 वायरस जो आंखों से नहीं दिखते पर दुनिया भर में तबाही मचाते हैं.</p></div>
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Deadly Viruses Of The world: 12 वायरस जो आंखों से नहीं दिखते पर दुनिया भर में तबाही मचाते हैं.

(फोटो: फिट हिन्दी/iStock)

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Deadly Viruses Of The world: वायरस शब्द, कोविड 19 के आने के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा पहचाने जाने वाले शब्दों में गिना जाता होगा. धरती पर कुछ ऐसे खतरनाक वायरस हैं, जिसकी वजह से मानवता आए दिन परेशानी के घेरे में घिरी रहती है. इंसान लगातार इन वायरसों के हमलों से जूझता आया है. कोविड, डेंगू, एचआईवी, मारबर्ग, इबोला जैसे कई वायरस हैं, जिनकी वजह से होती बीमारियां और मौतें देश और दुनिया के लिए चिंता का विषय बनी रहती हैं.

आज फिट हिन्दी के इस आर्टिकल में हम आपको ऐसे ही 12 वायरस, जो आंखों से नहीं दिखते हैं, के बारे में बताएंगे और साथ ही उनकी तस्वीरें भी दिखाएंगे.

इन 12 जानलेवा वायरसों के बारे में बारीकी से समझने और सही जानकारी के लिए फिट हिन्दी ने गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन की सीनियर डायरेक्टर, डॉ. सुशीला कटारिया से बातचीत की. तो, आइए देखते और जानते हैं इन सभी वायरसों से जुड़ी जरुरी बातों को.

कोविड- 19 (COVID-19)

इसके बारे में पूरी दुनिया जानती है. पिछले 3 सालों में कोविड वायरस ने ना सिर्फ दुनिया बंद कर दी थी बल्कि मौत का ऐसा तांडव मचाया, जिससे अभी भी दुनिया के कई हिस्से निकल नहीं पाए हैं. कोरोना वायरस फैमिली का ये वायरस नॉवेल वायरस यानी ऐसा वायरस है, जिसे दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा. ये पहली बार 2019 में चीन के वुहान शहर में मिला था जहां से ये 3 महीनों के अंदर दुनिया भर में फैल गया. इसके लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी है मगर वैक्सीन की खोज से वापस दुनिया जीने के लिए खुल गई है.

(फोटो: iStock)

एचआईवी (HIV) आधुनिक दुनिया के घातक वायरसों में गिना जाता है. पूरी दुनिया में 1980 से लेकर अब तक करोड़ों लोग एचआईवी की वजह से मारे जा चुके हैं. दवाओं से इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है और एचआईवी संक्रमित व्यक्ति लंबे समय तक जिंदा रह सकता है. ये बीमारी एचआईवी यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस से फैलती है. ये वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम पर हमला करता है.

(फोटो: iStock)

रोटावायरस (Rotavirus)

यह रीओविरिडी (Reoviridae) परिवार का एक डबल स्ट्रेन्डेड आरएनए (RNA) वायरस है. यह शिशुओं और छोटे बच्चों (5 वर्ष की आयु तक) में डायरिया का कारण बनता है. यह फिकल रूट से फैलता है. इसकी खोज सबसे पहले 1973 में रुथ बिशप ने की थी. जी मिचलाना, उल्टी, दस्त, पेशाब में कमी और लो फीवर इसके कुछ लक्षणों में शामिल हैं. रोटावायरस रोग के लिए इन्क्यूबेशन पीरियड लक्षणों के प्रकट होने से लगभग दो दिन पहले और डायरिया के 4-8 दिनों की होती है. रोटावायरस वैक्सीन इस वायरस की रोकथाम के लिए बहुत मददगार साबित हुई है. WHO की मानें तो इसकी वजह से हर साल लाखों बच्चों की मौत हो जाती है.

(फोटो: iStock)

रेबीज (Rabies Virus) 

यह वायरस पालतू जानवरों से इंसानों में आता है. सामान्य तौर पर कुत्तों के काटने से. इसके बारे में 1920 में पता चला था. विकसित देशों में तो अब इसके मामले सामने नहीं आते हैं लेकिन भारत और अफ्रीका के देशों में यह वायरस अक्सर लोगों की जान ले लेता है. अगर सही समय पर सही इलाज नहीं मिले तो यह वायरस 100% लोगों की जान ले लेता है.

(फोटो: iStock)

मारबर्ग वायरस (Marburg Virus)

मारबर्ग वायरस बेहद खतरनाक रोग में बदल सकता है. इससे हैमरेजिक बुखार होता है. ये शरीर के विभिन्न ऑर्गन्स (अंगो) पर प्रभाव डालता है. यह वायरस फिलोविरिडे परिवार से संबंधित है और मारबर्गवाइरस स्पीशीज का एक सदस्य है. यह वायरस बेहद खतरनाक माना जाता है और फ्रूट बैट की प्रजातियों के संपर्क में आने के कारण होता है. ये मानव-से-मानव ट्रांसमिशन (असुरक्षित यौन संबंध) के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है. इसे पहली बार 1967 में जर्मनी शहर के मारबर्ग में खोजा गया था. मारबर्ग वायरस के खिलाफ अभी भी कोई प्रमुख टीका नहीं है. इसकी वजह से बीमार लोगों में से 80% की मौत हो जाती है.

(फोटो: iStock)

हंता वायरस (Hantavirus)

ये एक सिंगल स्ट्रैंडेड नेगेटिव आरएनए वायरस (RNA virus) है, जो वायरस पेशाब और थूक में पाया जाता है और उससे फैल सकता है. इसके कुछ स्ट्रैंस मनुष्यों में घटक बीमारी का कारण बन सकते हैं. जैसे कि हंटावायरस पल्मोनरी सिंड्रोम (HPS), हैमरेजिक बुखार और रैनल सिंड्रोम. इसके इलाज में सहायक इलाज शामिल हैं और अब तक इस खतरनाक बीमारी के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है. सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, हंता वायरस चूहों से फैलता है.

(फोटो: iStock)

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डेंगू वायरस (Dengue Virus)

शरीर को बुरी तरह से तोड़ कर कमजोर बना देने वाली ये बीमारी मच्छर के काटने से होती है. इसके बारे में 1950 में पहली तब पता चला जब फिलीपींस और थाईलैंड में यह फैला हुआ था. डेंगू वायरस से होने वाले इन्फेक्शन को हम डेंगू फीवर कहते हैं. इस वायरस से होने वाला इन्फेक्शन माइल्ड एसिंपटोमेटिक (mild asymptomatic) से लेकर गंभीर तक होता है. जब इन्फेक्शन गंभीर हो जाता है, तब उसे हैमरेजिक (hemorrhagic) फीवर और डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue shock syndrome) फीवर कहते हैं. इसको बोन ब्रेकिंग फीवर भी कहा जाता है. डेंगू फीवर का कोई एंटी वायरस वैक्सीन या दवा अभी तक नहीं बनी है. सही समय पर इलाज नहीं मिलने पर मरीज की जान जा सकती है.

(फोटो: iStock)

मर्स वायरस (MERS VIRUS)

इस वायरस को मिडल ईस्टर्न रेस्पिरेटरी सिंड्रोम वायरस कहा जाता है. इसको 2012 में डिटेक्ट किया गया था. ये भी कोरोना फैमिली का एक वायरस है. ये ड्रॉपलेट और नजदीकी संपर्क से फैलता है. कोविड की तुलना इसमें जान का खतरा ज्यादा है पर संक्रमित करने की गति कम. 

(फोटो: iStock)

इंफ्लूएंजा (Influenza)

इंफ्लूएंजा की वजह से दुनिया में हर साल करीब 5 लाख लोग मारे जाते हैं. कभी-कभी इंफ्लूएंजा का कोई नया वायरस आता है, जो महामारी बन जाता है. जैसे 1918 का स्पैनिश फ्लू. इसकी वजह से दुनिया की 40% आबादी बीमार हो गई थी. करीब 5 करोड़ लोग मारे गए थे. अगर इंफ्लूएंजा का कोई नया वायरस आता है, तो यह ज्यादा तबाही मचा देगा.

(फोटो: iStock)

इबोला वायरस (Ebola Virus) 

इबोला वायरस रोग (EVD), जिसे पहले इबोला रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था, मनुष्यों में होने वाली एक गंभीर, घातक बीमारी है. इसके बारे में सबसे पहले 1976 में तब पता चला जब कांगों (Congo) और सूडान (Sudan) में कुछ लोग इससे मारे गए. यह वायरस जंगली जानवरों से लोगों में फैलता है और फिर मनुष्य से मनुष्य में. इससे बीमार हुए लोगों में से 50 से 70% लोगों की मौत हो जाती है. 2014 में अफ्रीका में यह बेहद भयानक स्तर पर फैला था. 

(फोटो: iStock)

एचपीवी (HPV)

ये बेहद खतरनाक और तेजी से फैलने वाला वायरस है. ये एक डीएनए (DNA) वायरस होता है. ये सेक्स के माध्यम से फैलता है एक बार इन्फेक्शन होने के बाद क्रॉनिक स्टेज में जा सकता है. इसके लक्षण जल्दी नहीं दिखते हैं. ये जीवन भर भी रह सकता है. एचपीवी सर्विक्स कैंसर के रूप में महिलाओं में और पुरुष में पेनिले वार्ट्स और मैलीग्नेंसी के साथ होता है. 1935 में इस खतरनाक वायरस की खोज हुई थी. अभी तक इसकी कोई एंटी वायरल दवा नहीं आयी है पर वैक्सीन के जरिए इसे रोका जा सकता है.

(फोटो: iStock)

स्माल पॉक्स (Smallpox)

यह वेरियोला वायरस से होने वाला एक संक्रामक रोग है. ऐसे तो स्मॉल पॉक्स काफी हद तक खत्म हो चुका है. इसके अंतिम प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले मामले का निदान (diagnose) 1977 में किया गया था और 1980 में WHO ने इस जानलेवा बीमारी के खत्म होने की बात कही थी. इसमें बुखार, सामान्य सर्दी, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और छाले जैसे लक्षण पाए जाते हैं. मुंह में छाले बनना, त्वचा पर लाल चकत्ते, तरल पदार्थ से भरे फफोले भी कुछ लक्षण हैं. रोकथाम में स्माल पॉक्स का टीका शामिल है. 

(फोटो: iStock)

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