advertisement
एक तरफ कोरोना से लड़ाई दूसरी तरफ जेब में पैसा नहीं, कुछ यही हाल अभी दिल्ली के सैकड़ों डॉक्टरों का है. कई एमसीडी अस्पतालों में डॉक्टरों को पिछले तीन महीने से एक भी पैसा नहीं मिला है. इस मामले को लेकर अब दिल्ली हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है और अस्पतालों को तुरंत डॉक्टरों की बकाया सैलरी देने के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद हमने नॉर्थ एमसीडी के चेयरमैन जय प्रकाश से बात की, जिन्होंने बताया कि अगले हफ्ते तक डॉक्टरों को सैलरी देने की कोशिश कर रहे हैं.
दिल्ली में कई हॉस्पिटलों से ऐसी शिकायतें सामने आ रही थीं, जिनमें कहा जा रहा था कि डॉक्टरों को पिछले 3 महीने से एक भी पैसा नहीं मिला है. ऐसी तमाम रिपोर्ट्स को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने खुद ही संज्ञान लिया और मामले की सुनवाई की.
नॉर्थ एमसीडी के कई अस्पतालों से ऐसी शिकायतें सामने आ रही थीं कि वहां डॉक्टरों को एक भी पैसा नहीं दिया जा रहा है. इसे लेकर हमने नॉर्थ एमसीडी के चेयरमैन जय प्रकाश के से बात की और हाईकोर्ट के इस फैसले को लेकर पूछा. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के चलते एमसीडी के पास पैसा खत्म हो चुका है. एमसीडी चेयरमैन ने बताया,
दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए नॉर्थ एमसीडी चेयरमैन ने कहा कि, दिल्ली सरकार से हमें हेल्थ, एजुकेशन आदि का जो पहली तिमाही का पैसा मिलता है वो 556 करोड़ रुपये का मिलता है, लेकिन 556 करोड़ रुपये में से सिर्फ 240 करोड़ रुपये दिल्ली सरकार ने दिया है. नॉर्थ एमसीडी के सभी कर्मचारियों की सैलरी पर कुल खर्चे के सवाल पर चेयरमैन ने कहा-
"नॉर्थ एमसीडी के सभी कर्मचारियों की सैलरी पर महीने का खर्चा 350 करोड़ रुपये है. जिसमें डी ग्रेड से लेकर ए ग्रेड तक के सभी कर्मचारी और अधिकारी आते हैं. लेकिन अब हम समस्या को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं."
अगले हफ्ते सैलरी देने के जवाब को लेकर हमने पूछा कि अगर एमसीडी के पास रेवेन्यू नहीं है तो अगले हफ्ते कैसे डॉक्टरों को उनकी सैलरी मिलेगी? इस पर एमसीडी चेयरमैन ने बताया कि,
नॉर्थ एमसीडी के चेयरमैन जय प्रकाश से जब ये सवाल पूछा गया कि क्या सिर्फ डॉक्टरों को ही सैलरी की परेशानी है, या फिर एमसीडी के अन्य स्टाफ को भी सैलरी नहीं मिल पा रही? इस सवाल के जवाब में चेयरमैन ने बताया कि,
"सिर्फ डॉक्टरों ही नहीं बल्कि अन्य कई कर्मचारियों को देरी से सैलरी मिल रही है. फंड की कमी के चलते सबके साथ ऐसा हो रहा है. इसमें सैकड़ों टीचर भी शामिल हैं. बी ग्रेड और सी ग्रेड के कर्मचारियों में ज्यादातर की सैलरी बकाया है. डी ग्रेड को छोड़कर बाकी लोग प्रभावित हुए हैं."
हाईकोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट्स को लेकर इस मामले की सुनवाई शुरू की है. एक ऐसी ही रिपोर्ट क्विंट ने भी की थी, जिसमें एक दिल्ली के एक अस्पताल के डॉक्टर ने खुद अपनी कहानी बताई थी. दिल्ली के कस्तूरबा हॉस्पिटल के रेडिजेंड डॉक्टरों को भी पिछले तीन महीने से सैलरी नहीं मिली है. इसे लेकर अब डॉक्टरों ने हॉस्पिटल प्रशासन को एक अल्टीमेटम भी दिया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि अगर 16 जून तक सैलरी नहीं मिली तो सभी एक साथ अपना इस्तीफा देंगे.
इन्हीं में से एक डॉक्टर ने क्विंट को बताया कि वो पिछले तीन महीने से अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए हैं. उन्होंने बताया,
बता दें कि कुछ हफ्ते पहले खबर सामने आई थी कि नॉर्थ एमसीडी के हॉस्पिटलों में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और अन्य मेडिकल स्टाफ को दो महीने से सैलरी नहीं मिली है. ये रिपोर्ट 12 मई को सामने आई थी. इस अस्पतालों में हिंदूराव, महर्षि वाल्मीकि, कस्तूरबा हॉस्पिटल, गिरधारी लाल मेटरनिटी हॉस्पिटल जैसे कुछ हॉस्पिटल शामिल थे. रिपोर्ट में बताया गया था कि इससे करीब 1500 डॉक्टर और 1500 नर्सिंग स्टाफ प्रभावित हो रहे हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)