दिल्ली में कोरोना का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है, हेल्थ सिस्टम को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे हालात में डॉक्टरों की तरफ से शिकायतें आ रही हैं कि उन्हें उनकी सैलरी नहीं मिल रही है. दिल्ली के कस्तूरबा हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टरों का आरोप है कि पिछले तीन महीने से उन्हें सैलरी नहीं मिली है. इसीलिए कई डॉक्टरों ने अब एक साथ इस्तीफा देने की बात कही है. इसके लिए डॉक्टरों की तरफ से हॉस्पिटल प्रशासन को अल्टीमेटम भी दे दिया गया है.
16 जून तक का अल्टीमेटम
कस्तूरबा हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टरों की तरफ से प्रशासन को 16 जून तक का वक्त दिया गया है. उनका कहना है कि अगर इस दिन तक उनकी सैलरी नहीं आती है तो वो एक साथ मिलकर अपना इस्तीफा सौंप देंगे.
इस पूरे मामले को समझने के लिए हमने कस्तूरबा हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टर सुनील कुमार से बात की. डॉक्टर सुनील ने क्विंट को बताया कि वो पिछले तीन महीने से अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए हैं. उन्होंने बताया,
“हमारी तीन महीने की सैलरी पेंडिंग है. जब हॉस्पिटल प्रशासन से बात की तो वो बोल रहे हैं कि हमारे पास फंड नहीं है. अब आखिरकार हमने 16 जून तक का अल्टीमेटम दिया है. जिसके बाद करीब 40 से ज्यादा जूनियर और सीनियर रेजिडेंट एक साथ अपना इस्तीफा सौंप देंगे. यहां पर हमेशा सैलरी लेट ही मिलती है, लेकिन तीन महीने काफी ज्यादा होते हैं.”डॉक्टर सुनील, कस्तूरबा हॉस्पिटल- दिल्ली
‘सितंबर तक इंतजार करो’
डॉक्टर ने बताया कि प्रशासन की तरफ से सैलरी को लेकर ये कहा जा रहा है कि हो सकता है सितंबर तक सैलरी ना मिले. उन्होंने कहा कि अगर हॉस्पिटल प्रशासन के पास फंड नहीं है तो वो डॉक्टरों को नोटिस जारी करे और नौकरी छोड़े को बोले. सिर्फ रेजिडेंट डॉक्टर ही नहीं बल्कि उससे ऊपर के पदों पर तैनात डॉक्टरों को भी सैलरी की परेशानी हो रही है. डॉक्टर सुनील ने कहा कि जब हॉस्पिटल लगातार काम करवा रहा है तो उसे सैलरी भी देनी चाहिए. बिना सैलरी के कोई क्यों काम करेगा.
कई अस्पतालों का यही हाल
बता दें कि ये दिल्ली का पहला हॉस्पिटल नहीं है जहां से ऐसी शिकायतें सामने आ रही हैं. इससे पहले भी नॉर्थ एमसीडी के अस्पतालों से ऐसी ही खबर सामने आई थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक नॉर्थ एमसीडी के हॉस्पिटलों में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और अन्य मेडिकल स्टाफ को दो महीने से सैलरी नहीं मिली. ये रिपोर्ट 12 मई को सामने आई थी. इस अस्पतालों में हिंदूराव, महर्षि वाल्मीकि, कस्तूरबा हॉस्पिटल, गिरधारी लाल मेटरनिटी हॉस्पिटल जैसे कुछ हॉस्पिटल शामिल थे. रिपोर्ट में बताया गया था कि इससे करीब 1500 डॉक्टर और 1500 नर्सिंग स्टाफ प्रभावित हो रहे हैं.
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