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दिल्ली जल बोर्ड (Delhi Jal Board) ने रमजान के महीने में अपने मुस्लिम कर्मचारियों को रोजाना दो घंटे की शॉर्ट लीव देने के फैसले को अब वापस ले लिया है. दरअसल, दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की दिल्ली जल बोर्ड ने 4 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी किया था जिसमें कहा गया था कि रमजान (Ramzan) के मौके पर दिल्ली जल बोर्ड में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारी 2 घंटे की शॉर्ट लीव ले सकते हैं, यानी दो घंटे पहले ऑफिस से निकल सकते हैं.
लेकिन ठीक एक दिन बाद 5 अप्रैल को जल बोर्ड ने एक और नया सर्कुलर जारी किया, जिसमें कहा गया है कि तत्काल इस फैसले को वापस से लिया जा रहा है जो कि तत्काल प्रभाव से लागू किया जा रहा है.
बता दें कि जल बोर्ड के असिस्टेंट कमिश्नर वीरेंद्र सिंह की ओर से 4 अप्रैल को जारी आदेश में कहा गया था,
दिल्ली जल बोर्ड ने जैसे ही छुट्टी को लेकर पहला सर्कुलर निकाला उसके बाद से सोशल मीडिया पर भारतीय जनता पार्टी के कई नेता और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोगों ने दिल्ली सरकार के फैसले पर विरोध जताना शुरू कर दिया. ट्विटर पर कई इस मुद्दे को मुस्लिम तुष्टिकरण से जोड़कर देखने लगे. वहीं कुछ लोगों ने कहा कि मौजूदा समय में सिर्फ रमजान ही नहीं नवरात्रि भी चल रहे हैं, ऐसे में सिर्फ एक वर्ग के लिए इस तरह की छुट्टी सही नहीं है.
बीजेपी महिला मोर्चा की नेशनल मीडिया इंचार्ज नीतू सिंह ने केजरीवाल सरकार के पुराने फैसले को हिंदू विरोधी बताया है.
दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने भी केजरीवाल सरकार पर हमला बोला है. आदेश गुप्ता ने कहा, "ये है अरविद केजरीवाल का असली चेहरा, एक ओर नवरात्रों के दिन दिल्ली में हजारों ठेके खोल कर शराब पर 25% छूट देकर नशा बांट रहे हैं. दूसरी ओर दिल्ली जलबोर्ड के कर्मचारियों को रमजान में नमाज पढ़ने के लिए काम के समय में से 2 घंटे की छुट्टी दे रहे हैं. ये तुष्टिकरण नही है तो क्या है?"
"मुस्लिम तुष्टिकरण का विरोध जरूरी"
आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भी केजरीवाल सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया है. कपिल मिश्रा ने ट्विटकर कहा,
दिल्ली जल बोर्ड के फैसले वापस लेने पर एक और बीजेपी समर्थक ने ट्विटकर कहा है कि यह हिंदुओं की ताकत है जो ये आदेश वापस लिए गए हैं.
फिलहाल दिल्ली सरकार या दिल्ली जल बोर्ड की तरफ से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या बीजेपी के दबाव में केजरीवाल सरकार ने दिल्ली जल बोर्ड के अपने फैसले को वापस लिया है या फिर अरविंद केजरीवाल सरकार बहुसंख्यक वोटरों को नाराज नहीं करना चाहती है?
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