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दिल्ली एनसीआर एक बार फिर प्रदूषण (Delhi Pollution) के कारण गैस चैंबर बनने के कगार पर खड़ा है. प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि सांस लेना मुश्किल हो रहा है. इसके लिए दिल्ली में प्राइमरी स्कूल बंद कर दिये गये थे और कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम दे दिया गया था. हालांकि दिल्ली के लिए ये अब कोई नई बात नहीं है, पिछले कुछ सालों से सर्दी आते ही दिल्ली का यही हाल होता है. दिल्ली-एनसीआर में होने वाले प्रदूषण के लिए अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा और पंजाब में जलने वाली पराली (Stubble Burning) भी जिम्मेदार रहती है. ये बात अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्री पिछले काफी सालों से लगातार कहते रहे हैं. लेकिन इस बार कई चीजें बदल गई हैं, जो इस पर राजनीति को बढ़ावा दे रही हैं.
दरअसल दिल्ली और पंजाब दोनों जगह अब आदमी पार्टी की सरकार है. तो मामले में घोर राजनीति हो रही है और कभी पंजाब-हरियाणा को पराली जलाने के लिए जिम्मादरी ठहराने वाले अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि किसान नहीं पराली जलाने के लिए हम जिम्मेदार हैं. यही तो राजनीति है. इसके अलावा हरियाणा ने पिछले साल के मुकाबले इस बार पराली जलाने के आंकड़ों में काफी सुधार किया है जबकि पंजाब में पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के आंकड़े बढ़े हैं. अब हरियाणा में बीजेपी की सरकार तो बीजेपी आम आदमी पार्टी पर हमलावर हो गई है और कह रही है कि केजरीवाल इस पर केवल राजनीति करते हैं.
हरियाणा में पिछले साल के मुकाबले इस बार पराली जलाने के मामलों में कमी आई है. हरियाणा में 3 नवंबर तक इस साल 2377 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. जबकि 2021 में 3 नवंबर तक हरियाणा में पराली जलाने के 3438 मामले सामने आये थे. अगर पिछले 6 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो हरियाणा पराली जलाने की घटनाओं में 55 प्रतिशत से अधिक की कमी लाने में सफल रहा है. साल 2016 में जहां पराली जलाने के 15,686 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2021 में इसकी संख्या घटकर 6,987 पर पहुंच गई. जो इस साल और कम रहने की उम्मीद है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब में करीब 18 प्रतिशत पराली जलाने के मामले बढे हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नए आंकड़ों के मुताबिक 5 नवंबर को 2437 नए मामले पंजाब में पराली जलाने के रिपोर्ट हुए हैं. इनके साथ ही राज्य में पराली जलाने का आंकड़ा 26583 पर जा पहुंचा है. यहां हैरानी की बात ये है कि 9 नवंबर तक मुख्यमंत्री का जिला संगरूर पराली जलाने में सबसे आगे रहा है. मुख्यमंत्री भगवंत मान के जिले में 5207 पराली जलाने के नए मामले सामने आये हैं. जो पंजाब में किसी भी जिले से ज्यादा हैं. दूसरे नंबर पर पटियाला रहा है जहां 3167 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं.
हालांकि 11 नवंबर को पंजाब के मुख्य सचिव विजय कुमार जंजूआ ने कृषि, विज्ञान और तकनीक, पर्यावरण, पेडा के अधिकारियों और डिप्टी कमिश्नर के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि पिछले साल के मुकाबले पंजाब में पराली जलाने के मामलों में 30 प्रतिशत की कमी आई है.
हरियाणा ने पराली जलाने की समस्या को कैसे कम किया, ये सवाल लेकर हम हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल के पास पहुंचे. उन्होंने क्विंट हिंदी से बात करते हुए कहा कि, हम पराली ना जलाने वाले किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ देते हैं. पराली की गांठ बनाने के लिए हमने किसानों को 600 करोड़ रुपये की मशीनें दी हैं. उनका कहना था कि हरियाणा में 6 साल पहले तक हर साल राज्य में पराली जलाने की 15000 घटनाएं होती थी. लेकिन अब ये घचकर 2400 पर आ गई हैं. इसके अलावा हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि, हम आगे पराली को किसानों से धान और गेहूं की तरह खरीदने का प्लान बना रहे हैं.
पराली को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की योजना, एमएसपी निर्धारण के लिए कमेटी बनाई
किसानों को पराली प्रबंधन के लिए दिए जा रहे 1000 रुपये प्रति एकड़
गोशाला में पराली ले जाने पर 1500 रुपये
करनाल और पानीपत के इथेनॉल प्लांट में पराली की गांठें बनाकर ले जाने वाले किसानों को दो हजार रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि
किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरणों पर 50 प्रतिशत तथा कस्टम हायरिंग सेंटर पर 80 प्रतिशत अनुदान
रेड जोन में पराली न जलाने पर पंचायत को 10 लाख रुपये का पुरस्कार
इस मुद्दे पर हरियाणा के भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) संगठन के यमुनानगर में जिलाध्यक्ष और किसान नेता संजू गुंदियाना की राय कृषि मंत्री से अलग है. उन्होंने क्विंट हिंद से बातचीत करते हुए कहा कि,
हरियाणा के मुकाबले पंजाब में पराली क्यों ज्यादा जलाई जा रही है. इसकी कहानी कुछ आंकड़े बयां कर रहे हैं. न्यूजलॉन्ड्री में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के संगरूर जिले में जो सीएम का गृह जिला भी है. वहां 2.63 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान लगाए गए थे. इसी तरह पटियाला में 2.19 लाख हेक्टेयर में धान की फसल किसानों ने लगाई थी. जबकि हरियाणा के कैथल में 1.6 लाख हेक्टेयर जमीन पर धान की किसानों ने लगाया था. अब जरा इन तीन जिलों में पराली प्रबंधन के लिए सब्सिडी पर मिलने वाली मशीनों की संख्या देखिए.
पंजाब की भगवंत मान सरकार सितंबर में मोदी सरकार के पास एक प्रस्ताव लेकर पहुंची थी. जिसमें किसानों को 2500 रुपये प्रति एकड़ का मुआवजा पराली ना जलाये जाने की एवज में दिये जाने की बात थी. लेकिन केंद्र सरकार ने इसे ठुकरा दिया. इस प्रस्ताव में पंजाब सरकार का कहना था कि किसानों को 2500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाना चाहिए जिसमें 1500 रुपये केंद्र सरकार दे और 500-500 रुपये दिल्ली और पंजाब सरकार दें. इसके अलावा पंजाब सरकार ने सितंबर में दावा किया था कि वो पराली ना जले इसके लिए 1 लाख 5 हजार मशीनों का प्रबंध कर रही है लेकिन कितने किसानों को ये मशीनें मिलीं अभी तक कोई अपडेट नहीं है.
इसके अलावा पंजाब के सीएम भगवंत मान का कहना था कि वो किसानों को पराली ना जलाने के लिए जागरुक करेंगे लेकिन पराली जलाने के बढ़ते आंकड़े सब बता रहे हैं.
11 नवंबर को लुधियाना का AQI (193) पंजाब में सबसे ज्यादा है. यहां एक हजार किसानों पर जुर्माना लगाया गया और ब्लैकलिस्ट किया गया है.
पंजाब सरकार केरल को चारे के लिए पराली बेचने का प्लान कर रही है, वहां की सरकार से बात हो रही है.
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, संगरूर के किसान गुरमीत सिंह ने कहा कि, धान के अवशेषों के खेतों से साफ करने और उन्हें अगले दौर की बुवाई के लिए तैयार करने की बात आती है, तो आधुनिक विकल्प उनके लिए काम नहीं करते हैं. इसकी वजह? लागत.
उन्होंने आगे कहा कि, अगर हम पराली नहीं जलाते और इससे निपटने के लिए मशीनरी की तरफ जाते हैं तो हमारे पास कुछ बचेगा ही नहीं. इसपर काफी पैसा खर्च करना पड़ता है.
पंजाब के पटियाला में रहने वाले एक और किसान गुरमिंदर सिंह ने कहा कि,
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पंजाब में पराली जलाई जा रही है. इस पराली जलाए जाने के लिए किसान नहीं बल्कि हम जिम्मेदार हैं. हम कोई ब्लेम गेम नहीं खेलना चाहते. पराली के लिए हमें किसान को कोई समाधान देना होगा. फिलहाल किसान के पास उसे जलाने के सिवा कोई रास्ता नहीं होता. केजरीवाल ने कहा कि पराली जलाने में 22 प्रतिशत की बढोतरी हुई है, जो कि खतरनाक है.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि अगले साल तक 40 लाख हेक्टेयर भूमि पर पराली जलाने को रोकने के लिए ठोस समाधान होंगे. केजरीवाल और मान ने दिल्ली के खराब एक्यूआई का सामना कर रहे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के शहरों का जिक्र करते हुए कहा कि यह पूरे उत्तर भारत से जुड़ी एक समस्या है जिसके लिए हर कोई जिम्मेदार है.
मुख्यमंत्री ने 3 नवंबर को कहा था कि पराली जलाने का हल निकालने के बजाय पंजाब के मुख्यमंत्री आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री किसानों को भड़का रहे हैं और अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए केंद्र पर आरोप लगा रहे हैं. उन्हें केंद्र सरकार या किसी और पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. बल्कि हरियाणा की तरह पराली का प्रबंधन करना चाहिए.
दिल्ली की हवा प्रदूषित होते ही सरकारों का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो जाता है. दिल्ली सरकार, पंजाब-हरियाणा-उत्तर प्रदेश के किसानों पर पराली जलाने और दिल्ली में प्रदूषण फैलाने का आरोप लगाते हैं. ये सच है कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली एक अहम कारण है. SAFAR (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) के मुताबिक, 3 नवंबर को दिल्ली के प्रदूषण में 34 फीसदी हिस्सा पराली का था. लेकिन दिल्ली के प्रदूषण में पराली ही इकलौता कारक नहीं है.
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