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क्विंट ने बताया कि चुनावों के दौरान EVM और VVPAT तक प्राइवेट इंजीनियर्स की पहुंच थी, लेकिन चुनाव आयोग ने इसका खंडन किया. क्विंट ने बताया कि EVM और VVPAT मशीनों की मरम्मत में प्राइवेट कंपनियों को लगाया गया, चुनाव आयोग ने एक बार फिर खंडन किया. अब हम एक और बड़ा खुलासा करने जा रहे हैं. EVM की देखरेख के लिए चुनाव आयोग को प्राइवेट इंजीनियर देने वाली कंपनी M/s T&M Services Consulting Private Limited....ECIL से मान्यता प्राप्त वेंडर नहीं है. इतना ही नहीं, क्विंट के हाथ 150 से ज्यादा प्राइवेट इंजीनियरों के रिलिविंग लेटर भी लगे हैं.
ECIL ने अपनी वेबसाइट पर 2015 से मान्यता प्राप्त वेंडर्स की लिस्ट अपलोड की है. इनमें T&M SERVICES का नाम नहीं है. तो सवाल ये है कि आखिर ECIL ने एक गैर मान्यता प्राप्त फर्म से चुनाव संबंधित काम क्यों कराया, खासकर EVM, VVPAT की देखरेख जैसा sensitive काम .
इतना ही नहीं ECIL का एक और झूठ भी सामने आया है. एक RTI के जवाब में ECIL ने ये भी बताया है कि मैनपावर मुहैया कराने के लिए उनके पास सिर्फ M/s T&M Services Consulting Private Limited है. लेकिन ECIL की वेबसाइट पर ऐसे कई वेडर्स के नाम हैं. सवाल ये है कि आखिर ECIL ने ये भ्रामक जानकारी क्यों दी?
क्विंट ने ये भी पता लगाया कि जिन प्राइवेट इंजीनियर्स को EVM की देखरेख में लगाया गया वो ECIL नहीं, T&M Services की सैलरी पर काम कर रहे थे.
जिन प्राइवेट इंजीनियरों ने ECIL के लिए काम किया उनमें से कम से कम 150 के relieving letters क्विंट के हाथ लगे हैं. ये relieving letters T&M Services ने तब जारी किए थे, जब इंजीनियरों के करार खत्म हुए. इन relieving letters से साबित होता है कि इन्होंने ecil के लिए Junior Consultant के तौर पर काम किया .
क्विंट ने इनमें से कुछ इंजीनियरों से संपर्क किया.
एक ने हमें कन्फर्म किया कि उसने T&M Services के लिए 2018 में काम किया. उसने बताया कि प्राइवेट इंजीनियरों को ECIL ने evm और vvpat की देखरेख का क्रैश कोर्स दिया और फिर उन्हें 2018 में हुए कई चुनावों में evm और vvpat की मरम्मत और देखरेख के काम पर लगाया गया.
एक दूसरे junior consultant ने हमें बताया कि जिन इंजीनियरों को चुनावों में लगाया उनमें से 99% ठेके पर रखे गए थे. ठेके पर रखे गए इन इंजीनियरों को फील्ड वर्क में लगाया गया था. काम था EVMs and VVPATs की टेस्टिंग, जबकि ECIL के परमानेंट इंजीनियर सुपरविजन करते थे.
हमने कुछ सवालों के जवाब जानने के लिए M/s T&M Services Consulting Private Limited को लिखा. हमने पूछा-
एक महीने बाद हमें एक लाइन का जवाब मिला. जवाब था- ''नीचे दिए गए सवालों का जवाब ECIL से मिलेगा. कृपया ECIL के दफ्तर में संपर्क करें''
ECIL ने हमारे सवालों पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है. इस मामले में हमने चुनाव आयोग से जो नए सवाल पूछे थे,उनका जवाब भी हमें नहीं मिला. चुनाव आयोग हमें पहले बता चुका है कि ECIL ने किसी PRIVATE consultant engineer की सेवा नहीं ली. एक इंटरव्यू में former Chief Election Commissioner ओपी रावत ने क्विंट से कहा था - EVM को हैक नहीं किया जा सकता, लेकिन अगर EVM चुनाव आयोग की निगरानी से बाहर जाता है तो कुछ भी हो सकता है.
तो सवाल ये है कि EVM और VVPAT कितने सुरक्षित हैं?
और हमारे चुनाव कितने भरोसेमंद हैं?
जब इन सवालों पर चुनाव आयोग पूरी तरह TRANSPARENT न हो तो हम सोचने के लिए मजबूर हो जाते हैं कि कहीं दाल में कुछ काला तो नहीं?
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