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सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक को लेकर नया विवाद शुरू हो चुका है. फेसबुक पर आरोप है कि उसने भारत में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के जरिए किए गए भड़काऊ पोस्ट पर जानबूझकर एक्शन नहीं लिया. इस पूरे मामले के सामने आने के बाद फेसबुक की दक्षिण एशिया पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर अंखी दास ने आरोप लगाया कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है. इसे लेकर उन्होंने कुछ लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. क्विंट ने उनमें से एक शख्स अवेश तिवारी से बातचीत की और पूछा कि आखिर ये पूरा मामला है क्या?
क्विंट से बातचीत में अवेश तिवारी ने बताया कि उन्होंने कभी भी फेसबुक पर कोई ऐसी पोस्ट नहीं की है और न ही वो अंखी दास को जानते हैं. उन्होंने बताया,
उन्होंने बताया कि ये सबसे बड़ा सवाल है कि हेट स्पीच को कौन देखता है? इसे फेसबुक के कर्मचारी देखते हैं या फिर ये ऑटोमेटेड है. ऐसा कैसा हो सकता है कि जिस पोस्ट में लोगों की आवाज उठाई जा रही हो उसे ब्लॉक कर दिया जाता है.
तिवारी ने बताया कि "मैं अंखी दास को किसी भी तरह से नहीं जानता हूं. न ही मैंने कभी उनका फेसबुक प्रोफाइल देखा है और न ही कभी उनसे बात हुई है. मैं बतौर महिला उनका सम्मान करता हूं. लेकिन उन्होंने बेवजह मेरे खिलाफ एफआईआर करवा दी है. मुझे मेरे किसी मित्र ने बताया कि आपके खिलाफ एफआईआर हुई है. मेरे पास अब तक एफआईआर की कॉपी नहीं आई है."
मेरे साथ एक लड़के के खिलाफ भी एफआईआर हुई है, जिसने मेरी एक पोस्ट में अंखी दास को टैग कर दिया था. अवेश तिवारी ने बताया कि उन्होंने भी इस एफआईआर के खिलाफ कबीर नगर थाने में शिकायत दर्ज करवाई है.
फेसबुक एक्जीक्यूटिव ने जो एफआईआर दर्ज की है उसमें हिमांशु देशमुख और अवेश तिवारी के रूप में पहचाने गए दो लोगों के फेसबुक प्रोफाइल का जिक्र किया गया है. आईपीसी की धारा 354ए, 499/500, 506, 507, 509 कानून के अन्य लागू प्रावधानों के तहत यह एफआईआर दर्ज की गई है. लुटियंस दिल्ली में एक बहुत ही प्रभावशाली एमएनसी एक्जिक्यूटिव्स में से एक के रूप में देखे जाने वाली दास ने अपनी प्राथमिकी में कहा है,
फेसबुक कंटेंट की पुलिसिंग के लिए जिम्मेदार कंपनी के कुछ लोगों ने बीजेपी सांसद टी राजा सिंह की प्रोफाइल को बैन करने का सुझाव दिया था. क्योंकि उसमें नफरती भाषण को बढ़ावा दिया गया था. लेकिन फेसबुक की भारत में टॉप पब्लिक पॉलिसी एग्जीक्यूटिव आंखी दास ने नफरती भाषण के नियम राजा सिंह पर लगने नहीं दिए. इन सब बातों का खुलासा वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) ने 14 अगस्त को अपनी एक रिपोर्ट में किया.
राजा सिंह अकेले बीजेपी नेता नहीं हैं जिन पर आंखी दास नफरती भाषण के नियम लगाने के खिलाफ रही हों. WSJ की रिपोर्ट में फेसबुक के मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों के हवाले से बताया गया कि कम से कम तीन हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों और लोगों के खिलाफ दास ने कभी कार्रवाई नहीं शुरू की, जबकि कर्मचारियों ने इन लोगों और संगठनों के हिंसा को बढ़ावा देने या उसमें शामिल होने की बात सामने रखी थी.
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