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किसान आंदोलन (Farmer Protest End) एक साल तक चले लंबे और सफल संघर्ष के बाद स्थगित कर दिया गया है. 8 दिसंबर को ही केंद्र सरकार (Central Government) के साथ किसानों की बात बन गई थी. क्योंकि तीन नए कृषि कानून वापस (Farm laws Repeal) लेने के बाद किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने के लिए भी सरकार मान गई. इसके अलावा एमएसपी (MSP) और बाकी मुद्दों पर भी किसानों के साथ सरकार की सफल बातचीत हुई.
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि,
26 नवंबर 2020 से शुरू हुआ ये आंदोलन 9 दिसंबर 2021 को खत्म हुआ. इस दौरान किसानों ने बहुत कुछ देखा, वो सर्द मौसम से लेकर बारिश और गर्मी के थपेड़ों से दोचार हुए लेकिन लक्ष्य से नहीं भटके और आखिरकार सरकार ने तीन कृषि कानून वापस ले लिए.
कृषि कानून वापस होने के बाद किसानों की मुख्य मांगो में एमएसपी की गारंटी, किसानों पर दर्ज मुकदमे रद्द करना, जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा, बिजली बिल 2020 को रद्द करना और पराली जलाने पर होने वाली कार्रवाई को रोकने की मांग शामिल थी. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग भी किसान कर रहे थे.
MSP कमेटी में केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधि होंगे ये कमेटी 3 महीने के भीतर रिपोर्ट देगी
ये कमेटी किसानों को MSP किस तरह मिले, यह सुनिश्चित करेगी
किसानों पर दर्ज सभी केस तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाएंगे. UP, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए सहमति दे दी है
केंद्र सरकार, रेलवे और अन्य केंद्रशासित प्रदेशों की तरफ से दर्ज केस भी तत्काल वापस लिए जाएंगे
हरियाणा और उत्तर प्रदेश पंजाब की तरह किसानों को मुआवजा देंगे
बिजली बिल पर किसानों पर संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी, उससे पहले इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा
पराली के मुद्दे पर केंद्र सरकार के कानून की धारा 15 के प्रावधान से किसान मुक्त होंगे
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