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वित्त मंत्रालय का सबसे पहले शुक्रिया. वो, इसलिए क्योंकि उन्होंने चुनावी बॉन्ड पर ‘सीक्रेट कोड’ की क्विंट की स्टोरी पर खुद ही मुहर लगा दी है. यानी वित्तमंत्रालय ने चुनावी बॉन्ड पर 'सीक्रेट कोड' के खुलासे को वाजिब माना है.
प्रेस रिलीज में स्पष्ट किया गया है कि चुनावी बॉन्ड (इलेक्ट्रोरल बॉन्ड) में सिक्योरिटी के लिए 'सीक्रेट कोड' होता है और इस नंबर को सरकार या कोई दूसरा जान नहीं सकता. लेकिन इस सफाई में भी कई विरोधाभासी बातें हैं.
जनवरी 2018 में जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी बॉन्ड लॉन्च किया, तो उन्होंने वादा किया कि किसी भी राजनीतिक दल को चंदा देने वालों को पहचान का खुलासा होने को लेकर डरने की जरूरत नहीं है.
लेकिन, वित्त मंत्री का ये वादा झूठा साबित हो गया. वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किए गए स्पष्टीकरण का यहां प्वॉइंट टू प्वॉइंट खंडन किया गया है.
वित्त मंत्रालय ने प्रेस रिलीज में कहा कि चुनावी बॉन्ड पर जो 'सीक्रेट कोड' दिया गया है, वो सिक्योरिटी फीचर है.
देखिए- वित्त मंत्रालय ने 'सीक्रेट कोड' पर क्या कहा?
लेकिन वित्त मंत्रालय के इस जवाब ने कई और सवाल खड़े कर दिए हैं.
पहला सवालः अगर गुप्त नंबर सिक्योरिटी फीचर है, तो ये इतना यूनीक क्यों हैं?
सरकार को अगर फर्जीवाड़े से बचने के लिए कोई गुप्त नंबर रखना भी था तो वह कोई सामान्य नंबर भी हो सकता था या फिर किसी आम पैटर्न का इस्तेमाल भी किया जा सकता था. केवल फर्जीवाड़े को रोकने के लिए इस सीक्रेट कोड को यूनीक बनाने की क्या जरूरत थी?
दूसरा सवालः यूनीक अल्फानुमेरिक सीरियल नंबर को सिक्योरिटी फीचर बनाने की जरूरत क्या थी?
बॉन्ड पर पहले से ही कई वॉटरमार्क मौजूद हैं, जिनका बतौर सिक्योरिटी फीचर इस्तेमाल किया जा सकता था. फिर, अलग से एक यूनीक नंबर की जरूरत क्यों पड़ी?
तीसरा सवालः अगर आरबीआई हमारी करंसी में कोई गुप्त सीरियल नंबर शामिल नहीं करती है, तो फिर चुनावी बॉन्ड में इसकी क्या जरूरत थी?
बॉन्ड की ही तरह हमारी करंसी पर भी कई वॉटरमार्क होते हैं, जिन्हें अगर रौशनी में करने पर नंगी आंखों से देखा जा सकता है. क्या सरकार यह कहने की कोशिश कर रही है कि चुनावी बॉन्ड (जिनकी एक्सपायरी लिमिट 15 मिनट है) भारतीय करंसी से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं?
वित्त मंत्रालय ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा-
अगर इस सीक्रेड कोड को कहीं नोट नहीं किया जाता है, तो फिर ये कोड बॉन्ड पर है क्यों? और पब्लिक को कैसे पता चलेगा कि इस नंबर का कहीं भी रिकॉर्ड नहीं रखा जा रहा है?
अगर एसबीआई के पास इस सीक्रेट कोड का कोई रिकॉर्ड नहीं है तो फिर इस नंबर का इस्तेमाल सिक्योरिटी फीचर के तौर पर कैसे किया जा सकता है?
अगर एसबीआई के पास सीक्रेट नंबर का कोई रिकॉर्ड नहीं है तो वह इन नंबरों का मिलान कैसे करेंगे और एसबीआई को कैसे पता चलेगा कि कौन सा बॉन्ड असली है और कौन सा नकली?
वित्त मंत्रालय ने प्रेस रिलीज में सफाई देते हुए कहा है-
जब मैं 1000 रुपये का चुनावी बॉन्ड खरीदने के लिए एसबीआई गई, तो मुझे संदेह भरी नजरों से देखा गया. मैंने सेल्फ अटेस्ट KYC डॉक्यूमेंट जमा करे, जिन्हें कई बार देखा गया और उनका ओरीजनल डॉक्यूमेंट्स के साथ कई बार मिलान किया गया.
जब मैंने उन्हें बताया कि मेरा पैन कार्ड खो गया है तो एसबीआई ने मुझे चुनावी बॉन्ड देने से इंकार तक कर दिया. लेकिन मैंने उन्हें बताया कि मेरे पैन नंबर को बैंक आसानी से वैरिफाई कर सकता है.
लेकिन एसबीआई के अधिकारी ने मुझसे कहा-
एसबीआई के एस अन्य सीनियर अफसर तो इनसे भी आगे निकल गए. उन्होंने कहा-
ऐसे में जब वित्त मंत्रालय यह कहता है कि-
तो फिर क्या इस पर भरोसा किया जा सकता है?
चुनावी बॉन्ड को कैश कराने के लिए राजनीतिक दल को ऑरिजनल चुनावी बॉन्ड एसबीआई में डिपॉजिट कराना होता है. वित्त मंत्रालय का कहना है कि चुनावी बॉन्ड पर बॉन्ड जमा करने वाले राजनीतिक दल का कोई भी विवरण नहीं लिखा होता है.
वित्त मंत्रालय ने प्रेस रिलीज के जरिए अपने बयान में कहा है-
लेकिन चुनावी बॉन्ड को भुनाने के लिए राजनीतिक दल को एसबीआई में ओरिजनल बॉन्ड जमा करना होता है. इसका मतलब है कि बॉन्ड एसबीआई से खरीदार और खरीदार से राजनीतिक दल के हाथों होते हुए बॉन्ड वापस एसबीआई के पास ही आता है.
अब, क्या एसबीआई की ये जिम्मेदारी नहीं है कि वह यूनीक सीक्रेट कोड समेत बॉन्ड के सभी सिक्योरिटी फीचर चेक करे, जिससे बॉन्ड को सुरक्षित रखा जा सके?
या फिर जैसा कि वित्त मंत्रालय ने अपनी प्रेस रिलीज में कहा है कि एसबीआई छिपे हुए यूनीक नंबर को अपने रिकॉर्ड में नहीं रखता है?
अगर एसबीआई छिपे हुए यूनीक नंबर को सिक्योरिटी फीचर के तौर पर उस वक्त चेक करती है, जब राजनीतिक दल उसे डिपॉजिट कराते हैं, तो इसका मतलब है कि यूनीक नंबर को चुनावी बॉन्ड खरीदार को देते वक्त रिकॉर्ड में रखा जाता है.
प्रेस रिलीज में यह माना गया है कि बॉन्ड पर रेंडम सीरियल नंबर होते हैं. ऐसे में कोई नंबर एक ही वक्त में रेंडम और सीरियल दोनों कैसे हो सकता है? या तो नंबर सीरियल में हो सकते हैं या फिर रेंडम. लेकिन दोनों एकसाथ कभी भी नहीं.
अब हमें इन तथ्यों पर वित्त मंत्रालय के अगले जवाब का इंतजार है.
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