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चर्चित चारा घोटाले के एक मामले में जब रांची की विशेष सीबीआई अदालत में सजा को लेकर सुनवाई हो रही थी, तो उस वक्त कोर्ट रूम का माहौल ही बदल गया. मामले में दोषी पाए गए आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद और जज के बीच सवाल-जवाब हल्के-फुल्के मजाक के स्तर पर पहुंच गया.
लालू प्रसाद ने जब जज से शिकायत की कि उनके परिचितों को उनसे जेल में मिलने नहीं दिया जा रहा है, तो जज ने सबको हंसाने वाला कमेंट किया.
दरअसल, अदालत में सजा को लेकर बहस हो रही थी. इसी दौरान विशेष सीबीआई जज शिवपाल सिंह ने अदालत में पेश किए गए लालू प्रसाद की ओर इशारा कर पूछा, ''जेल में कोई दिक्कत तो नहीं?''
जवाब में लालू ने कहा, ''साहब, जेल में मेरे परिचितों को मुझसे मिलने नहीं दिया जा रहा है.''
इस पर जज ने मुस्कराते हुए कहा, ''इसीलिए तो आपको अदालत में बुलाते हैं, जिससे आप सबसे मिल सकें.''
जज की इस टिप्पणी से अदालत में हंसी के फव्वारे फूट पड़े.
इसके बाद अदालत ने टिप्पणी की कि अब अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही लालू प्रसाद की पेशी की व्यवस्था पर विचार किया जा रहा है. इस पर लालू ने अनुरोध भरे स्वर में कहा, ''साहब, मुझे अदालत में सशरीर बुलाकर अपना फैसला सुनाएं.''
इस पर अदालत ने कहा, ''आपकी पेशी अदालत में कैसे कराई जाए, इसके बारे में कल (शुक्रवार) ही फैसला करेंगे.''
इस पर लालू ने कहा, ''साहब फैसला देने के पहले ठंडे दिमाग से विचार करिएगा.''
जज ने कहा, ''आपके शुभचिंतक दूर-दूर से फोन कर रहे हैं.''
इसके बाद लालू ने कहा, ''हमने कुछ नहीं किया जज साहब, जेल में बहुत ठंड लगती है.''
इस पर जज ने कहा, ''तबला बजाइए.''
लालू ने मजाकिया अंदाज में कहा, ''जेल में एक किन्नर भी बंद है, गलती से आ गया है.''
इस पर जज ने भी हल्के अंदाज में कहा, ''आप हैं, तो सब ठीक हो जाएगा.''
बता दें कि चारा घोटाले में ये ऐसा दूसरा केस है, जिसमें लालू प्रसाद दोषी पाए गए हैं. इस मामले में 23 दिसंबर को उन्हें दोषी ठहराया गया था. शुक्रवार को सजा सुनाए जाने की संभावना है.
लालू प्रसाद के खिलाफ चारा घोटाले से जुड़े कुल 5 मामलों में रांची में मुकदमे चल रहे थे. इनमें चाइबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में उन्हें 30 सितंबर, 2013 को दोषी ठहराया गया था. 3 अक्टूबर, 2013 को उन्हें 5 साल कैद, 25 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई जा चुकी है. इसके अलावा उनके खिलाफ कुछ मुकदमे अभी चल रहे हैं, जिनकी सुनवाई अंतिम दौर में है.
(इनपुट भाषा से)
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