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चारा घोटाला: हैरान करने वाला स्‍कैम, कई को रुलाने वाला फैसला

चारा घोटाले में फर्जीवाड़े के ऐसे-ऐसे आरोप सामने आए, जिन्‍हें सुनकर कोई भी हैरान रह जाए.

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चारा घोटाले के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने शनिवार को फैसला सुना दिया. केस में बरी होने वाले लोगों की तो मनचाही मुराद पूरी हो गई, लेकिन दोषी करार दिए गए 15 लोगों और उनके परिजनों पर जैसे मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा. दोषियों और कोर्ट के बाहर फैसले का इंतजार कर रहे उनके चाहने वालों की आंखें भर आईं.

किस-किस पर गिरी गाज

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद, पूर्व सांसदों- आरके राणा और जगदीश शर्मा, कई आईएएस अधिकारियों सहित 15 आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया. कोर्ट ने इन सभी को हिरासत में लेकर रांची की बिरसा मुंडा जेल भेजने का निर्देश दिया. अदालत 3 जनवरी को दोषियों के खिलाफ सजा सुनाएगी.

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सजा सुनाए जाते ही लालू प्रसाद, जगदीश शर्मा, आईएएस अधिकारी बेक जूलियस सहित कई लोगों के चेहरे पर मायूसी छा गई. उनके रिश्तेदारों और चाहने वालों की आंखें छलक आईं.

ये पाए गए दोषी

  • लालू प्रसाद
  • सुशील कुमार सिन्हा
  • सुनील कुमार सिन्हा
  • राजाराम जोशी
  • गोपीनाथ दास
  • संजय अग्रवाल
  • ज्योति कुमार
  • सुनील गांधी
  • फूलचंद सिंह
  • बेक जूलियस
  • महेश प्रसाद
  • आरके राणा
  • जगदीश शर्मा
  • कृष्ण कुमार
  • त्रिपुरारी मोहन

अदालत ने इन्‍हें किया बरी

इस मामले में अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत सहित 7 लोगों को निर्दोष करार देते हुए मामले से बरी कर दिया.

जज ने सबसे पहले लिए बरी होने वालों के नाम

950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये के फर्जीवाड़े से जुड़े केस में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने शाम पौने 4 बजे फैसला सुनाया. उन्होंने सबसे पहले इस मामले में जगन्‍नाथ मिश्रा, विद्यासागर निषाद, ध्रुव भगत, चौधरी, सरस्वती चंद्र और साधना सिंह को निर्दोष करार दिया. बरी होते ही इन लोगों ने राहत की सांस ली.

कुछ लोगों को राहत मिलने के फैसले को सुनकर कई के चेहरे पर राहत के भाव उभर आए, लेकिन जज का पूरा फैसला आना अभी बाकी ही थी. इसके बाद जो हुआ, उससे बाकियों को भारी मायूसी हुई.

चारा घोटाले में कैसे-कैसे आरोप

  • 1990 के दशक के चारा घोटाले ने बिहार की राजनीति पर गहरा असर डाला. इसमें पैसे के गबन और फर्जीवाड़े के जो मामले सामने आए, वो चौंकाने वाले थे. आरोप ये भी थे:
  • गाय-भैंस और सांडों की ढुलाई के नाम पर फर्जी तरीके से पैसे बनाए गए.
  • जिन गाड़ि‍यों से मवेशियों की ढुलाई कागज पर दिखाई गई थी, उनमें से ज्‍यादातर के नंबर स्‍कूटर-मोटरसाइकिल के निकले.
  • मवेशियों की दवा के नाम पर फर्जी बिल लगाए गए.
  • कई दवा कंपनियों का तो कहीं कोई अता-पता नहीं था. कुछ कंपनियां तो सचमुच की थीं, लेकिन उन्‍होंने केवल बिल बनाकर फायदा पहुंचाया.
  • पशुओं के चारा के नाम पर कोषागार से पैसे की निकासी की गई.

अब हर किसी की निगाहें 3 जनवरी पर टिकी हैं. उस दिन दोष‍ियों की सजा पर फैसला आएगा.

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