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'फ्रीबीज' (Freebies), रेवड़ी कल्चर (Revdi Culture) या फिर चुनावी खैरात, नाम अनेक लेकिन मकसद एक. चुनाव में वोटर्स को रिझाना और उनका वोट हासिल करना. रेवड़ी कल्चर पर पीएम मोदी के बयान के बाद देशभर में एक बहस शुरू हो गई है. क्या मुफ्त की योजनाएं सही हैं या फिर ये बस चुनावी हथकंडा है? मुफ्त की योजनाओं का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) तक भी पहुंच गया है. इसको लेकर गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में सुनवाई हुई. तो वहीं इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी का अपना-अपना तर्क है.
चलिए सबसे पहले बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में फ्रीबीज (Freebies) यानी मुफ्त की योजनाओं पर क्या हुआ? चुनाव में मुफ्त सुविधाओं का वायदा करने वाली राजनीतिक पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है. जनता की भलाई के लिए लाई जाने वाली वेलफेयर स्कीम और देश की आर्थिक सेहत दोनों में संतुलन बनाए रखने की जरूरत है. चीफ जस्टिस ने मामले में सभी पक्षों से कमेटी बनाने पर सुझाव मांगते हुए अगली सुनवाई 17 अगस्त को निर्धारित की है.
वहीं केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, हाल में कुछ पार्टियों ने मुफ्त उपहार बांटने को एक कला के स्तर पर पहुंचा दिया है. चुनाव अब सिर्फ इसी के सहारे लड़े जा रहे हैं.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने मुफ्त योजनाओं (Freebies) के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि, "कुछ दिनों से जिस तरीके से जनता को दी जाने वाली सुविधाओं का जबरदस्त तरीके से विरोध किया जा रहा है. इससे मन में एक शक पैदा होता है. इतना जबरदस्त तरीके से विरोध क्यों किया जा रहा है? अचानक लोगों के हितों की चीजों का विरोध क्यों किया जा रहा है?"
केजरीवाल के वार पर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा, "मुफ्त सुविधा को लेकर जारी बहस को केजरीवाल गलत दिशा में ले जा रहे हैं. स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा को 'मुफ्त की रेवड़ी' नहीं कहा जा सकता. भारत की किसी सरकार ने इससे इनकार नहीं किया."
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य को रेवड़ी बताकर केजरीवाल गरीबों के दिलोदिमाग में भय पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर स्वस्थ बहस होनी चाहिए.
फ्री स्कीम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में देश की अर्थव्यवस्था (India Economy) को भारी नुकसान होने का हवाला दिया गया है. इसको लेकर बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय (Ashwini Upadhyay) ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि चुनाव में मुफ्त बिजली, पानी, लैपटॉप जैसी योजनाओं का वादा करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है. इससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है. कर्ज माफी जैसे वादों से देश को नुकसान होता है. याचिका में ऐसे वादे करने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग की गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने उत्तर प्रदेश के जालौन में बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के उद्घाटन समारोह में रेवड़ी कल्चर को लेकर विरोधियों पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था,
पीएम के इस बयान के बाद से ही देश में रेवड़ी कल्चर को लेकर एक बहस शुरू हुई है. इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच अक्सर जुबानी जंग होती रहती है.
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