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G-20 अध्यक्षता भारत (India) के लिए बहुत बड़ी बात है. दुनिया के 20 ताकतवर देशों का समूह भारत आ रहा है. इनमें 9 विशेष आमंत्रित देश शामिल हैं. कुल मिला कर भारत 29 बड़े देशों की मेजबानी करेगा. भारत को सर्वेश्रेष्ठ दिखाने के लिए सरकार ने कोई कमी नहीं छोड़ी है. शिखर सम्मेलन की बैठक आयोजित करने वाले 56 शहरों को चमचमाती लाईट, अद्भुत चित्रकला और फूलों से ढक दिया गया है.
अगर गौर किया जाए तो यह देखने को मिलता है कि इस सौंदर्यीकरण के पीछे आंसुओ की एक झड़ी भी है. जों सिसक सिसक कह रही है कि हम कहां जाएं साहेब? इसका जवाब है हम नहीं जानते कहीं भी जाओ. बता दें देश को चमकाने की सरकार की इस कोशिश ने कई गरीबों को बेघर कर दिया है. विदेशी मेहमानों के रास्ते में आने वाली झुग्गी बस्तियां जमींदोज हो गई हैं. इनमें रहने वाले नागरिकों के पास ना तो कोई दूसरा ठिकाना है और ना ही सरकार के पास उन्हें फिर से बसाने के लिए कोई योजना है.
7 फरवरी को दिल्ली में एमसीडी (MCD) ने अतिक्रमण रोधी अभियान चलाया और एक बयान में दावा किया कि आगामी जी20 सम्मेलन के मद्देनजर ये ज़रूरी कार्रवाई है. मतलब शहर के सौंदर्यीकरण के बीच कोई भी झुग्गी बस्ती आई तो उसे उजाड़ दिया जाएगा.
G20 शिखर सम्मेलन से पहले, दिल्ली में 260 से अधिक साइटों को अतिक्रमण के रूप में चिन्हित किया गया है. इसके साथ ही बीते सोमवार को दिल्ली के महरौली में विवादास्पद अभियान भी चलाया गया. बाता दें कि G20 आयोजनों के दौरान एक पार्क बनाने के लिए, एक वर्ग किलोमीटर से अधिक की दर्जनों इमारतों को महरौली में ध्वस्त कर दिया गया है. इसमें कई 2 से 3 मंजिला वाले अच्छे इमारत भी शामिल थी. इसके बाद गुरुवार को DDA ने सराय काले खां बस टर्मिनल के पास बने रैन बसेरा को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया. ये रैन बसेरा 2014 से मौजूद था.
रैन बसेरा से कुछ ही दूरी पर यमुना है जिसके किनारे G-20 डेलीगेट्स के लिए एक पार्क का निर्माण किया जा रहा है. दूसरी तरफ प्रगति मैदान के जनता कैंप में दशकों से रह रहे सैकड़ों परिवार को सड़क पर लाने की कोशिश की जा रही है. उन्हें जगह खाली करने का आदेश आया हैं, हालाकि नोटिस में G-20 का कोई जिक्र नहीं है, पर वहां के लोगों का कहना है कि वो सौंदर्यीकरण में बाधा ना बनें इसलिए सरकार उन्हें हटाना चाहती है.
बता दें G-20 summit का मुख्य कार्यक्रम प्रगति मैदान में आयोजित किया जाएगा. दिल्ली के तुगलकाबाद, मयूर विहार, धौला कुआं, कश्मीरी गेट और सुभाष कैंप के पास की झुग्गियों में रहने वाले लाखों लोगों को दशकों से रिकॉर्ड तोड़ बढ़ती खानो के कीमतों के बीच बेघर होने का खतरा है.
रांची में G-20 शिखर सम्मेलन से पहले रांची नगर निगम ने अतिक्रमण की ऐलान कर दिया है. रांची में कुल 42 अधिकारियों को तैनात किया गया है और इन अधिकारियों ने अतिक्रमण की शुरुआत कर दी है. खास मार्गों पर कई अतिक्रमण हटा दिए गए है. इनकी शुरुआत बिरसा मुंडा एयरपोर्ट रोड और कडरू रोड पर होटल रेडिसन ब्लू के पास के स्थानों से हुई.
सड़क किनारे सभी गरीबों की अवैध दुकानों को हटा दिया गया और उनकी सामग्री और माल को जब्त कर लिया गया. इस बीच उन गरीबों का घर कैसे चलेगा इसकी कोई खोज खबर नहीं है. इसके अलावा, लगभग 25 स्टॉलों को बंद कर दिया गया है.
अतिक्रमण को लेकर कई जगह लोग आवाज उठा रहे हैं लेकिन यहां सवाल ये है कि इनकी आवाज सुन कौन रहा है?
रोजी रोटी की तलाश में गरीब मजदूरों का शहर की तरफ पलायन करना आम बात है. अपने परिवार की मामूली जरूरतों को पूरा करने में ये लोग सक्षम नही हैं. सरकार उन्हें किसी प्रकार की सुविधा देने में पूरी तरह कामयाब नही रही है. ऐसे में उनके सर से छत छीनकर उन्हें सड़कों पर छोड़ देना कितना सही है?
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