QUINT IMPACT: इलेक्टोरल बॉन्‍ड पर सरकार ने दी ये सफाई

सरकार ने कहा, इलेक्टोरल बांड में ऐसा कोई फीचर नहीं जिससे यह पता चल सके कि किसने किसको चंदा दिया 

क्विंट हिंदी
भारत
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द क्विंट ने पिछले सप्ताह इस बात का खुलासा किया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड में छिपे हुए नंबर हैं
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द क्विंट ने पिछले सप्ताह इस बात का खुलासा किया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड में छिपे हुए नंबर हैं
(फोटो: क्विंट हिंदी)

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सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड में अल्फा न्यूमेरिक नंबर होने की खबर पर सफाई पेश की है. उसका कहना है कि बॉन्ड में अल्फान्यूमेरिक नंबर के बजाय इन-बिल्ट सिक्योरिटी फीचर है. बॉन्ड में नंगी आंखों से न दिखने वाला रैंडम सीरियल नंबर इसलिए नहीं दिया गया है कि इससे पता किया जा सके कि कौन किसे चुनावी चंदा दे रहा है. इसका इस्तेमाल चंदे के लेन-देन पर निगरानी के लिए नहीं किया जा सकता है.

'द क्विंट' ने पिछले सप्ताह इस बात का खुलासा किया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड में अल्फान्यूमेरिक नंबर है, जिसे अल्ट्रावॉयलेट रोशनी में देखा जा सकता है. इस नंबर से यह पता किया जा सकता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये कौन किसे चंदा दे रहा है. हालांकि सरकार ने 2017 का बजट पेश करने के दौरान यह दावा किया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड से चंदा लेने और देने वालों की गोपनीयता बनी रहेगी.

द क्विंट ने इस खबर में किया था इलेक्टोरल बॉन्ड में नंबर का खुलासा- चुनावी बॉन्ड में सीक्रेट कोड, किसको दिया चंदा जान लेगी सरकार

'द क्विंट' की इस खबर के बाद मंगलवार को सरकार ने सफाई पेश करते हुए कहा कि फर्जीवाड़े और नकली बॉन्ड पेश करने की आशंकाओं को दुरुस्त करने के लिए नंबर के तौर पर सिक्योरिटी फीचर पेश किए हैं. ये रैंडम सिरियल नंबर नंगी आंखों से नहीं देखे जा सकते. बॉन्ड के खरीदारों या राजनीतिक पार्टी को ओर से जमा किए गए बॉन्ड में नंबर का कोई रिकार्ड एसबीआई नहीं रखता.

एसबीआई की भूमिका पर सरकार का बयान:

एसबीआई न तो सरकार और न ही यूजर से सीरियल नंबर साझा करता है. बैंक बॉन्ड इश्यू करता है लेकिन इसके लेन-देन से यह जुड़ा नहीं है. बॉन्ड में मौजूद नंबर का इस्तेमाल चुनावी चंदे या बॉन्ड खरीदार को ट्रैक करने में न तो इस्तेमाल किया जा रहा है और न ही संभव है.

क्या कहा सरकार ने:

  • इलेक्टोरल बॉन्ड में नंबर में बतौर सिक्योरिटी फीचर
  • बॉन्ड में रैंडम सीरियल नंबर लेन-देन पर निगरानी के लिए नहीं
  • नंबर के जरिये लेन-देन ट्रैक करना संभव नहीं
  • एसबीआई न तो सरकार और न ही यूजर से सीरियल नंबर साझा करता है
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सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को 2 जनवरी, 2018 को नोटिफाई किया है. इलेक्टोरल बॉन्ड प्रॉमिसरी नोट की तरह एक बियरर इंस्ट्रूमेंट है. केवाईसी नियमों को पूरा करने और बैंक अकाउंट से पेमेंट के जरिये ही इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा जा सकता है. सरकार का दावा है कि बॉन्ड में ने तो उसका नाम होता है, जिसके लिेए इसे खरीदा जाता है और न ही कोई ऐसा ब्योरा होता है, जिससे खरीदार की पहचान हो सकती है.

वीडियो देखें - इलेक्टोरल बॉन्ड के छिपे नंबर सिक्योरिटी फीचर नहीं-पूर्व RBI निदेशक

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Published: 17 Apr 2018,04:26 PM IST

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