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सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा फिर मुश्किल में फंसने वाले हैं. सरकारी आदेश न मानने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है. सरकार की तरफ से सौंपे गए पद को उन्होंने स्वीकार करने से इनकार कर दिया था. वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाकर फायर सर्विस और होमगार्ड्स के डीजी का पद दिया गया था.
सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक सरकारी निर्देश का पालन नहीं करने पर इसे सर्विस रूल्स का उल्लंघन माना जाता है. जिसके बाद अब गृह मंत्रालय वर्मा के खिलाफ तैयारी करने की तैयारी में है. मंत्रालय की तरफ से वर्मा को लास्ट वर्किंग डे के लिए ऑफिस ज्वॉइन करने को कहा गया है. लेकिन उन्होंन इसके लिए मना कर दिया.जिसके बाद अब उनके खिलाफ नोटिस जारी हो सकता है.
सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी थी. लेकिन सरकार की तरफ से उनका इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है. बताया जा रहा है कि वर्मा को एक दिन के लिए ऑफिस जॉइन करना होगा, जिसके बाद ही उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा.
वर्मा ने सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाए जाने के बाद दलील दी थी कि उन्होंने DG फायर सर्विसेज, सिविल डिफेंस ऐंड होम गार्ड्स के लिए तय रिटायरमेंट की उम्र पहले ही पार कर ली है. इसीलिए अब वह चाहते हैं कि उन्हें CBI डायरेक्टर के पद से मुक्त होते ही रिटायर माना जाए. उन्होंने कहा था कि 31 जनवरी 2019 तक सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर कार्यकाल दो साल तक के लिए निश्चित था.
सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा पर फैसले के लिए बनाई गई सेलेक्ट कमिटी में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की तरफ से जस्टिस सीकरी, सरकार की तरफ से खुद पीएम मोदी और लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे. इस कमिटी ने 2-1 के फैसले से आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाने का निर्देश दिया.
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