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ये गुरुग्राम में एक दंपत्ति की यातना का शिकार नाबालिग घरेलू हेल्पर की 18 साल की बहन कहती है.
आरोपी दंपत्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है, जब 7 फरवरी को उस नाबालिग हेल्पर को छुड़ाया गया तो उसके सारे शरीर पर चोट के निशान थे. 12 फरवरी, रविवार को लड़की की बड़ी बहन, जो खुद भी दिल्ली में घरेलू हेल्पर है, गुरुग्राम के अस्पताल पहुंची, जहां उसकी बहन को भर्ती कराया गया है. जून 2022 के बाद से यह पहली बार था कि दोनों बहनें आपस में मिलीं.
13 फरवरी, सोमवार को द क्विंट ने दोनों बहनों और उनकी मां से अस्पताल में मुलाकात की.
जब वह नाबालिग लड़की, जिसकी उम्र 17 साल है, ठीक हो जाती है तो दोनों बहनें अपनी मां के साथ झारखंड चली जाएंगी. यह परिवार झारखंड का रहने वाला है. इनकी मां 10 फरवरी को दिल्ली आई थी.
बड़ी बहन अस्पताल में अपनी छोटी बहन के पास बैठी है. वह कहती है, “जब हम पिछले साल झारखंड से काम की तलाश में दिल्ली आए थे, तब नहीं सोचा था कि ऐसी हालत होगी... अगर हमें पता होता तो हम यहां कभी नहीं आते.”
वह कहती है कि उसे अपनी बहन की हालत और उसके साथ होने वाले व्यवहार के बारे में 9 फरवरी को ही पता चला. वह बताती है, “हमारे मामा हमें यहां लाए थे और उन्होंने हमें काम दिलवाया था. उस दिन उन्होंने मुझे फोन किया और अस्पताल आने को कहा. उन्होंने बताया कि मेरी बहन को उसके साहब मेमसाहब ने मारा था.”
जब बड़ी बहन ने अपनी छोटी बहन को देखा तो वह उसकी चोटों को देखकर सन्न रह गई. उसके सिर और हाथों पर घाव थे, होंठ सूजे हुए थे और हाथों पर जले के निशान थे. बड़ी बहन ने रुआंसी होकर कहा-“उसके साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था... उसे देखकर मुझे बहुत खराब लग रहा है.”
बड़ी बहन तीन साल से दिल्ली में घरेलू हेल्पर है. ध्यान देने की बात यह है कि जब उसने काम करना शुरू किया था, तब वह भी नाबालिग ही थी.
उनकी मां का कहना है कि लड़कियों का मामा दिल्ली की एक प्लेसमेंट एजेंसी में काम करता था और उसने दिल्ली एनसीआर में बहुत सी लड़कियों को काम पर रखवाया था. उसकी भांजियां भी उनमें शामिल थीं.
हालांकि जांच के दायरे में वह भी शामिल है, लेकिन फिलहाल उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है. सोमवार को उसने द क्विंट को बताया, “मुझे पता नहीं था कि मेरी भांजी के साथ क्या हो रहा है, वरना मैं उसे कभी यहां लाता ही नहीं.” गुरुग्राम पुलिस ने उस प्लेसमेंट एजेंसी के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है जिसने उस बच्ची को काम पर रखवाया था. इसके अलावा उसके प्लेसमेंट में शामिल एक दूसरे व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया गया है.
बड़ी बहन ने द क्विंट को बताया कि वह जब दिल्ली-एनसीआर आई थी तो उसकी उम्र 15 साल थी. वह दिल्ली के जनकपुरी में एक घर पर काम करती थी. “मेरे साहब मेम साहब अच्छे थे और इसीलिए मैंने वहां दो साल तक काम किया. मुझे 9,000 रुपए देने का वादा किया गया था लेकिन मुझे सिर्फ 6,000 रुपए मिलते थे. फिर मैं दो महीने के लिए झारखंड, अपने घर गई और फिर अपनी बहन के साथ वापस लौटी.”
इसके बाद वह दिल्ली के सुभाष नगर में एक घर में काम करने लगी. वह बताती है, “वहां के लोग भी अच्छे थे. मैंने जहां भी काम किया, मुझे अच्छे लोग मिले. लेकिन मेरी बहन मेरी तरह खुशकिस्मत नहीं थी.”
दोनों बहनें बताती हैं कि जब 2022 में वे दिल्ली पहुंची तो कुछ दिन अपने मामा के साथ रहीं. नाबालिग हेल्पर बताती है, “फिर हरिनगर में रहने वाले एक परिवार ने मुझे अपने बच्चों की देखभाल के लिए रखा. मैंने वहां तीन महीने तक काम किया. लेकिन फिर मुझे काम छोड़ना पड़ा क्योंकि उन लोगों का कहना था कि मैं उनके बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल नहीं करती थी.”
इसके तुरंत बाद, उसे गुरुग्राम के घर पर काम मिल गया. वहां उसने पांच महीने काम किया जिस दौरान उसे जुल्मो सितम झेलने पड़े, कथित रूप से अपने इंप्लॉयर्स के हाथों. उसने द क्विंट को पहले बताया था, “वे लोग हर उस चीज़ से मेरी पिटाई किया करते थे जो उनके हाथ लग जाती थी- चम्मच, कांटे, गर्म बर्तन. रात को सोने में मुझे 3 बज जाते थे क्योंकि वे लोग कहते थे कि रात को उनके पैरों की मालिश करूं और रात को ही कपड़े धोऊं. फिर मुझे सुबह 6 बजे उठना पड़ता था. इसलिए अगले दिन मैं इतनी थक जाती थी कि कई बार मुझे नींद आ जाती थी. इसीलिए वे लोग मुझे पीटते थे.”
जब बड़ी बहन ने उससे कहा कि उसने उसे फोन करने की बहुत कोशिश की, तो छोटी बहन ने कहा, “मैं किसी से बात नहीं कर सकती थी क्योंकि वे लोग मेरा फोन छीन लेते थे और उसे फेंक देते थे या फोन पर बात करने पर गुस्सा होकर चिल्लाते थे.”
अस्पताल में बड़ी बहन अपनी छोटी बहन को याद दिलाती रहती है कि उसे आराम करना चाहिए और सही समय पर खाना खाना चाहिए.
लड़की की मां कहती है कि जैसे ही बच्ची की तबीयत सुधरती है, वह अपने गांव लौटना चाहती है. वह कहती है, “मैं यहां वापस नहीं आना चाहती.” उसकी बड़ी बहन भी उसके साथ जाएगी. “मैं कुछ दिनों के लिए जाना चाहती हूं क्योंकि मेरी छोटी बहन की हालत ठीक नहीं है. फिर मैं दिल्ली वापस आ जाऊंगी और काम करूंगी.” यह कहते हुए उसकी आंखें भरी हुई हैं.
घर पर उनके तीन भाई बहन और हैं- एक बड़ा भाई है जिसके पैरों में चोट है, एक छोटी बहन और उससे छोटा भाई.
उनकी मां शुक्रवार को दिल्ली पहुंची, और तब से अपनी बेटी के साथ अस्पताल में रह रही है. वह कहती है, “मैं उसे अपने साथ ले जाऊंगी और स्कूल में भर्ती करा दूंगी.”
बच्ची ने जब दो तीन साल पहले स्कूल छोड़ा तो वह कक्षा चार में पढ़ती थी. हालांकि दोनों बहनों को स्कूल की बहुत याद तो नहीं लेकिन दोनों का कहना है कि अगर मौका मिला तो वे फिर से स्कूल जाना चाहेंगी.
बड़ी बहन कहती है, “हमारे गांव में कोई स्कूल को अहमियत नहीं देता. हमारे माता-पिता ने हमें स्कूल जाने से नहीं रोका, हमने खुद ही जाना बंद कर दिया. तब हम बच्चियां थे, और नहीं जानते थे कि स्कूल जाना कितना जरूरी होता है.”
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