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देश का अन्नदाता फसल को अपनी संतान की तरह पालता है, लेकिन मौसम की बेरूखी से उसके संजोए सपने मिनटों में धुल जाते हैं. खेतों के बीचोंबीच किसान सिर पकड़कर बैठ जाता है, क्योंकि उसके पास और कोई चारा भी तो नहीं होता.
किसानों के जख्मों को मार्च के महीने ने फिर से हरा कर दिया है. रिकार्डतोड़ बारिश से एक बार फिर अन्नदाता का गुणा-भाग बिगड़ गया है. 19 से 21 मार्च के बीच हुई हरियाणा (Haryana Farmers) में बारिश ने खड़ी फसल को जमीन पर लिटा दिया. 1 अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरू होनी थी, लेकिन इससे पहले ही मौसम ने किसानों को बड़ा झटका दिया है.
करनाल जिले के किसान हर स्वरूप ने बताया कि उन्होने 17 एकड़ में गेहूं की बिजाई की थी. कुछ दिन बाद गेहूं की कटाई होनी थी, लेकिन बारिश ने पूरा खेल बिगाड़ दिया है. फसल को 20 फीसदी का नुकसान हुआ है. हर स्वरूप की प्रशासन से मांग है कि बर्बाद फसल का जल्द से जल्द सर्वे किया जाए ताकि मुआवजा मिल सके.
करनाल जिले के रहने वाले शादी राम ने बताया कि मौसम की वजह से जो फसल बर्बाद होती है. ऐसे में किसान के पास सिर्फ जहर खाकर मरने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता.
कुरुक्षेत्र जिले के हरप्रीत सिंह ने बताया कि बारिश पर किसी का कोई जोर नहीं चलता, क्योंकि परमात्मा ने जो करना था सो कर दिया.पिछले साल भी बारिश के वजह से मेरी फसल बर्बादी की भेंट चढ़ी थी और इस बार भी खड़ी फसल खराब हो गई है.
रेवाड़ी जिले के गांव धनोरा के रहने वाले 45 साल के पवन कुमार अफने खेत में काम कर रहा था, लेकिन मौसम खराब होते उसे अचानक सदमा लगा और हार्ट अटैक से उसकी मौत हो गई. साथी किसान ने उसे तुरंत रेवाड़ी के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
बेमौसमी बारिश की वजह से किसानों को फिर आर्थिक नुकसान हुआ है. किसानों का पीला सोना न सिर्फ पानी की भेंट चढ़ा, बल्कि बर्बादी के निशान भी छोड़ गया. अगर बीते 3 साल में मार्च महीने में बारिश की बात की जाए तो पिछले रिकार्ड ध्वस्त हो रहे हैं. अगर मार्च के महीने में बारिश की एक बूंद भी गिर जाए तो समझो किसानों की फसल को उससे नुकसान जरूर है.
ऐसे में आप आसानी से अनुमान लगा सकते हैं कि करीब 25 फीसदी बारिश से फसलों को कितना नुकसान हुआ है, क्योंकि फसल अब लगभग पककर तैयार है और कटाई की स्टेज पर है.
बारिश और ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसलों को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया क्योंकि उन दिनों हरियाणा के बजट सत्र का दूसरा चरण चल रहा था. मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सदन में खड़े होकर कहा कि बारिश और ओलावृष्टि से खराब ही फसलों की विशेष गिरदावरी की जाएगी. उन्होंने किसानों से आग्रह किया है कि फसल क्षति के दावों को समय पर ई फसल क्षतिपूर्ति पोर्टल पर अपलोड करें ताकि अन्नादाता को मुआवजा मिल सके.
हर बार हालात ऐसे होते हैं किसान कड़ी मेहनत से अनाज मंडी में फसल लेकर पहुंचता तो है, लेकिन कई बार अनाज बारिश की भेंट चढ़ जाता है ऐसे में सरकार और मार्केट कमेटी अपने हाथ पीछे खींच लेती है. इसमें सीधा-सीधा किसान को घाटा होता है. रेवाड़ी जिले के किसान कर्मबीर ने कहा कि इस बार भी मेरी सरसों की फसल मंडी में पड़ी खराब हो गई है. हालात ये है कि सरसों बारिश के पानी में बहती नजर आई.
लेकिन सच्चाई ये भी है कि सरकार फसलों को एमएसपी पर खरीदने का दावा तो करती है मगर उस खरीद का तय समय किसानों से ताल्लुकात नहीं खाता, मजबूरन बहुत से किसानों को एमएसपी से कम दामों पर सरसों और गेहूं को बेचना पड़ता है.
हांलाकि सरकार ने 28 मार्च से सरसों और गेहूं की सरकारी खरीद 1 अप्रैल से खरीदने का ऐलान किया है. मगर जिन किसानों की फसल तैयार है वो इस बेमौसमी बारिश से कैसे अपनी फसलों को बचाए, इन सब बातों को लेकर सरकार को सोचना होगा तभी किसानों की मेहनत रंग लाएगी और देश प्रदेश का किसान खुशहाल होगा.
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