advertisement
हरियाणा के भिवानी में बोलेरो गाड़ी में मिली दो युवकों की जली लाश राजस्थान के भरतपुर निवासी जुनैद और नासिर की बताई जा रही है. जुनैद और नासिर के परिवार ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं और गोरक्षकों पर दोनों को पीट-पीटकर मार देने का आरोप लगाया है. परिजनों की तरफ से दर्ज एफआईआर में मोनू मानेसर का भी नाम है, जो सरकार के गोरक्षक टास्क फोर्स का सदस्य बताया जा रहा है.
ऐसे में सवाल उठता है कि हरियाणा सरकार की गोरक्षा टास्क फोर्स क्या है? इसका गठन क्यों किया गया था? इस टास्क फोर्स में कौन-कौन शामिल है?
हरियाणा सरकार ने जुलाई 2021 में स्पेशल गोरक्षा टास्क फोर्स को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया था. सरकार ने राज्य के हर जिले के लिए गोरक्षा टास्क फोर्स कमेटी और स्पेशल गोरक्षा टास्क फोर्स का गठन किया था.
राज्य सरकार ने इसके गठन पर कहा था कि टास्क फोर्स का मुख्य उद्देश्य जनता से पशु तस्करी और हत्या के संबंध में जानकारी इकट्ठा करके हरियाणा गोवंश संरक्षण और गोसंवर्धन अधिनियम 2015 को प्रभावी ढंग से लागू करना, और जनता से मिले इनपुट के बाद ऐसी अवैध गतिविधियों के खिलाफ कार्रवाई करना होगा.
नोटिफिकेशन में आगे कहा गया था, "टास्क फोर्स की दूसरी प्रमुख भूमिका राज्य के आवारा पशुओं को गोशाला/नंदीशाला/गो अभयारण्य में पुनर्स्थापित करना होगा. राज्य के गोरक्षा टास्क फोर्स द्वारा राज्य में अवैध परिवहन, तस्करी और हत्या से बचाए गए मवेशियों का राज्य की गोशालाओं और नंदीशालाओं में पुनर्वास किया जाएगा."
जिला स्तर पर गोरक्षा टास्क फोर्स में अक्ष्यक्ष के रूप में डिप्टी कमिश्नर होते हैं. इसके अलावा, एसपी, नगर निगम समिति के कमिश्नर, जिला परिषद विकास एवं पंचायत विभाग के सीईओ, सदस्य के रूप में जिला अटॉर्नी, और सदस्य सचिव के रूप में पशुपालन एवं डेयरी के डिप्टी डायरेक्टर इसका हिस्सा होते हैं. वहीं, तीन गैर-सरकारी सदस्यों को हरियाणा गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष द्वारा और गोरक्षक कमेटी से दो सदस्यों या नामी गोसेवकों को जिला स्तरीय टास्क फोर्स के लिए डिप्टी कमिश्नर द्वारा नामित किया जाता है. साथ ही, जिला पुलिस प्रमुख एक डीएसपी रैंक के अधिकारी को नामित करते हैं.
नोटिफिकेशन के मुताबिक, समीक्षा करने और 'हरियाणा गोवंश संरक्षण और गोसंवर्धन अधिनियम 2015' के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए रणनीति बनाने के लिए कमेटी को दो महीने में एक बार बैठक करनी होती है. कमेटी महीने के दौरान की गई कार्रवाई की मासिक रिपोर्ट सीधे गोसेवा आयोग के अध्यक्ष को कमेटी के अध्यक्ष के जरिये सौंपती है. कमेटी का कार्यकाल नोटिफिकेशन की तारीख से तीन साल के लिए है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)