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"लाठी-डंडे और हथियारों से लैस 90-100 लोगों की भीड़ ने मस्जिद को चारों ओर से घेर लिया. वे जय श्री राम के नारे लगा रहे थे... भीड़ में से कुछ व्यक्ति मस्जिद में घुस गए और उन्होंने अपने हथियारों से फायरिंग शुरू कर दी."
यह दावा ASI संदीप ने गुरुग्राम के अंजुमन जामा मस्जिद (Anjuman Jama Masjid) पर हिंसक भीड़ के हमले के मामले में दर्ज FIR में की है. हरियाणा (Haryana Violence) के नूंह से शुरू हुई हिंसा की आग जब गुरुग्राम के एक मस्जिद में पहुंची तो उसने मूल रूप से बिहार के 22 साल के इमाम हाफिज साद की जान ले ली. मंगलवार, 1 अगस्त की देर रात 12.10 बजे एक हिंसक भीड़ ने गुरुग्राम के सेक्टर 57 में स्थित अंजुमन जामा मस्जिद में आग लगा दी.
FIR के मुताबिक हिंसक भीड़ ने मस्जिद में मौजूद खुर्शीद आलम को भी पैर में गोली मार दी थी. खुर्शीद आलम की हालत गंभीर है और वो ICU में भर्ती हैं. मामले में दायर FIR में भीड़ में से 9 आरोपियों को भी चिन्हित किया गया है.
क्विंट हिंदी को प्राप्त FIR कॉपी के अनुसार ASI संदीप को हिंसा के मद्देनजर अंजुमन जामा मस्जिद की सुरक्षा की जिम्मेदारी मिली थी. उनके साथ मस्जिद में ड्यूटी पर 5 अन्य पुलिसकर्मी मौजूद थे.
FIR में ASI संदीप के हवाले से कहा गया है, "उग्र भीड़ मस्जिद के और करीब बढ़ी. इतनी देर में मुझे पता लगा कि मस्जिद में आग लगा दी गयी है. आग पर काबू पाने के लिए मैं साथी पुलिसकर्मी के साथ आग की ओर बढ़ा तो दूसरी तरफ से भीड़ में से कुछ व्यक्तियों ने मस्जिद में घुस कर फायरिंग शुरू कर दी."
FIR के अनुसार घायल हाफिज साद और खुर्शीद आलम को इलाज के लिए नजदीकी हॉस्पिटल W-प्रतीक्षा में भेजा गया. इसके अलावा हालात के बारे में गुरुग्राम कंट्रोल रूम, फायर बिग्रेड, थाना प्रबंधक और उच्च अधिकारियों को सूचित किया गया. थाना प्रबंधक पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और उन्होंने भीड़ को तितर-बितर किया.
ASI संदीप की तहरीर पर दर्ज FIR के अनुसार पुलिस बल ने हिंसक भीड़ में से 9 व्यक्तियों की पहचान की है. बाद में उन्हें हॉस्पिटल द्वारा एक फोन कॉल से सूचना मिली कि हिंसा में घायल हाफिज साद की मौत हो चुकी है.
22 साल के हाफिज साद बिहार के जिला सीतामढ़ी के पंडौल बुजुर्ग के मनिया डीह गांव के रहने वाले थे. क्विंट हिंदी से बात करते हुए हाफिज साद के भाई शादाब ने बताया कि उन्हें फोन पर जानकारी मिली हाफिज घायल हो गए हैं.
शादाब ने बताया कि हाफिज की अभी शादी नहीं हुई थी और वो करीब आठ महीने से मस्जिद में नाएब इमाम था और उसे ग्यारह हजार रुपये सैलरी मिल रही थी.
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