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हिमंता बिस्वा सरमा ने असम के नए मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल जगदीश मुखी ने उन्हें शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण कार्यक्रम में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा भी मौजूद रहे. असम विधानसभा चुनावों में बीजेपी की बड़ी जीत के बाद 9 मई को बैठक में उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया था.
हिमंता बिस्वा सरमा असम की राजनीति का अहम चेहरा रहे हैं. कभी असम कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले सरमा अब बीजेपी की अगुवाई में बनने वाली सरकार के मुखिया होंगे. आइए जानते है छात्र राजनीति से अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत करने वाले हिमंता बिस्वा सरमा का राजनीतिक सफर.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने अपने पॉलिटिकिल करियर की शुरुआत ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के साथ की. 1991-92 में हिमंता बिस्वा सरमा कॉटन कॉलेज यूनियन सोसाइटी के महासचिव बने. इस दौरान वे पॉलिटिकिल साइंस में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहे थे.
ऑल इंडिया असम स्टूडेंट्स यूनियन ने 1979 से 1985 तक असम आंदोलन का नेतृत्व किया. इस समय सरमा की प्रफुल्ल कुमार महानता से नजदीकियां बढ़ीं. प्रफुल्ल कुमार असम में क्षेत्रवाद के बड़े चेहरे थे और उन्होंने भृगु कुमार के साथ 1985 में असम समझौते के बाद असोम गण परिषद की स्थापना की थी.
हिमंता बिस्वा सरमा जलबाकुरी विधानसभा सीट से 2006, 2011 और 2016 में विधायक चुने गए. इस सीट पर उन्होंने 1 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीता.
कांग्रेस में रहकर हिमंता बिस्वा सरमा का कद बढ़ता गया और वे मुख्यमंत्री तरुण गोगाई के चहेते बन गए. इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली, लेकिन 2013 में तब सरमा और गोगोई के बीच मतभेद बढ़ने लगे, जब मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने अपने बेटे गौरव गोगोई को आगे बढ़ाना चाहा. सरमा चाहते थे कि तरुण गोगोई के बाद वे मुख्यमंत्री की कमान संभालें.
आखिरकार 2 साल तक चली खींचतान के बाद, हिमंता बिस्वा सरमा ने 10 विधायकों के साथ कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली.
कांग्रेस पार्टी में अपने कार्यकाल के दौरान हिमंता बिस्वा सरमा कई विवादों में घिरे, इनमें लुइस बर्गर घूस कांड और सारदा चिटफंड केस से जुड़े आरोप शामिल हैं. हालांकि, इनमें से किसी केस में उन्हें दोषी नहीं पाया गया और उनका राजनीतिक करियर जारी रहा.
असम में बीजेपी की सरकार में रहकर हिमंता बिस्वा सरमा ने केवल अहम मंत्रालयों को संभाला, बल्कि नॉर्थईस्ट में बीजेपी को मजबूत करने के लिए भी काम किया. उन्हें नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया.
हिमंता बिस्वा सरमा की मदद से बीजेपी ने न केवल असम में सरकार बनाई, बल्कि अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में भी बीजेपी की सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके अलावा उन्होंने मेघालय में भी बीजेपी की सरकार सुनिश्चित की. नागालैंड में हिमंता बिस्वा सरमा ने नागा पीपुल्स फ्रंट, नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोगेसिव पार्टी और बीजेपी के बीच गठबंधन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
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