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पांच दशक के बाद भारतीय वायुसेना ने इस साल फरवरी में एक बार फिर LoC पार करके आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया था. वायुसेना के 12 'मिराज-2000' फाइटर प्लेन ने एलओसी पार करके बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के सबसे बड़े ट्रेनिंग कैंप को खत्म कर दिया था. इससे पहले वायुसेना ने साल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाक में एयर स्ट्राइक की थी.
1971 में पाकिस्तान की धरती पर भारतीय वायुसेना की ओर से पहली बार बड़ी कार्रवाई की गई थी. तब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं. आइए जानते हैं 1971 में वायुसेना के उस पराक्रम की पूरी कहानी.
साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में पाकिस्तान सेना की ओर से आम जनता पर हिंसा और उत्पीड़न काफी ज्यादा बढ़ गया था. इससे भारत-पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंध बिगड़ने लगे थे. हालात इतने बिगड़ गए कि 22 नवंबर को दोनों देश आमने-सामने आ गए. इस दिन दोपहर 2 बजकर 41 मिनट पर पहले चार पाकिस्तानी वायुयानों ने भारतीय क्षेत्र पर गोलाबारी की.
भारत-पाकिस्तान के बीच असली युद्ध 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ, जब पाकिस्तानी वायुसेना ने पहले भारतीय वायुसेना के श्रीनगर, अमृतसर और पठानकोट स्थित बेसों पर पूरी प्लानिंग के साथ हमला किया. इसके बाद में अंबाला, आगरा, जोधपुर, उत्तरलई, अवंतीपोरा, फरीदकोट, हलवाड़ा और सिरसा पर भी हमले किए गए. जवाब में अगले दो हफ्ते के दौरान भारतीय वायुसेना ने भी पाकिस्तानी बेसों पर हमला किया.
जब 500 किग्रा के बमों से तेजगांव और कुर्मीतोला स्थित पाकिस्तानी वायुसेना के हवाई बेसों पर हमला किया गया, तब भारतीय वायुसेना के मिग-21 ने अपना दमखम दिखाया था.
पूर्वी सीमा पर भारतीय सेना ने पूरे पराक्रम के साथ पाकिस्तान के खिलाफ अभियान शुरू किया. इस अभियान में तीनों दिशाओं से आगे बढ़ रही हथियारबंद पैदल सेना, वायुयान, हेलिकॉप्टरों से किए जा रहे हमले और पोतों से की जा रही मिसाइलों की बमबारी शामिल थी.
वायुसेना के चार हंटर वायुयानों ने राजस्थान के लोंगेवाला स्थित एक पूरी हथियारबंद रेजिमेंट को खत्म कर दिया. इसके साथ ही वायुसेना ने पश्चिमी पाकिस्तान में दुश्मन के रेल संचार को भी पूरी तरह खत्म कर दिया. इसके बाद दुश्मन के हमले पर विराम लग गया.
साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भी वायुसेना ने आतंकी आउटपोस्ट पर बम गिराए थे, लेकिन तब एलओसी पार न करने का खास ध्यान रखा गया था.
1971 की लड़ाई में भारतीय वायुसेना को अपने इस पराक्रम के लिए देश के सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. श्रीनगर से नैट वायुयान उड़ा रहे फ्लाइंग अफसर निर्मल जीत सिंह सेखों को मरणोपरांत परमवीर चक्र दिया गया. इस अभियान की सफलता के बाद भारतीय वायुसेना की खूब सराहना की गई.
(सोर्स: indianairforce.nic.in)
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