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21 जून से केंद्र ने राज्यों को मुफ्त वैक्सीन देने का काम शुरू किया, यानी इसी दिन से केंद्र ने कमान अपने हाथ में लिया और इसी दिन भारत ने एक नई उपलब्धि हासिल की. 80 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन (COVID Vaccine) दी गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया. तो क्या अब वैक्सीन की किल्लत खत्म हो गई? क्या अब वैक्सीनेशन की रफ्तार बढ़ गई है? सच इससे दूर है.
स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने तो यहां तक दावा कर दिया कि ये वर्ल्ड रिकॉर्ड है और अब तक किसी देश में एक दिन में वैक्सीन के इतने डोज नहीं दिए गए. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री का ये दावा थोड़ा संदेहस्पद है, क्योंकि ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि चीन ने रोजाना करीब 2 करोड़ वैक्सीन के डोज दिए हैं.
खैर, अगर हम स्वास्थ्य मंत्री के दावे पर यकीन कर लेते हैं, तो इसका मतलब ये निकाला जाए कि भारत में अब वैक्सीन की किल्लत खत्म हो गई है? पिछले दो महीने से देश के कई राज्यों में वैक्सीन की किल्लत देखी जा रही थी, लेकिन एक दिन में 85 लाख डोज तो यही तस्वीर पेश करता है कि देश में अब पर्याप्त वैक्सीन है और हम रोजाना इस दर को बनाए रख सकते हैं. है ना?
इस प्वाइंट पर जाने से पहले 21 जून को बनाए गए ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ के पीछे की कहानी समझते हैं. केंद्र सरकार के ‘सभी के लिए फ्री वैक्सीन’ कैंपेन के पहले दिन रिकॉर्ड वैक्सीन डोज दिए गए. इस रिकॉर्ड के पीछे एक चौंकाने वाली बात देखी जा रही है. CoWIN पोर्टल के डेटा के मुताबिक, पिछले एक महीने का वैक्सीनेशन ट्रेंड देखें, तो पता चलता है कि 21 जून को वैक्सीनेशन नंबर अचानक से ऊपर गया है.
बीजेपी शासित राज्यों में हैरान करने वाला ट्रेंड देखा गया. जिस मध्य प्रदेश में 21 जून को रिकॉर्ड 17 लाख डोज दिए गए, वहीं उससे एक दिन पहले 20 जून को राज्य में केवल 692 डोज दिए गए. राज्य के पिछले एक महीने के रिकॉर्ड को देखें तो इससे कम डोज 26 मई (2023) को दिए गए, यानी कि एक महीने के अंदर वैक्सीनेशन कई बार कम हुआ है, लेकिन ये आंकड़ा हजार से नीचे कभी नहीं आया.
वहीं, उत्तर प्रदेश के ट्रेंड से पता चलता है कि यहां रविवार को वैक्सीनेशन का रेट धीमा रहता है. पिछले एक महीने में हर रविवार को वैक्सीनेशन रोजाना के मुकाबले कम रहा है. हालांकि, 21 जून को यहां भी सबसे ज्यादा टीके (7.25 लाख) दिए गए, जो पिछले एक महीने में सबसे ज्यादा है.
गुजरात, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक में भी 21 जून को वैक्सीनेशन अचानक से ऊपर गया.
वहीं, गैर-बीजेपी सरकार वाले राज्यों में देखें तो दिल्ली में 21 जून को रिकॉर्ड नहीं बना. दिल्ली में पिछले एक महीने में सबसे ज्यादा डोज 17 जून को दिए गए थे, जब 90 हजार से ज्यादा वैक्सीन लगी थी. 21 जून को दिल्ली में 76 हजार डोज दिए गए. दिल्ली में भी रविवार के दिन वैक्सीनेशन कम देखा गया.
महाराष्ट्र में ट्रेंड यही दिखा कि 19 जून को राज्य में 3.81 लाख डोज दिए गए थे, जो 20 जून को कम हो कर 1.13 लाख हुए, और 21 जून को 3.82 लाख हुए.
अब सवाल ये उठ रहा है कि 21 जून को नई पॉलिसी लागू होने के पहले दिन रिकॉर्ड बनाने के लिए क्या जानबूझकर ज्यादा वैक्सीनेशन हुआ? क्या सरकार ने वैक्सीन जमा कर हेडलाइन बनाने की कोशिश की? क्या 21 जून को ‘हेडलाइन इवेंट’ के लिए कई राज्यों में पिछले कुछ दिनों में वैक्सीनेशन धीमा किया गया?
सरकार ने 21 जून को कथित ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड’ तो बना लिया, लेकिन क्या अब उसके पास इतनी वैक्सीन है कि इस रिकॉर्ड को कायम रखा जा सके? सरकार वाहवाही लूटने में लगी है, लेकिन इसपर कोई जवाब नहीं है कि रोजाना 80 लाख डोज के लिए वैक्सीन कहां से आएंगी.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) मई से प्रतिमाह 10 करोड़ वैक्सीन का प्रोडक्शन करने वाली थी, लेकिन ये ख्वाब अभी तक मुमकिन नहीं हो पाया है. कंपनी जून-जुलाई में प्रतिमाह 6 से 7 करोड़ वैक्सीन प्रोडक्शन की तैयारी कर रही है. कहा जा रहा है कि अगस्त से कंपनी हर महीने 10 करोड़ डोज तैयार करेगी. कंपनी का ये हाल तब है जब कोविशील्ड के विदेशी एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी गई है.
कोवैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक का प्रोडक्शन सीरम इंस्टीट्यूट के मुकाबले कम है. कंपनी जुलाई-अगस्त तक साढ़े 6 करोड़ डोज और सितंबर से 10 करोड़ डोज तैयार करने की तैयारी में है. भारत सरकार ने रूस की स्पुतनिक वी वैक्सीन को भी मंजूरी दी है, जिसके करीब सवा करोड़ डोज भारत पहुंच चुके हैं. हालांकि, इसके कितने डोज दिए जा चुके हैं, इसके लेकर पर्याप्त डेटा अभी नहीं है.
आंकड़े साफ हैं. हमारे पास रोजाना 80 लाख डोज देने के लिए अभी पर्याप्त वैक्सीन नहीं है. इस ‘रिकॉर्ड’ को बनाए रखने के लिए प्रोडक्शन क्षमता को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि इसी के जरिये हम दिसंबर तक सभी 95 करोड़ व्यस्क लोगों को वैक्सीन देने का ख्वाब पूरा कर पाएंगे.
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