कोरोना वैक्सीन मेकर फाइजर के सीईओ अलबर्ट बूर्ला ने कहा है कि फाइजर वैक्सीन को भारत में मंजूरी आखिरी चरण में है. कंपनी को उम्मीद है कि वो जल्द ही भारत सरकार से करार को अंतिम रूप दे देंगे. पिछले कई दिनों से फार्मास्युटिकल कंपनी फाइजर भारत में अपनी COVID-19 वैक्सीन के लिए 'जल्द मंजूरी' की मांग के साथ सरकार से बात कर रही है.
सीईओ बूर्ला ने बताया था कि कंपनी अपने अमेरिका, यूरोप और एशिया स्थित वितरण केंद्रों से सात करोड़ डॉलर (करीब 510 करोड़ रुपये) की दवाएं भारत के लिए भेज रही है.
उन्होंने फाइजर इंडिया के कर्मचारियों को भेजे मेल में कहा था ‘‘हम भारत में COVID-19 के हालात से अत्यधिक चिंतित हैं, और दिल से आपके, आपके प्रियजनों और भारत के सभी लोगों के साथ हैं.’’ उन्होंने यह मेल लिंक्डइन पर पोस्ट किया है. फाइजर के CEO ने कहा, ‘‘हम इस बीमारी के खिलाफ भारत की लड़ाई में भागीदार बनने के लिए प्रतिबद्ध हैं और अपनी कंपनी के इतिहास में सबसे बड़ी मानवीय राहत के लिए तेजी से काम कर रहे हैं.’’
फाइजर ने वापस लिया था अपना आवेदन, ये थी वजह
फाइजर ने अपनी वैक्सीन के लिए दिसंबर में भारत के ड्रग रेग्युलेटर (DCGI) से अनुमति मांगी थी. इसके बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) ने फाइजर के आवेदन पर विचार किया था और उसकी वैक्सीन को मंजूरी देने के खिलाफ सिफारिश की थी.
भारत में फिलहाल सिर्फ तीन कोरोना वायरस वैक्सीन को ही इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है. सबसे पहले भारत ने एस्ट्राजेनेका की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी दी थी. इसके बाद भारत ने रूसी कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक को भी इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी.
अब सरकार ने विदेशी वैक्सीनों के लिए तेज की मंजूरी की प्रक्रिया
भारत सरकार ने देश में कोरोना वायरस वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए विदेश में बनी वैक्सीनों को मंजूरी देने की प्रक्रिया तेज कर दी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, प्रमुख विदेशी वैक्सीन के एलिजिबल मैन्युफैक्चरर्स को अब भारत में (मंजूरी से पहले) अलग से लोकल क्लीनिकल ट्रायल करने की जरूरत नहीं होगी.
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