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जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार पर एक रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह बताया गया है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से राज्य में मानवाधिकार का सिलसिलेवार तरीके से हनन जारी है. फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स ने यह रिपोर्ट जारी की है.
इस फोरम में शिक्षा और मानवाधिकार से जुड़े कई बड़े नाम शामिल हैं. इनमें जस्टिस मदन लोकुर, राधा कुमार, निरुपमा राव, सांथा सिन्हा, एयर वाइस मार्शल कपिल काक और रामचंद्र गुहा शामिल हैं.
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के हटाए जाने के बाद घाटी में मानवाधिकारों पर यह इस फोरम की दूसरी रिपोर्ट है. इस रिपोर्ट में नागरिक सुरक्षा, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धतता, इंडस्ट्री और रोजगार जैसे मुद्दे शामिल हैं, साथ ही कोविड की वजह के चलते हुए लॉकडाउन के असर का भी जिक्र है.
इस रिपोर्ट में अगस्त 2020 से जनवरी 2021 के हालातों का जिक्र किया गया है.
जम्मू-कश्मीर में सरकार और लीडरशिप के अभाव में कई बुनियादी सुविधाओं पर बुरा असर पड़ा है. इनमें पीने का पानी, बेहतर सड़कें, बिजली की आपूर्ति, मेडिकल सुविधाओं की कमी और स्लो इंटरनेट की वजह से नागरिक बुरी तरह परेशान रहें.
कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है. इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के सर्वे में जम्मू-कश्मीर अन्य 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 21वें स्थान पर था.
घाटी में ट्रकों की आवाजाही पर रोक से प्रवासी मजदूरों की कमी होने से कृषि और बागवानी का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ.
वहीं डल और निगीन झील में किसी भी तरह के कार्य पर हाईकोर्ट की रोक होने की वजह से टूरिज्म इंड्रस्टी पर असर पड़ा. दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ी.
राज्य में पिछले 6 महीनों से कई ग्रुप्स को भुगतान में देरी, परेशानी और मुश्किल परिस्थितियों में काम करना पड़ा. इन संस्थाओं में यूनिवर्सिटी के कर्मचारी, फॉरेस्ट कर्मचारी, विलेज डिफेंस कमेटी के सदस्य, इंजीनियर्स, होम गार्ड्स, अस्पताल के कर्मचारी, दैनिक वेतन भोगी, गैर प्रवासी कश्मीरी पंडित शामिल हैं.
फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर भी सवाल उठाए गए.
मई 2020 में नई मीडिया पॉलिसी के जारी होने के बाद से पिछले 6 महीनों में सिलसिलेवार तरीके से इसका इस्तेमाल मनोवैज्ञानिक रूप से मीडियाकर्मियों को डराने के लिए किया गया. जिसमें शारीरिक प्रताड़ना, समन, छापेमारी और न्यूज पेपर के दफ्तरों को सील करने की प्रशासनिक कार्रवाई शामिल है.
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