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जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटा लिया गया है. सोमवार, 5 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में प्रस्ताव पेश कर जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने की घोषणा की. केंद्र सरकार के इस बड़े फैसले पर इंटरनेशनल मीडिया का क्या कहना है, देखिए.
‘’ये फैसला प्रधानमंत्री मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी के हाल ही में हुए चुनावों में प्रचंड जीत के बाद आया है. ये फैसला कश्मीर के साथ नई दिल्ली के रिश्तों को बिगाड़ सकता है और इकलौते मुस्लिम बहुल राज्य, कश्मीर में तनाव पैदा कर सकता है. इस बात को लेकर भी चिंता है कि ये कदम कैसे देश के बाकी हिस्सों में बहुसंख्यक हिंदुओं और अल्पसंख्यक मुसलमानों के बीच तनाव को बढ़ा सकता है.’’
‘’ये प्रस्ताव, जिसका हिंदू राष्ट्रवादी सदियों से वकालत करते आए है, 1947 में आजादी के बाद से किसी भी सरकार की तरफ से कश्मीर के लिए दिया गया सबसे क्रांतिकारी बदलाव है. बीजेपी हमेशा से कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को हटाने की बात करती आई है, लेकिन ये पहली बार है जब कोई ठोस प्रस्ताव पेश किया गया हो. ये घोषणा प्रधानमंत्री के रूप में मोदी की विरासत को आगे चल कर परिभाषित कर सकती है. हालांकि, इससे पाकिस्तान से कड़ी प्रतिक्रिया की संभावना है, जो हमेशा से कश्मीर पर अपना दावा ठोकता आया है.’’
‘’मोदी सरकार ने कहा कि वो राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक स्थिति को संशोधित करने के उपायों को जल्द पेश करेगी. भारतीय में, राज्य सरकारें स्थानीय मामलों पर ज्यादा अधिकार रखती हैं, लेकिन केंद्र शासित प्रदेश के मामलों में केंद्र सरकार का रोल ज्यादा अहम होता है.’’
‘’कई साल तक, कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों की तुलना में अलग तरह से शासित किया गया है. संविधान का आर्टिकल 370 कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे पर एक झटके के रूप में देखा जा सकता है. भारत की सत्ताधारी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की जड़ें हिंदू राष्ट्रवादी विचारधारा में जमी हैं. इस साल चुनाव के दौरान, उसके अभियान में कश्मीर (जो कि मुस्लिम बहुल है) की विशेष स्थिति को हटाना एक मुख्य मुद्दा रहा था.’’
‘’मई में चुनाव जीतने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हिंदू राष्ट्रवादी सरकार का संसद में बहुमत है. मोदी की राइट-विंग भारतीय जनता पार्टी अब संसद में अपने प्रमुख नीतिगत लक्ष्यों में आगे बढ़ा सकती है. इसमें आर्टिकल 370 को खत्म करने का बीजेपी का लंबे समय से किया गया वादा भी शामिल है, जिसमें ये तर्क दिया गया है कि देश के बाकी हिस्सों के साथ कश्मीर को साथ करना जरूरी है.’’
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