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नासिक: इंटर-फेथ शादी के कार्ड को बताया 'लव जिहाद', परिवार ने रद्द किया कार्यक्रम

WhatsApp पर शादी का कार्ड शेयर होने और विरोध के बाद परिवार ने 18 जुलाई को होने वाला कार्यक्रम रोक दिया है.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>शादी के कार्ड पर विवाद</p></div>
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शादी के कार्ड पर विवाद

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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महाराष्ट्र के नासिक के एक परिवार को अपनी 28 साल की बेटी की शादी का कार्यक्रम रोकना पड़ा, क्योंकि लोगों ने इसे 'लव जिहाद' का मामला बताकर इसका विरोध प्रदर्शन किया. लड़की की शादी एक मुस्लिम शख्स से होने जा रही थी, जिसका शादी का कार्ड लीक हो गया और लोगों ने इसका विरोध किया.

WhatsApp पर शादी का कार्ड शेयर होने और विरोध के बाद परिवार ने 18 जुलाई को होने वाला कार्यक्रम रोक दिया है.

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कपल की शादी पहले ही एक स्थानीय कोर्ट में रजिस्टर हो चुकी है और परिवार अपने फैसले पर कायम रहेगा और दोनों को अलग होने के लिए मजबूर नहीं करेगा.

पब्लिकेशन से बात करते हुए, दुल्हन के पिता, प्रसाद अदगांवकर ने कहा कि शारीरिक रूप से दिव्यांग होने के कारण उन्हें दूल्हा खोजने में कठिनाई का सामना करना पड़ा.

पिता ने बताया कि, हालांकि, बेटी ने हाल ही में एक पूर्व क्लासमेट - आसिफ खान से शादी करने की इच्छा व्यक्त की. क्योंकि दोनों परिवार एक-दूसरे को पिछले कुछ सालों से जानते हैं, इसलिए वो इसके लिए राजी हो गए.

दोनों परिवारों की मौजूदगी में मई में कोर्ट में उनकी शादी का रजिस्ट्रेशन कराया गया था.

शादी का निमंत्रण केवल करीबी रिश्तेदारों को दिया गया था, लेकिन सोशल मीडिया पर इसके वायरल होने और अपमानजनक मैसेज और कॉल आने के बाद कार्यक्रम को रोक दिया गया है.

परिवार के एक दूसरे सदस्य ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया,

"समुदाय के लोगों और अन्य लोगों की ओर से काफी दबाव आने लगा. इसलिए शादी समारोह को रद्द कर दिया गया."
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पुणे में अंतरधार्मिक कपल को शादी में देरी के लिए मजबूर किया गया

पुणे में इसी तरह की एक घटना में, स्पेशल मैरिज एक्ट (SMA) मैनडेट के तहत पोस्ट किए गए नोटिस के वायरल होने और विरोध के बाद एक अंतरधार्मिक कपल को अपनी शादी में देरी करने के लिए मजबूर किया गया था.

SMA के तहत शादी करने के इच्छुक कपल को जिले के 'विवाह अधिकारी' को नोटिस देना होता है, जिसमें उनमें से कम से कम जिले में एक पिछले 30 दिनों से रह रहा हो. अगर शादी पर कोई आपत्ति नहीं है तो नोटिस की तारीख से तीन महीने के भीतर शादी तय की जानी है.

सोशल एक्टिविस्ट और वकीलों का पुणे स्थित ग्रुप, राइट टू लव ऐसे कपल की मदद के लिए आगे आया है. ग्रुप की सदस्य, वकील विकास शिंदे ने पुणे मिरर से कहा, "हाल की घटना लंबी लिस्ट में से केवल एक है. सामाजिक विरोध के कारण ऐसी कई घटनाएं रिपोर्ट नहीं की जाती हैं. कई कपल अपने-अपने समुदायों के दबाव के कारण अपनी शादी रद्द कर देते हैं. हमने जाना है कि पोर्टल पर डीटेल्स इसका मुख्य कारण है."

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