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कम्युनिटी सर्विस, 'नया' राजद्रोह: बिल पास हुआ तो IPC, CrPc में क्या बदलाव संभव?

Amit Shah ने दावा किया कि तीन विधेयक भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>IPC, CrPc में क्या बदलाव संभव?</p></div>
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IPC, CrPc में क्या बदलाव संभव?

(प्रतीकात्मक फोटो)

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPc) जैसे कानून की प्रमुख धाराओं को बदलने के लिए शुक्रवार (11 अगस्त) को लोकसभा में तीन नए विधेयक पेश किए.

अमित शाह ने दावा किया कि निम्नलिखित तीन विधेयक भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को बदल देंगे:

  • भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 ( इंडियन पीनल कोड की जगह लाया जाएगा.)

  • भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 (इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 की जगह लाया जाएगा.)

  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 (दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की जगह लाया जाएगा.)

हालांकि प्रस्तावित विधेयकों पर विवाद जारी है. लेकिन इसमें क्या बदलाव हो सकते हैं, इसके बारे में हम आपको बताते हैं.

किन बदलावों का प्रस्ताव रखा गया?

  • 'देशद्रोह' भले ही निरस्त कर दिया गया हो, लेकिन एक नया खंड "भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों" का वर्णन और सजा निर्धारित करता है.

  • आईपीसी में, धारा 302 हत्या के लिए सजा की रूपरेखा बताती है; जबकि प्रस्तावित संहिता की धारा 302 में स्नैचिंग शामिल है.

  • आईपीसी में धारा 420 'धोखाधड़ी' के लिए है, लेकिन संहिता में धारा 420 नहीं है.

  • आईपीसी में ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है जो शादी के झूठे वादे के बहाने यौन संबंध बनाने को अपराध बताता हो, लेकिन प्रस्तावित विधेयक में एक विशेष प्रावधान है.

  • नए बिल में गैंगरेप के दोषी व्यक्ति के लिए न्यूनतम 20 साल की जेल का प्रावधान है, जिसमें अधिकतम सजा आजीवन कारावास है.

  • नए बिल में "नाबालिग से रेप के लिए मौत की सजा" का प्रस्ताव है.

  • सामुदायिक सेवा/ कम्युनिटी सर्विस को मानहानि, छोटी चोरी, आत्महत्या का प्रयास आदि जैसे अपराधों के लिए सजा के रूप में पेश किया गया है.

  • प्रस्तावित बिल में मॉब लिंचिंग मामले में 7 साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा दी जा सकती है.

  • FIR दर्ज करने से लेकर केस डायरी के रख-रखाव और आरोप पत्र जमा करने तक की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल किया जाएगा.

  • वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के उपयोग के माध्यम से जिरह और अपील सहित एक व्यापक परीक्षण की सुविधा प्रदान की जाएगी.

  • यौन अपराधों के सर्वाइवर्स के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी का उपयोग करना अनिवार्य है.

राजद्रोह कानून खत्म?

गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार, प्रस्तावित प्रमुख विधायी परिवर्तनों में से एक, विवादास्पद, औपनिवेशिक युग के राजद्रोह कानून (आईपीसी की धारा 124 ए) को रद्द करना है. अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, अब तक इस कानून के कारण 2021 में देश भर में 86 लोगों की गिरफ्तारियां हुईं.

हां, लेकिन: क्विंट हिंदी ने जिन वकीलों और आपराधिक कानून विशेषज्ञों से बात की, उन्होंने तर्क दिया कि नए विधेयक में राजद्रोह कानून के समान अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है.

अधिक जानकारी के लिए, इसे पढ़ें.

'हत्या' ≠ धारा 302?

भारतीय दंड संहिता की धारा 302 में हत्या की सजा के बारे में विस्तार से बताया गया है: "जो कोई भी हत्या करेगा उसे मौत या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी, और जुर्माने के लिए भी उत्तरदायी होगा."

हालांकि, नए बिल में: धारा 302 में 'स्नैचिंग' को शामिल किया गया है.

'धोखाधड़ी' ≠ धारा 420?

भारतीय दंड संहिता में धोखाधड़ी का अपराध धारा 420 के अंतर्गत आता है, जिसके अनुसार,"जो कोई भी धोखाधड़ी करता है और इस तरह बेईमानी से किसी व्यक्ति को, किसी भी संपत्ति को वितरित करने के लिए या किसी मूल्यवान सुरक्षा के पूरे या किसी हिस्से को बनाने, बदलने या नष्ट करने, या हस्ताक्षरित या सील की गई किसी भी चीज को प्रेरित करता है. उसे कारावास से दंडित किया जाएगा. इसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

लेकिन, नए बिल में: कोई धारा 420 नहीं है और धोखाधड़ी धारा 316 के तहत आती है.
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विवाह का झूठा वादा करने पर जेल

BNS बिल के अनुसार, "जो कोई भी धोखे से या बिना शादी के इरादे से किसी महिला से शादी करने का वादा करता है और उसके साथ यौन संबंध बनाता है, और यदि ऐसा यौन संबंध बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, तो भी उसे जेल की सजा होगी. कारावास की अवधि दस वर्ष तक बढ़ सकती है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है."

IPC में: आईपीसी में ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है, जो शादी के झूठे वादे के बहाने यौन संबंध बनाने पर सजा की बात करता हो.  हालांकि, आईपीसी की धारा 90[1] के तहत इसे देखा जा सकता है. इस धारा के अनुसार झूठे वादे पर प्राप्त हुई सहमति को वैध सहमति नहीं माना जाता है और ऐसे मामलों को धारा 375 के तहत रेप केस के रूप में माना जाता है. इसके तहत कम से कम 10 साल जेल की सजा या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है.

गैंगरेप के लिए न्यूनतम 20 साल की सजा

प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, गैंगरेप के दोषी व्यक्ति को कम से कम 20 साल की जेल होगी, जिसमें अधिकतम सजा आजीवन कारावास होगी.

बिल में कहा गया है, "कठोर कारावास 20 साल से कम नहीं होगा, लेकिन इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका मतलब उस व्यक्ति को शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास भुगतना पड़ेगा और जुर्माना भी होगा."

नाबालिग से रेप के लिए मौत की सजा

संसद में बिल पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार अब "नाबालिग से रेप के लिए मौत की सजा" का प्रस्ताव करती है.

बिल में कहा गया है कि अगर अठारह साल से कम उम्र की महिला के साथ एक या अधिक व्यक्ति रेप करते हैं तो उनमें से हर व्यक्ति को रेप का अपराधी माना जाएगा. उन्हें या तो मौत की सजा दी जायेगी या उम्रकैद (20 साल जेल की सजा) दी जाएगी. इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है.

मानहानि के लिए सामुदायिक सेवा?

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 मानहानि मामले से जुड़ी है. इसी आरोप में राहुल गांधी को दोषी ठहराया गया और बाद में (अब निरस्त) अयोग्य ठहराया गया.

इसके अतिरिक्त, IPC की धारा 500 मानहानि के लिए दंड निर्धारित करती है, यह रेखांकित करते हुए कि: "जो कोई भी दूसरे की मानहानि करेगा, उसे साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों से दंडित किया जाएगा."

नए बिल में: लेकिन, प्रस्तावित नई संहिता में धारा 499 नहीं है. इसके बजाय, यह धारा 354 (1) के अंतर्गत आती है और धारा 354 (2) में "सामुदायिक सेवा" सहित सजा का विवरण दिया गया है.

"जो कोई भी दूसरे की मानहानि करेगा, उसे साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माना, या दोनों या सामुदायिक सेवा से दंडित किया जा सकता है."

इतना ही नहीं: मानहानि सामुदायिक सेवा द्वारा दंडनीय एकमात्र अपराध नहीं है. छोटी चोरी और आत्महत्या का प्रयास, नशीले पदार्थों के प्रभाव में सार्वजनिक उपद्रव करने के मामले में भी सामुदायिक सेवा की सजा का प्रस्ताव है.

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