ADVERTISEMENTREMOVE AD

'नई बोतल, पुरानी शराब': IPC-CrPC, राजद्रोह कानून बदलने पर एक्सपर्ट्स की क्या राय?

गृह मंत्री अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 को पेश करते हुए कहा, "हम राजद्रोह को निरस्त कर रहे हैं."

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने लोकसभा में शुक्रवार, 11 अगस्त को भारतीय दंड संहिता (IPC) को बदलने के लिए नया बिल पेश किया. उन्होंने कहा कि नया बिल राजद्रोह (Sedition) के अपराध को निरस्त कर देगा, जिसे आईपीसी की धारा 124ए के तहत अपराध माना गया है.

अमित शाह ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक, 2023 को पेश करते हुए कहा, "हर किसी को बोलने का अधिकार है. हम देशद्रोह को पूरी तरह से निरस्त कर रहे हैं."

हालांकि, जिन वकीलों और आपराधिक कानून विशेषज्ञों से द क्विंट ने बात की, उन्होंने तर्क दिया कि नए विधेयक में भी राजद्रोह कानून के समान अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

नए विधेयक के अनुसार, "अलगाव को या सशस्त्र विद्रोह को या विध्वंसक गतिविधियों को, या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को उकसाता है या उकसाने का प्रयास करता है, या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है, या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होता है या करता है, उसे धारा 150 के तहत दंडित किया जाएगा."

न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय में वकील, शोध और पीएचडी उम्मीदवार, सुरभि करवा ने कहा,

"भले ही उन्होंने 'राजद्रोह' शब्द को हटाने का प्रस्ताव रखा है, लेकिन नया विधेयक एक नए प्रावधान के तहत वैसे ही अपराधों को सूचीबद्ध करता है जो भारत की संप्रभुता, अखंडता और एकता को खतरे में डालने वाले कामों से संबंधित है. इस प्रावधान में इस्तेमाल की गई शर्तों के मुताबिक, यह 'राजद्रोह' के मौजूदा अपराध के दायरे को और बढ़ा देता है, भले ही इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया हो.''
सुरभि करवा

प्रस्तावित विधेयक गृह मंत्री द्वारा पेश किए गए तीन नए विधेयकों में से एक है. संसद में पास होने के बाद तीनों विधेयक आईपीसी, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.

वर्तमान में, राजद्रोह के लिए तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की जेल हो सकती है, जिसमें जुर्माना भी जोड़ा जा सकता है. नए प्रावधान में तीन साल की जेल की सजा को बदलकर सात साल कर दिया गया है.

नया विधेयक देशद्रोह के बारे में क्या कहता है?

नए विधेयक में राजद्रोह कानून के समान अपराधों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है. इन प्रावधानों को कुछ बदलावों के साथ धारा 150 के तहत बरकरार रखा गया है.

नए प्रावधान में कहा गया है, "कोई भी, इरादतन या जान-बूझकर, बोले या लिखे गए शब्दों से, या संकेतों से, या कुछ दिखाकर, या इलेक्ट्रॉनिक संदेश से या वित्तीय साधनों के उपयोग से, या अन्यथा, अलगाव को या सशस्त्र विद्रोह को या विध्वंसक गतिविधियों को, या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को उकसाता है या उकसाने का प्रयास करता है, या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालता है, या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होता है या करता है, उसे आजीवन कारावास या कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है..."

नफरत, अवमानना या असंतोष को भड़काने या भड़काने के प्रयास को छोड़ दें तो, वैध तरीकों से सरकार की नीतियों पर अस्वीकृति जाहिर करने वाली टिप्पणियों को इस धारा के तहत अपराध नहीं माना जाएगा.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'वास्तव में कुछ भी नहीं बदला': नए विधेयक पर एक्सपर्ट

सुप्रीम कोर्ट के वकील चित्रांशुल सिन्हा ने कहा, "जब देशद्रोह की बात आती है, तो नया विधेयक नई बोतल में पुरानी शराब की तरह है. अगर हम सजा की मात्रा को देखें तो आजीवन कारावास, या सात साल तक की जेल हो सकती है, जिसमें जुर्माना भी जोड़ा जा सकता है. क्या इसका मतलब यह है कि किसी व्यक्ति को या तो आजीवन कारावास होगा या सात साल जेल और इसके बीच में कुछ भी नहीं? इस अंतर का आधार क्या है? अदालत कैसे निर्णय करेगी?"

बेंगलुरु में विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी के एक वरिष्ठ रेजिडेंट फेलो नवीद अहमद ने कहा कि नया विधेयक, कुछ मायनों में आईपीसी में राजद्रोह कानून की तुलना में अधिक खराब और अस्पष्ट शब्दों में लिखा गया है.

"यह नया अपराध पूरे राजद्रोह के प्रवधानों और उससे भी अधिक को शामिल करता है. राजद्रोह के साथ समस्या यह थी कि इसे एक समस्याग्रस्त संदर्भ में लाया गया था और इसे बहुत अस्पष्ट रूप से लिखा गया था. अपराध का वर्णन करने के लिए प्रस्तावित विधेयक की धारा 150 में 'सरकार के प्रति असंतोष भड़काना, या प्रयास करना' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. नए प्रावधान में 'अलगाव' और 'सशस्त्र विद्रोह' जैसे तत्व शामिल हैं और यह अस्पष्ट बना हुआ है. शायद पिछले वाले से भी अधिक."
नवीद अहमद, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी में सीनियर रेजिडेंट फेलो

वकील और शोधकर्ता सुरभि करवा ने कहा कि नए विधेयक के प्रावधान राजद्रोह कानूनों में बताए गए प्रावधानों से कहीं ज्यादा ऊपर जाते प्रतीत होते हैं.

सुरभि करवा ने कहा, "नए विधेयक की धारा 150 में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है जैसे '...जो किसी को उकसाता है या उकसाने का प्रयास करता है, अलगाव या सशस्त्र विद्रोह या विध्वंसक गतिविधियां'... अब समस्या यह है कि ऐसा लगता है कि मसौदा तैयार करते समय आपराधिक कानून के बुनियादी सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया. यदि आप किसी चीज को अपराध बना रहे हैं तो आपको यह बताना होगा कि वास्तव में अपराध क्या है. लेकिन 'विध्वंसक गतिविधियां' या 'अलगाववादी गतिविधियों की भावनाएं' जैसे शब्द व्यापक और अस्पष्ट हैं.''

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×