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पश्चिम बंगाल (West Bengal) के जादवपुर विश्वविद्यालय (Jadavpur University) के 18 साल के ग्रेजुएशन स्टूडेंट की कुछ दिन पहले हॉस्टल की दूसरी मंजिल से गिरकर मौत हो गई थी. ग्रेजुएशन फर्स्ट ईयर के छात्र के परिवार ने आरोप लगाया है कि कैंपस में उसके साथ रैगिंग (Ragging) की जा रही थी. रिपोर्ट के मुताबिक उसने बुधवार शाम को अपनी मां से बात की और बताया कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है. उसने उसे यह भी बताया कि वह बहुत डरा हुआ था. जब उसकी मां ने उससे पूछा कि क्या हुआ तो उसने उन्हें जल्दी मिलने को कहा था.
आइए जानते हैं कि भारतीय संविधान में रैगिंग को लेकर किस तरह के कानून बनाए गए हैं और इसके खिलाफ किस तरह की दंडात्मक कार्रवाई होती है.
साल 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में रैगिंग (Ragging) को लेकर कहा था कि "ये देश के शैक्षणिक संस्थानों में व्याप्त खतरा" है. विश्व जागृति मिशन ने केंद्र सरकार के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी.
कोर्ट ने "मोटे तौर पर" रैगिंग को इस प्रकार परिभाषित किया है:
कोर्ट ने रैगिंग के खिलाफ अहम दिशानिर्देश भी जारी किए हैं. इनमें रैगिंग को रोकने और रैगिंग के खिलाफ शिकायतों को आंतरिक रूप से संबोधित करने के लिए प्रॉक्टोरल समितियों का गठन करना शामिल था.
साल 2009 में सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में फिर से रैगिंग मुद्दे पर हल निकाला था, इस दौरान पूर्व CBI निदेशक RK राघवन की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई थी. कमेटी की सिफारिशों को बाद में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा औपचारिक रूप दिया गया.
साल 2009 में UGC ने रैगिंग के विरोध में विश्वविद्यालयों के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए. इसमें नौ स्पष्टीकरण शामिल हैं कि रैगिंग क्या हो सकती है. उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए इन व्यवहारों को रैगिंग का हिस्सा माना गया है.
किसी साथी छात्र को चिढ़ाना
छात्र के साथ गलत व्यवहार करना
शारीरिक या मनोवैज्ञानिक क्षति पहुंचाना
शर्म की भावना पैदा करना
किसी व्यक्ति या छात्रों के समूह को सौंपे गए शैक्षणिक कार्यों को पूरा करने के लिए किसी नए छात्र या किसी अन्य छात्र का शोषण करना
जबरन वसूली या जबरदस्ती खर्च
समलैंगिक हमले
कपड़े उतारना
जबरदस्ती अश्लील और भद्दी हरकतें करना
इशारे करना
शारीरिक नुकसान पहुंचाना
नियमों में कहा गया है कि संस्था नए छात्रों, जूनियर छात्रों और सीनियर छात्रों के बीच हेल्दी कनवर्सेशन की एक्टिव निगरानी करने के लिए कोर्स-इनचार्ज, स्टूडेंट एडवाइजर, वार्डन और कुछ सीनियर छात्रों को अपने सदस्यों के रूप में शामिल करते हुए उचित समितियों का गठन करेगी.
भारतीय दंड संहिता के तहत रैगिंग के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है, लेकिन कई धाराओं के तहत इसके लिए दंडित किया जा सकता है. जैसे गलत तरीके से रोकने के अपराध को IPC की धारा 339 के तहत आपराधिक माना जाता है, जिसमें एक अवधि के लिए साधारण कारावास, जिसे एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है या जुर्माना जो पांच सौ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है या दोनों से दंडित किया जाता है. गलत तरीके से रोकना एक अपराध है, जब किसी व्यक्ति को किसी भी दिशा में आगे बढ़ने से रोका जाता है, जिसमें उस व्यक्ति को आगे बढ़ने का अधिकार है.
कई राज्यों में रैगिंग के खिलाफ स्पेशल कानून बनाए गए हैं. केरल रैगिंग निषेध अधिनियम, 1998 रैगिंग के आरोपी छात्र को निलंबित या बर्खास्त करने का प्रावधान रखता है और कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को अनिवार्य रूप से निकटतम पुलिस स्टेशन को सूचित करने की जरूरत होती है. अगर कोई शैक्षणिक संस्थान ऐसा करने में फेल होता है, तो इसे अपराध करने के लिए "उकसाना" माना जाएगा.
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