ADVERTISEMENTREMOVE AD

जादवपुर यूनिवर्सिटी में 'रैगिंग' से मौत: छात्र बोले हॉस्टल में 'उत्पीड़न',जातिवाद भी

Jadhavpur University के एक छात्र ने बताया, "वे मेरे लिए अपमानजनक, जातिवादी शब्दों का इस्तेमाल करते थे."

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

(चेतावनी: स्टोरी में सुसाइड के डिटेल हैं. अगर आपको सुसाइड के विचार आते हैं या आप किसी ऐसे को जानते हैं, जिसे ऐसे ख्याल आते हैं , तो कृपया उनके पास पहुंचें और स्थानीय आपातकालीन सेवाओं, हेल्पलाइनों और मानसिक स्वास्थ्य NGO's के इन नंबरों पर कॉल करें)

कोलकाता के जादवपुर यूनिवर्सिटी (JU) में थर्ड ईयर के छात्र बिप्लब मुखर्जी (बदला हुआ नाम) को आज भी हॉस्टल का अपना पहला दिन याद है.

क्विंट हिंदी से बातचीत में उसने बताया कि, "मेरे पहले ही दिन, मेरे एक रूम-मेट और एक सीनियर को मुझे 'इंट्रो' देने का प्रोसेस समझाने का काम दिया गया था."

"हॉस्टल में सीनियर्स ने मुझसे कहा कि हर रात 11 बजे के बाद... मुझे कम से कम कपड़े पहनने हैं और हॉस्टल के सभी कमरों के दरवाजे खटखटाने होंगे. एक बार जब कोई सीनियर दरवाजा खोलता है, तो मुझे अपना परिचय देना होगा एक निश्चित 'फॉर्मेट' में. मुझे मेरा नाम, मेरे पिता का नाम, मेरी मां का नाम, जन्मतिथि और अन्य व्यक्तिगत डिटेल्स देने को कहा था, यह मुझे काफी आपत्तिजनक लगा. 'इंट्रो' के आखिरी में मुझे अपने फिजिकल डिटेल्स देनी थी."
ADVERTISEMENTREMOVE AD

बिप्लब मुखर्जी ने बताया कि अगर इंट्रो देते समय गलती से भी अंग्रेजी के शब्द का इस्तेमाल कर देते थे तो उसे सीनियर्स सजा देते थे. मुखर्जी ने बताया कि एक बार उसे सजा के तौर पर तीन मंजिला हॉस्टल की सीढ़ियों को दस बार चढ़ने-उतरने के लिए मजबूर किया था.

मुखर्जी ने कहा कि, "मेरी सांसें फूल रही थीं और बहुत मिन्नतें करने के बाद ही वे रुके. मुझसे यह भी कहा गया कि मुझे शाम छह बजे तक हॉस्टल में आ जाना होगा और 'मिलिट्री हेयर कट' लेना होगा. हफ्ते में एक बार मुझे सभी सीनियर्स के कमरों में पानी की बोतलें भरनी पड़ती थी. साथ ही मेरी क्लास की लड़कियों के बारे उन्हें जानकारी देनी होती थी.

मुखर्जी ने लगभग 4-5 महीने वहां रहने के बाद हॉस्टल छोड़ दिया. हालांकि उसने कभी रैगिंग की शिकायत नहीं की. मुखर्जी की तरह, कैंपस के कई छात्रों का आरोप है कि उनके सीनियर्स उनके साथ रैगिंग करते हैं, धमकातें हैं और प्रताड़ित करते हैं.

पिछले हफ्ते ही, पश्चिम बंगाल के नादिया जिले का रहने वाले बांग्ला के फर्स्ट ईयर के छात्र की रैगिंग के एक संदिग्ध मामले में हॉस्टल की बालकनी से गिरने के बाद मौत हो गई.

'आधी रात में हॉस्टल के सीनियर्स ने बाहर निकाल दिया था'

JU में पीजी (फाइनल ईयर) के छात्र सुभाजीत दत्ता (बदला हुआ नाम) ने बताया कि एक बार उन्हें कैसे 2021 में सर्दियों की शुरुआत से पहले उनके हॉस्टल से बाहर निकाल दिया गया था.

दत्ता ने बताया कि, "मैंने 2019 में कैंपस में रहना शुरू किया जब मैं एक फ्रेशर के रूप में आया था. मेरे सीनियर्स ने मुझे खाना और शराब लाने जैसे छोटे-मोटे काम करने के लिए मजबूर किया. अगर मैं इनकार करता तो मुझे मारा जाता था. एक रात, सीनियर्स और पूर्व छात्रों के एक समूह ने मुझे मेरे कमरे से बाहर निकाल दिया.

दत्ता ने कहा कि, मैंने बार-बार कॉलेज अधिकारियों से शिकायत की. लेकिन उन्होंने इन अपराधियों को पकड़ने की बजाय मुझे गेस्ट रूम में शिफ्ट कर दिया. दत्ता ने कहा कि, जब कोरोना महामारी के बाद हॉस्टल फिर से खुला, तो मुझे लगा अब नई जगह कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन नहीं, मुझे शिकायत दर्ज करने के लिए हॉस्टल अधिकारियों के सामने धमकाया गया. मुझे अब सीनियर्स के एक नए समूह द्वारा परेशान किया जा रहा था.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'लड़कों को फालतू चीजें करने को कहा जाता था जिनसे उनका मजाक बनता था'

JU में पीजी (फाइनल ईयर) की छात्रा अंकिता देबनाथ (बदला हुआ नाम) ने याद करते हुए बताया कि जब वह 2019 में फ्रेशर के रूप में आई थी तो उसने सीनियर्स को अपने कुछ बैचमेट्स को प्रताड़ित करते हुए देखा था.

अंकिता ने बताया कि लड़कों को फालतू चीजें करने को कहा जाता था ताकी उनका मजाक बने.

"अंकिता ने बताया कि, हमारी फ्रेशर पार्टी के दौरान हमारी क्लास के कुछ लड़कों को अपनी टी-शर्ट में बलून डालने को कहा ताकी उनका सीना स्तन जैसा लगे. यही नहीं कुछ लड़कों को लंबे वाले बलून को उनकी पैंट में डालने को कहा ताकी वो पुरुष के लिंग जैसा दिखे. उस समय उन लोगों का काफी मजाक बना था, सभी हंस रहे थे."

अंकिता ने बताया कि लड़कों को छोटे बाल रखने को कहा जाता था ताकी उनकी पहचान आसानी से हो सके.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

'वे मेरे लिए अपमानजनक, जातिवादी शब्दों का इस्तेमाल करते थे'

जेयू से साल 2018 में पास आउट होने वाले पूर्व छात्र प्रशुन सुब्बा (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वे आदीवासी समुदाय से आते हैं और उन्हें इसके लिए ताने दिए जाते थे. उन्हें 'नीच' बुलाया जाता था. प्रशुन ने कहा कि, वे अपमानजनक, जातिवादी शब्दों का इस्तेमाल करते थे.

"पहले दिन से ही जब मैं हॉस्टल में आया मुझे सीनियर्स ने जाति को लेकर तंग किया. मैं सिक्किम के एक आदिवासी नेपाली समुदाय से हूं. लेकिन सीनियर्स ने मुझे गलत कहा, मुझसे कहा गया में नीचली जाति से हूं, सबसे अलग दिखता हूं.

प्रशुन ने कहा कि, "उनमें से एक ने कहा कि क्योंकि मेरे पुरखे शौचालय साफ करते थे इसलिए मुझे भी अपने 'वंश' को आगे बढ़ाने के लिए ऐसा ही करना होगा. उन्होंने मुझसे शौचालय साफ कराया. मुझसे कहा गया कि मुझे सीनियर्स के आदेशों का पालन हर कीमत पर करना होगा. जब मुझे गेस्ट रूम में शिफ्ट किया गया तब जा कर मुझे शांति मिली."
ADVERTISEMENTREMOVE AD

यूनिवर्सिटी से जुड़े कई लोगों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर रैगिंग रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया

यूनिवर्सिटी से जुड़े लोगों समेत कईयों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर रैगिंग रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया है. जेयू टीचर्स एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रोफेसर पार्थ प्रतिम रॉय ने 17 वर्षीय छात्र की मौत की घटना के एक दिन बाद हॉस्टल का दौरा किया.

उन्होंने क्विंट हिंदी को बताया कि, "मैं हॉस्टल के निरीक्षण पर गया था और मैंने 7-8 फ्रेशर्स के एक जैसे बाल कटे हुए देखे. इससे साफ पता चल रहा था कि वे सभी रैगिंग के शिकार थे."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×