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भूख से तड़पती, नशीली दवाओं के डोज की वजह से सुन्न पड़ गई वो मासूम न चीख सकती थी, न कुछ महसूस कर सकती थी. हर दिन उसके साथ रेप किया जा रहा था. जब उसका सुन्न शरीर 6 लोगों की हैवानियत शांत करने लायक नहीं बचा, तो उसको मार डाला गया.
जम्मू की रहने वाली 8 साल की मासूम बच्ची. उसके साथ हुई दरिंदगी की वजह बना उसका धर्म. हैरानी की बात ये है कि अपने धर्म का दबदबा बनाने के मकसद से जो उसके साथ दरिंदगी कर रहे थे, उन्होंने उसके रेप के लिए ‘देवस्थान’ को चुना.
जम्मू के कठुआ में 10 जनवरी को 8 साल की बच्ची लापता हो जाती है. 7 दिनों बाद उसकी लाश क्षत-विक्षत हालत में मिलती है. पुलिस ने जो चार्जशीट दायर की है, वो सिहरन पैदा कर देती है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक मास्टरमाइंड जब देवस्थान में 'पूजा-अर्चना' पूरी करने के बाद निकल गया, उसके बाद मंदिर के अंदर बच्ची से 3 बार गैंगरेप किया गया. बलात्कारियों में से एक को मेरठ से उसकी 'वासना को संतुष्ट' करने के लिए बुलाया गया था.
इससे पहले कि वो बच्ची दम तोड़ देती, आरोपी पुलिसकर्मी दीपक खजूरिया ने उसको बचाए रखने को कहा, ताकि वो एक और आखिरी बार उसके साथ बलात्कार कर सके. दरिंदगी के बाद उसका गला दबाया गया और सिर पर दो बार पत्थर मारा गया, ये तय करने के लिए कि वह मर चुकी है.
कठुआ जिले के गांव रसाना में बच्ची अपने परिवार के साथ रहती थी. बच्ची खानाबदोश मुस्लिम समुदाय से थी. उस बकरवाल समुदाय से, जो कठुआ में अल्पसंख्यक है.
वहां रहने वाले हिंदू परिवारों की बकरवालों से अतिक्रमण और आबादी में घुसपैठ के चलते लड़ाई होती रहती है. इन 2 समुदायों के बीच लंबे समय से चल रही दुश्मनी का खामियाजा उस 8 साल की बच्ची को भुगतना पड़ा.
कुछ हिंदू लोगों ने बकरवाल समुदाय को सबक सिखाने की ठानी और इसके लिए बच्ची को टारगेट किया गया. उसके कुनबे को हटाने के लिए साजिश रची गई थी. सबक सिखाने की पूरी कवायद का मास्टरमाइंड रिटायर्ड राजस्व अधिकारी सांजी राम था. उसने लड़की के अपहरण की योजना बनाई, ताकि इस घटना के बाद बकरवाल समुदाय खौफ में आ जाए और वो कठुआ छोड़कर चले जाएं.
प्लान के तहत 10 जनवरी को घोड़ों को चराने के लिए आसपास के जंगलों में निकली बच्ची घर नहीं लौट पाई. घरवालों ने हीरानगर पुलिस से बच्ची के गायब होने की शिकायत दर्ज करवाई.
हफ्ते भर तक कोई खोज-खबर नहीं मिलने के बाद 17 जनवरी को जंगल में बच्ची की लाश मिली.
मुख्य साजिशकर्ता सांजी राम के साथ स्पेशल पुलिस आॅफिसर दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा , दोस्त परवेश कुमार उर्फ मन्नू , राम का किशोर भतीजा और उसका बेटा विशाल जंगोत्रा उर्फ शम्मा कथित तौर पर शामिल हुए. जांच अधिकारी (आईओ) हेड कांस्टेबल तिलक राज और सब इंस्पेक्टर आनंद दत्त भी नामजद हैं जिन्होंने राम से कथित तौर पर 4 लाख रूपए लिए और अहम सबूत नष्ट किए.
जांच से इस बात का खुलासा हुआ है कि राम ने मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को 4 लाख रूपये 3 किस्तों में दिए. आरोपी पुलिस अधिकारियों ने मृतका के कपड़े फाॅरेंसिक लैब में भेजने से पहले उसे धोकर अहम सबूत नष्ट किए और मौके पर झूठे साक्ष्य बनाए.
गिरफ्तारी के बाद एक तबका बलात्कारियों के पक्ष में खड़ा हो गया. इसकी अगुवाई कोई और नहीं, बल्कि ‘हिंदू एकता मंच’ कर रही है. 'भगवा' के साथ तिरंगा झंडा लेकर बलात्कार के आरोपियों के बचाव में धरना-प्रदर्शन किये गये. ये समूह बीजेपी नेता लाल सिंह चौधरी और चंदर प्रकाश गंगा (दोनों पीडीपी-बीजेपी सरकार में मंत्री हैं) के संरक्षण में संचालित हो रहा है.
सबसे अजीब बात ये है कि जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (जम्मू) भी इस आंदोलन में शरीक हो गया. उन्होंने इतना हंगाामा किया कि 9 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई और फिर क्राइम ब्रांच ने चार्जशीट 10 अप्रैल को दाखिल की. वकीलों ने इसका विरोध करते हुए 11 अप्रैल और 12 अप्रैल को पूरे जम्मू-कश्मीर का बंद बुलाया और वो कठुआ जिला जेल के बाहर लगातार प्रदर्शन करते रहे.
बताया जाता है कि एसोसिएशन क्राइम ब्रांच की जांच पर रोक लगाने के लिए एक पीआईएल भी दायर कर सकता है.
मासूम के साथ हुए इस क्रूर हरकत के बाद इसे राजनीतिक तमाशा बना दिया गया है. चाल, चरित्र और चेहरे की बात करने वाली पार्टी से जुड़े लोग मैदान में उतर आए हैं. इन हालातों ने सांप्रदायिकता का वह वीभत्स चेहरा पेश किया है जिसकी मिसाल मुश्किल है.
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