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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 37 जवना शहीद हो गए. पूरे देश में मातम का माहौल है और हर कोई शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दे रहा है. लेकिन, जवानों की सुरक्षा में हुई इस चूक के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए? ऐसी खबर है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने दो दिन पहले ही एक निजी ट्विटर अकाउंट पर अपलोड की गई खुफिया सूचना सभी सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा की थी. इस सूचना में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद ने सुरक्षा बलों पर आत्मघाती हमला करने की धमकी दी थी, जिसे जम्मू-कश्मीर पुलिस ने सुरक्षा एजेंसियों से साझा भी किया था. लेकिन, उसके बाद भी 37 सीआरपीएफ जवानों की जान चली गई.
राज्य पुलिस द्वारा जारी खुफिया जानकारी ट्विटर हैंडल से जुड़ी थी, जिसमें 33 सेकेंड के एक वीडियो में आतंकवादी सोमालिया में जवानों पर हमला करते हुये नजर आ रहे थे. वीडियो में जिस तरीके से हमला किया गया है उसी तरीके से बृहस्पतिवार को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों को लेकर जा रही एक बस पर हमला किया गया.
खुफिया एजेंसी ने 8 फरवरी को IED हमले का अलर्ट जारी किया था. सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया था कि किसी भी जगह पर तैनाती से पहले पूरे इलाके को अच्छी तरह से सुरक्षित कर लिया जाए, क्योंकि ऐसी सूचना मिली है कि IED का इस्तेमाल हमले के लिए किया जा सकता है.
हमले के जांच अधिकारियों ने आशंका जताई है कि इतनी बड़ी संख्या में जवानों की मूवमेंट के बारे में किसी ने आतंकवादियों को सूचना दी होगी. जांच एजेंसियां हर पहलू से इस हमले की पड़ताल कर रही हैं. आपको बता दें कि हमले के समय सीआरपीएफ के 2,500 से अधिक जवान घाटी में अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए लौट रहे थे. ये जवान 78 वाहनों के काफिले में लौट रहे थे इसी दौरान दक्षिण कश्मीर के अवंतीपुरा में श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर यह हमला हुआ.
--इनपुट भाषा
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