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दिल्ली में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (NMML) का नाम बदलकर आधिकारिक तौर पर प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (PMML) कर दिया गया है. 14 अगस्त से ही ये बदला हुआ नाम लागू भी हो गया है.
अब नाम बदले जाने के बाद से कांग्रेस हमलावर है तो बीजेपी उसका जवाब दे रही है. कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टियां भी इस मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रही हैं.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मेमोरियल का नाम बदले जाने पर कहा कि PM मोदी डर और असुरक्षा के बीच फंसे हैं, खासकर जब बात हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधान मंत्री की आती है. जयराम रमेश ने कहा,
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने भी इसे लेकर सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि नेहरू जी ने स्वतंत्रता आंदोलन और आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. उन्होंने कहा,
"नेहरू मेमोरियल म्यूजियम और लाइब्रेरी का नाम बदलना मोदी सरकार के लिए अपमानजनक है. जवाहरलाल नेहरू ने इतनी लंबी लकीर खींच दी है कि उन्हें आपकी दया की जरूरत नहीं है. उनका नाम अमर है."
कांग्रेस के अलावा शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत ने भी इसे लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आप एक इमारत का नाम बदल सकते हैं लेकिन पंडित नेहरू का नाम नहीं बदल सकते जो इतिहास में दर्ज है. संजय राउत ने कहा, "आप महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सावरकर के इतिहास को बदल नहीं सकते... आप उनकी तरह इतिहास नहीं बना सकते तो आप नाम बदल रहे हैं."
बीजेपी की तरफ से कई नेताओं ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब दिया. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी और पीएम मोदी की सोच में एक मूल अंतर है. कांग्रेस सोचती है कि सिर्फ नेहरू और परिवार से फर्क पड़ता है. नरेंद्र मोदी ने म्यूजियम में अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों को सम्मान दिया है. उन्होंने कहा,
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी सरकार का बचाव करते हुए कहा केंद्रीय "यह देश हर किसी का है. देश एक व्यक्ति से नहीं बल्कि एक सिस्टम और संस्था से है. यह लोकतंत्र है... पीएम एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था हैं. इसलिए इस देश की सेवा करने वाले सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित म्यूजियम बनाया गया है."
आधिकारिक तौर पर नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (NMML) का नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) करने की तारीख पर भी सवाल उठ रहे हैं. इसे 14 अगस्त के दिन किया गया है.
प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय की कार्यकारी परिषद के उपाध्यक्ष ए. सूर्य प्रकाश ने इसपर कहा कि ये यह महज एक संयोग है. उन्होंने कहा, "नाम बदलने की पहली पहल 15 जून को हुई थी जब सोसायटी की आम सभा बुलाई गई थी... कानून के तहत अगर हम किसी सोसायटी का नाम बदलना चाहते हैं तो एक महीने के अंतराल के बाद दोबारा बैठक करनी होती है. ऐसा दो बार होता है, इसलिए 18 जुलाई को फिर से मिले और नाम बदलने की बात दोहराई. इसके बाद ये रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज के पास गया. यह प्रक्रिया है..."
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